रांचीः डीपीएस स्कूल के छात्र अंतरिक्ष शनिग्रही की संदेहास्पद मौत की जांच सीबीआई करेगी. अंतरिक्ष की मां रूपाली ने इस संबंध में हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी जिसके बाद हाई कोर्ट ने सीबीआई जांच करवाने को लेकर आदेश दिया है. इससे पहले सीआईडी के तत्कालीन एडीजी अनुराग गुप्ता ने भी अंतरिक्ष शनिग्रह की मौत की जांच सीबीआई से करवाने की अनुशंसा की थी.
क्या है मामला
25 जुलाई 2016 की रात 8.15 बजे रांची के अरगोड़ा चौक से बिरसा चौक के रास्ते में मोटरसाइकिल सवार अंतरिक्ष गंभीर अवस्था में मिला था. इलाज के क्रम में 27 जुलाई 2016 को अंतरिक्ष की मौत हो गई थी. अंतरिक्ष की मां रूपाली महंती ने पिता सुभाशीष शनिग्रही, देवाशीष शनिग्रही, सुजय चंद्र शनिग्रही और झरना शनिग्रही पर कोर्ट कंप्लेन के जरिए हत्या को अंजाम देने की प्राथमिकी दर्ज करवायी थी. पूर्व में अंतरिक्ष की मौत की पूरी जांच रांची पुलिस और सीआईडी की ओर से की जा चुकी है. दोनों ही जांच में हत्या के सबूत नहीं मिले हैं.
ये भी पढ़ें-झारखंड उर्दू प्राथमिक शिक्षक संघ ने जारी किया निर्देश, कहा- शुक्रवार को बंद रखे सभी उर्दू स्कूल
क्यों की गई सीबीआई जांच की अनुशंसा
अंतरिक्ष की मां रूपाली महंती ने कई बार सीआईडी और पुलिस मुख्यालय में आवेदन समर्पित कर अनेक बिंदूओं पर अनुसंधान करने का आग्रह किया था. इस दौरान आवेदन में दिए गए बिंदूओं पर जांच की गई, लेकिन जांच में प्राथमिक अभियुक्तों के खिलाफ कोई ठोस साक्ष्य नहीं मिले. जांच से रूपाली महंती असंतुष्ट हैं. ऐसे में उन्होंने सीबीआई जांच की मांग को लेकर झारखंड हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी जिसके आधार पर हाई कोर्ट ने सीबीआई जांच की अनुशंसा कर दी.
अरगोड़ा पुलिस ने जांच के बाद केस को बंद कर दिया था
अंतरिक्ष के मौत के मामले में अरगोड़ा थाना में एफआईआर दर्ज हुई थी. एफआईआर में अज्ञात कार चालक पर मोटरसाइकिल सवार अंतरिक्ष को धक्का मारने का जिक्र था. अनुसंधान के बाद पुलिस ने मामले को दुर्घटना का मामला मानते हुए जांच की. फिर केस को सत्य लेकिन सूत्रहीन बताते हुए जांच बंद कर दिया. बाद में रूपाली महंती ने जनसंवाद में भी शिकायत किया, जिसमें उन्होंने अपने पति सुभाशीष पर ही षडयंत्र कर हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया. जनसंवाद में मुख्यमंत्री के आदेश के बाद 28 मार्च 2018 को सीआईडी ने जांच शुरू की थी.
सीआईडी को भी हत्या के सबूत नहीं मिले
सीआईडी में एसपी पी मुरूगन के पर्यवेक्षण में जांच शुरू हुई. डेढ़ साल चली जांच में सीआईडी को अभियुक्तों के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं मिला, जिससे यह पुष्टि होती की दुर्घटनाकारित कर अंतरिक्ष की हत्या को अंजाम दिया गया. सीआईडी को इस संबंध में कोई प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष साक्ष्य नहीं मिला.