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पद्मश्री डॉ रामदयाल मुंडा की 80वीं जयंती पर राष्ट्रीय जनजातीय अखरा का शुभारंभ, 25 अगस्त तक चलेगा कार्यक्रम

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Published : Aug 23, 2019, 7:19 PM IST

रांची में पद्मश्री डॉ रामदयाल मुंडा की 80वीं जयंती मनाई गई. जहां इस मौके पर 3 दिवसीय राष्ट्रीय जनजातीय अखरा का भी शुभारंभ किया गया. वहीं इस कार्यक्रम का उद्घाटन द्रौपदी मुर्मू ने की.

राष्ट्रीय जनजातीय अखरा कार्यक्रम

रांची: जिले में शुक्रवार को पद्मश्री डॉ रामदयाल मुंडा की 80वीं जयंती मनाई गई. इस अवसर पर 3 दिवसीय राष्ट्रीय जनजातीय अखरा का शुभारंभ किया गया जो कि 23 से 25 अगस्त तक चलेगी. वहीं द्रौपदी मुर्मू इस जनजातीय अखरा का उद्धाटन कर लोगों को ट्राइबल संस्कृति को लेकर चर्चा की.

देखें पूरी खबर

इस जनजातीय साहित्यकार सम्मेलन में जनजातीय नृत्य, सेल्फ फिल्म और कला का समागम भी किया गया. वहीं बताया गया कि इस 3 दिवसीय कार्यक्रम में आदिवासी साहित्य विकास परंपरा, आदिवासी मातृ भाषाओं का साहित्य, इतिहास आदिवासी साहित्य, स्त्री जीवन के संघर्ष पर, आदिवासी साहित्य लेखन दशा दिशा और चुनौतियां पर चर्चा की जाएगी.

ये भी देखें- धर्मेंद्र प्रधान ने की चतरा में इस्पात कारखाना खोलने की घोषणा, कहा- झारखंड में संसाधनों की भरमार

महामहिम राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि देश में 10 करोड़ ट्राइबल आबादी है. ट्राइबल प्रकृति प्रेमी होते है, वह प्रकृति के साथ रहते है और प्रकृति की ही पुजा करते है. ट्राइबल गीत-संगीत और वाद्य यंत्र बजाने में एक्सपर्ट होते हैं. उन्होंने कहा कि ट्राइबल संस्कृति को बचाने की जरूरत है. आजादी के 73 साल के बाद भी ट्राइबल आर्थिक रूप से काफी पीछे हैं.

रांची: जिले में शुक्रवार को पद्मश्री डॉ रामदयाल मुंडा की 80वीं जयंती मनाई गई. इस अवसर पर 3 दिवसीय राष्ट्रीय जनजातीय अखरा का शुभारंभ किया गया जो कि 23 से 25 अगस्त तक चलेगी. वहीं द्रौपदी मुर्मू इस जनजातीय अखरा का उद्धाटन कर लोगों को ट्राइबल संस्कृति को लेकर चर्चा की.

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इस जनजातीय साहित्यकार सम्मेलन में जनजातीय नृत्य, सेल्फ फिल्म और कला का समागम भी किया गया. वहीं बताया गया कि इस 3 दिवसीय कार्यक्रम में आदिवासी साहित्य विकास परंपरा, आदिवासी मातृ भाषाओं का साहित्य, इतिहास आदिवासी साहित्य, स्त्री जीवन के संघर्ष पर, आदिवासी साहित्य लेखन दशा दिशा और चुनौतियां पर चर्चा की जाएगी.

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महामहिम राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि देश में 10 करोड़ ट्राइबल आबादी है. ट्राइबल प्रकृति प्रेमी होते है, वह प्रकृति के साथ रहते है और प्रकृति की ही पुजा करते है. ट्राइबल गीत-संगीत और वाद्य यंत्र बजाने में एक्सपर्ट होते हैं. उन्होंने कहा कि ट्राइबल संस्कृति को बचाने की जरूरत है. आजादी के 73 साल के बाद भी ट्राइबल आर्थिक रूप से काफी पीछे हैं.

Intro: रांची
बाइट--राज्यपाल द्रोपति मुर्मू

पद्मश्री डॉ रामदयाल मुंडा की 80वी जयंती में मौके आज राष्ट्रीय जनजातीय अखरा का 23 से 25 अगस्त तक आयोजन जनजातीय साहित्यकार सम्मेलन जनजातीय नृत्य सेल्फ फिल्म और कला का समागम साथ ही जनजातीय राष्ट्रीय विषयक साहित्यिक संगोष्ठी कार्यक्रम का उद्घाटन महामहिम राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने किया इस 3 दिवसीय कार्यक्रम में आदिवासी साहित्य विकास परंपरा और वैशिष्ट्य आदिवासी पुरखा साहित्य आदिवासी मातृ भाषाओं का साहित्य आदिवासी साहित्य और इतिहास आदिवासी साहित्य और स्त्री जीवन के संघर्ष आदिवासी साहित्य लेखन दशा दिशा वैविध्य और चुनौतियां पर चर्चा होगी।
Body:महामहिम राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने कहा देश में 10 करोड़ ट्राइबल आबादी है। ट्राइबल प्रकृति प्रेमी होते है गाना कहानी भी लिखते है ट्राइबल राइटर , ट्राइबल संस्कृति को बचाने की जरूरत है। ट्राइबल गीत संगीत और वाद्य यंत्र बजाने में एक्सपर्ट होते है।आजादी के 73 साल के बाद भी ट्राइबल आर्थिक रूप से काफी पीछे हैं
Conclusion:
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