रांचीः केंद्रीय सरना समिति की बैठक हुई. जिसमें आदिवासी समाज की धर्म, संस्कृति को लेकर चर्चा हुई. जिसमें कहा गया कि आज आदिवासी समाज के लोगों का धर्मांतरण कराया जा रहा है, जिसके कारण उनकी सभ्यता-संस्कृति खतरे में दिखाई दे रही है.
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बैठक में केद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष बबलू मुंडा ने कहा कि आदिवासियों की धर्म, संस्कृति और परंपरा के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि आदिवासियों के संवैधानिक अधिकार सीएनटी-एसपीटी एक्ट, पेसा कानून 2001 और पांचवी अनुसूचित क्षेत्र का चर्च के माध्यम से अवहेलना की जा रही है, जिससे जनजाति समुदाय का अस्तित्व खतरे में है.
समिति के जगलाल पाहन ने कहा कि आदिवासियों की पहचान उनकी रीति रिवाज और परंपरा के आधार पर होती है. उन्होंने कहा कि इनकी मूल संस्कृति के साथ छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए. समिति के संरक्षक बिरसा पाहन ने कहा कि आदिवासी समाज के सरना, मसना और अखरा स्थल आदिवासियों की धरोहर है. वर्तमान में आदिवासियों को इस ओर अधिक ध्यान देने की जरूरत है. वहीं, कार्यक्रम में सर्वसम्मति से केंद्रीय सरना समिति के कार्यकारिणी सदस्य को मनोनीत किया गया.