रांचीः क्या आपने सांसद की चलती-फिरती किताब की दुकान देखी है. अगर नहीं तो हम आपको ऐसी दुकान दिखा रहे हैं, जहां ना तो किताबें बिकती हैं और ना खरीदी जाती हैं. इसके जरिए जरुरतमंदों तक सहायता पहुंचायी जाती है.
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रांची से भाजपा के सांसद संजय सेठ इन दिनों एक बुक बैंक चला रहे हैं. इसके जरिए लोगों के पास पड़ी गैर जरूरी किताबें कलेक्ट की जाती हैं और जरूरतमंदों के बीच मुफ्त में बांटी जाती है.
अब तक 80 हजार से ज्यादा किताबें मुफ्त बांटी गई
अपने क्षेत्र भ्रमण के दौरान जरूरतमंदों के बीच शिक्षा की अलख जगाने में लगे सांसद संजय सेठ ना केवल किताब वितरित करते हैं बल्कि घर में बेकार पड़ी किताब भी अपने बुक बैंक के लिए जमा करते हैं. सांसद के इस बुक बैंक में अब तक एक लाख 30 हजार किताबें जमा हो चुकी हैं, जिसमें 80 हजार जरुरतमंदों के बीच किताबें निशुल्क वितरित की जा चुकी हैं.
इसे बुक बैंक में ना केवल कक्षा एक से लेकर 12वीं तक की किताबें मिलती हैं बल्कि इंजीनियरिंग, लॉ और मैनेजमेंट के साथ-साथ कम्पीटिशन की किताबें भी मिलती हैं. सांसद संजय सेठ इस मुहिम को विद्यादान मानते हुए समाज के लोगों का मिल रहे सहयोग पर खुशी जतायी है. सांसद संजय सेठ की मानें तो जरुरतमंद बच्चे केवल आधार कार्ड दिखाकर एक साल के लिए किताब ले सकते हैं.
लाभुक में गरीब बच्चों के साथ निशक्त भी
समाज में ऐसे लोगों की तादाद कम नहीं जो अपने बच्चों के लिए किताबें खरीद पाएं. सांसद की यह मुहिम इलाके में शिक्षा की जड़ को मजबूत कर रही है. कलेक्शन और वितरण के जरिए मुफ्त में किताब का फायदा उठा रहे छात्रों में कई ऐसे भी बच्चे हैं जो निशक्त और गरीब हैं.
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राजधानी के विद्यानगर रोड नं 01 के रहनेवाले लाभुक विकास कुमार ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि किताब मिल जाने के बाद उन्हें कम्पीटिशन की तैयारी करने में सहुलियत मिलेगी. इसी तरह रांची मारवाड़ी कॉलेज में पढ़ रहे छात्र अनुज कुमार मुफ्त किताब पाकर काफी खुश हैं. अनुज का मानना है कि इससे गरीब बच्चों को बहुत लाभ मिलेगा.
आमतौर पर घरों में बच्चों के बड़े होने के बाद निचले दर्जे की किताब यूं ही पड़ी रह जाती हैं. ऐसे में इसका सदुपयोग जरुरतमंदों को देकर किया जाए तो वाकई में यह किसी दान से कम नहीं है. यही वजह है कि सांसद संजय सेठ की यह पहल लोगों को भा रहा है और लोग बुक बैंक में किताब दे भी रहे हैं और यहां से ज्ञान की किताबें ले भी रहे हैं.