रांचीः झारखंड में जाति प्रमाण पत्र बनाना काफी कठिन काम है. इसकी जानकारी शासन-प्रशासन से लेकर आम लोगों को है. इन कठिनाइयों को देखते हुए हेमंत सरकार ने सभी स्कूलों में बच्चों के जाति प्रमाण पत्र बनाने की तैयारी शुरू की. मुख्य सचिव ने फरवरी महीने में सभी उपायुक्तों को स्कूलों में जाति प्रमाण पत्र बनाने की व्यवस्था सुनिश्चित करने का निर्देश भी दिया. लेकिन चार माह बाद भी स्कूलों से जाति प्रमाण पत्र नहीं बन पाया है.
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सरकार के इस निर्णय पर विभागीय अधिकारियों की ओर से पायलट प्रोजेक्ट के तहत कुछ स्कूलों में काम शुरू किया गया. जिन स्कूलों में व्यवस्था शुरू की गई, उन स्कूलों के बच्चों के अभिभावकों ने जाति प्रमाण पत्र बनवाने को लेकर आवेदन भी स्कूल प्रबंधन को दिये. लेकिन सरकारी जटिलता के कारण बात वहीं की वहीं रह गई. स्थिति यह है कि एक भी बच्चों का जाति प्रमाण पत्र नहीं बन पाया है. जिला स्कूल रांची की प्राचार्य कुमारी दीपा चौधरी की मानें तो सरकार के निर्देश पर स्कूल के 123 बच्चों ने जाति प्रमाण पत्र के लिए आवेदन दिये. इन आवेदनों को प्रज्ञा केंद्र भेजा गया. लेकिन प्रज्ञा केंद्र से अभी तक एक भी जाति प्रमाण पत्र नहीं बना है. वहीं, प्रज्ञा केंद्र संचालक गोपाल कर्मकार ने बताया कि एससी-एसटी, बीसी-एक, बीसी-दो और ओबीसी के जाति प्रमाण पत्र बनते हैं. एससी-एसटी के आवेदक के खतियान 1950 और बीसी-1, बीसी-2 और ओबीसी के लिए 1978 से पूर्व के खतियान में जाति इंगित होना आवश्यक है. इसमें काफी दिक्कत है. इसकी वजह से जाति प्रमाण पत्र नहीं बन पा रहा है.
राज्य सरकार ने स्कूलों में जमा होने वाले जाति प्रमाण पत्र आवेदन को प्रज्ञा केंद्र और अंचल कार्यालय से टैग कर कास्ट सर्टिफिकेट बनाने का निर्णय लिया था. अभी तक प्रज्ञा केंद्र में आवेदन देने की व्यवस्था थी, जिस पर अंचल कार्यालय से स्वीकृति मिलने के बाद जारी होता था. छात्रा अलका कहती हैं कि एक महीना पहले एसटी वर्ग में जाति प्रमाण पत्र बनाने को लेकर आवेदन जमा किया. लेकिन आज तक प्रमाण पत्र नहीं मिला है. बहरहाल, राइट टू सर्विस के तहत जाति प्रमाण पत्र 15 दिनों के भीतर बनाने का प्रावधान है. लेकिन सरकार की जटिल प्रक्रिया के आगे यह पायलट प्रोजेक्ट भी दम तोड़ रहा है. इसका खामियाजा राज्य की जनता उठा रही है.