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आदिवासी कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा ने दी विश्व आदिवासी दिवस की बधाई, कहा- हमारा एक गौरवशाली इतिहास है

9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस मनाया जा रहा है इसे लेकर देशभर में कई कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जा रहा है. इस मौके पर केंद्रीय आदिवासी कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि आदिवासियों की एक अलग पहचान हैं, इनका गौरवशाली इतिहास है.

अर्जुन मुंडा, केंद्रीय मंत्री
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Published : Aug 8, 2019, 9:35 PM IST

Updated : Aug 8, 2019, 11:46 PM IST

नई दिल्ली: विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर केंद्रीय आदिवासी कल्याण मंत्री और झारखंड के खूंटी से बीजेपी सांसद अर्जुन मुंडा ने विश्व आदिवासी दिवस पर प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि आदिवासियों की एक अलग पहचान है, इनका गौरवशाली इतिहास है.

केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा का बयान

बता दें कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने आदिवासी समाज के हित के लिए एक कार्यदल का गठन किया था. गठन होने के बाद 1982 में 9 अगस्त को इसकी बैठक हुई थी. इस बैठक के बाद से ही संयुक्त राष्ट्र संघ ने अपने सदस्य देशों को हर साल 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस के तौर पर बनाने को कहा, इसके बाद से हर वर्ष 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस मनाया जाता है.

ये भी पढ़ें- विश्व आदिवासी दिवस: कई सभ्यता की जड़ है आदिवासी समाज, हक के लिए बुलंद की आवाज

संयुक्त राष्ट्र संघ को जब लगा कि आदिवासी बेरोजगारी, बाल मजदूरी जैसी समस्याओं से घिरे हुए है. संयुक्त राष्ट्र संघ को जब लगा कि आदिवासी समाज की अनदेखी हो रही है, वह उपेक्षा के शिकार हो रहे हैं तो इन समस्याओं को दूर करने के लिए, आदिवासियों के मानवाधिकारों को लागू करने और उनके संरक्षण के लिए UNWGIP का गठन हुआ. बता दें कि भारत में आदिवासियों की आबादी करीब 11 करोड़ है. भारत के आदिवासी समुदायों में मल्हार, कोली, जाट, मुंडा, बोडो, हो, गोंड, खासी, सहरिया, संथाल, परधान, मीणा, ताकनहर आदि शामिल हैं. आदिवासी प्रकृति की पूजा करते हैं, नदियां जीव-जंतु पर्वत इन सब की पूजा करते हैं. उनको लगता है कि प्रकृति के हर वस्तु में जीवन होता है. आदिवासी के झंडे में सूरज चांद इत्यादि सभी प्रतीक होते हैं और यह झंडे सभी रंग के होते हैं, किसी विशेष रंग से बंधे नहीं होते हैं.

नई दिल्ली: विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर केंद्रीय आदिवासी कल्याण मंत्री और झारखंड के खूंटी से बीजेपी सांसद अर्जुन मुंडा ने विश्व आदिवासी दिवस पर प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि आदिवासियों की एक अलग पहचान है, इनका गौरवशाली इतिहास है.

केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा का बयान

बता दें कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने आदिवासी समाज के हित के लिए एक कार्यदल का गठन किया था. गठन होने के बाद 1982 में 9 अगस्त को इसकी बैठक हुई थी. इस बैठक के बाद से ही संयुक्त राष्ट्र संघ ने अपने सदस्य देशों को हर साल 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस के तौर पर बनाने को कहा, इसके बाद से हर वर्ष 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस मनाया जाता है.

ये भी पढ़ें- विश्व आदिवासी दिवस: कई सभ्यता की जड़ है आदिवासी समाज, हक के लिए बुलंद की आवाज

संयुक्त राष्ट्र संघ को जब लगा कि आदिवासी बेरोजगारी, बाल मजदूरी जैसी समस्याओं से घिरे हुए है. संयुक्त राष्ट्र संघ को जब लगा कि आदिवासी समाज की अनदेखी हो रही है, वह उपेक्षा के शिकार हो रहे हैं तो इन समस्याओं को दूर करने के लिए, आदिवासियों के मानवाधिकारों को लागू करने और उनके संरक्षण के लिए UNWGIP का गठन हुआ. बता दें कि भारत में आदिवासियों की आबादी करीब 11 करोड़ है. भारत के आदिवासी समुदायों में मल्हार, कोली, जाट, मुंडा, बोडो, हो, गोंड, खासी, सहरिया, संथाल, परधान, मीणा, ताकनहर आदि शामिल हैं. आदिवासी प्रकृति की पूजा करते हैं, नदियां जीव-जंतु पर्वत इन सब की पूजा करते हैं. उनको लगता है कि प्रकृति के हर वस्तु में जीवन होता है. आदिवासी के झंडे में सूरज चांद इत्यादि सभी प्रतीक होते हैं और यह झंडे सभी रंग के होते हैं, किसी विशेष रंग से बंधे नहीं होते हैं.

Intro:नयी दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र संघ ने आदिवासी समाज के हित के लिए एक कार्यदल का गठन किया था, गठन होने के बाद 1982 में 9 अगस्त को इसकी बैठक हुई थी, इस बैठक के बाद से ही संयुक्त राष्ट्र संघ ने अपने सदस्य देशों को हर साल 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस के तौर पर बनाने को कहा, इसके बाद से हर वर्ष 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस मनाया


Body:संयुक्त राष्ट्र संघ को जब लगा कि आदिवासी बेरोजगारी, बाल मजदूरी जैसी समस्याओं से घिरे हुए है, संयुक्त राष्ट्र संघ को जब लगा कि आदिवासी समाज की अनदेखी हो रही है, वह उपेक्षा के शिकार हो रहे हैं तो इन समस्याओं को दूर करने के लिए, आदिवासियों के मानवाधिकारों को लागू करने और उनके संरक्षण के लिए UNWGIP का गठन हुआ

बता दें भारत में बआदिवासियों की आबादी करीब 11 करोड़ है, भारत के आदिवासी समुदायों में मल्हार, कोली, जाट, मुंडा, बोडो, हो, गोंड, खासी, सहरिया, संथाल, परधान, मीणा, taaknhaar आदि शामिल हैं


Conclusion:बता दे आदिवासी प्रकृति की पूजा करते हैं, नदियां जीव जंतु पर्वत इन सब की पूजा करते हैं, उनको लगता है कि प्रकृति के हर वस्तु में जीवन होता है, आदिवासी के झंडे में सूरज चांद इत्यादि सभी प्रतीक होते हैं और यह झंडे सभी रंग के होते हैं, किसी विशेष रंग से बंधे नहीं होते

कल 9 अगस्त है और कल विश्व आदिवासी दिवस है, केंद्रीय आदिवासी कल्याण मंत्री और झारखंड से बीजेपी सांसद अर्जुन मुंडा ने विश्व आदिवासी दिवस पर प्रतिक्रिया दी है
Last Updated : Aug 8, 2019, 11:46 PM IST
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