रांचीः झारखंड में हेमंत सोरेन के नेतृत्व में झामुमो, कांग्रेस और राजद गठबंधन की सरकार चल रही है. सरकार की सेहत पर कैमरे के समाने सवाल पूछने पर तीनों पार्टियों के नेताओं का एक ही बयान होता है कि सरकार अपना कार्यकाल पूरा करेगी. दूसरी तरफ ऑफ द रिकॉर्ड यह भी बातें होती हैं कि कहीं ना कहीं कुछ खिचड़ी पक रही है. इस बीच मई माह में मनी लॉन्ड्रिंग और अवैध माइनिंग को लेकर ईडी की एंट्री के बाद आए दिन सरकार की सेहत को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं.
इन तमाम आशंकाओं के बीच झामुमो की कुछ जिला इकाइयों ने अपने ट्विटर हैंडल का प्रोफाइल फोटो बदलते हुए एक संदेश जारी कर झारखंड की राजनीति को नई हवा दे दी है. ट्विटर के जरिए झामुमो की जिला इकाइयों ने लिखा है कि 'हेमंत नहीं तो कौन' ?. इस पर जब बहस छिड़ी तो उसी ट्विटर हैंडल पर जवाब भी दिया गया कि हेमंत नहीं तो कौन का मतलब है कि झारखंड में कोई भी विकल्प नहीं है हेमंत सोरेन जी के अलावा. लगातार अपने कार्यों से विपक्ष के सभी नेताओं को धराशाई कर चुके हैं हेमंत सोरेन जी.
हेमंत नहीं तो कौन वाले हैसटैग के ट्रेंड करने पर भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने चुटकी लेते हुए ट्वीट किया है. उन्होंने लिखा है कि परिवारवाद से ग्रस्त पार्टियों द्वारा हमेशा एक पॉलिटिकल नैरेटिव बनाया जाता है, जिसमें वंशवाद से उपजे नेताओं को मसीहा बताया जाता है. एक धारणा बनाई जाती है कि उस मसीहा के अलावा कोई भी सत्ता में बैठने के काबिल नहीं है. उदाहरण के तौर पर झामुमो द्वारा आज का ट्रेंड - हेमंत नहीं तो कौन?
हेमंत नहीं तो कौन वाली हैसटैग पर बहस छिड़ी तो गोड्डा से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने सीएम पर चुटकी लेते हुए लिखा है कि भाजपा का एक साधारण कार्यकर्ता भी हेमंत सोरेन जी से बेहतर मुख्यमंत्री होगा. दूसरी तरफ झामुमो नेताओं ने इसे इन्नोवेटिव आइडिया बताते हुए कहा कि इसमें कोई शक नहीं कि सिर्फ हेमंत सोरेन ही हैं जो इस पार्टी को लीड कर सकते हैं.