रांची: राजधानी रांची में पड़ने वाले अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित खिजरी विधानसभा को लेकर सत्ताधारी बीजेपी का दावा है कि उसके मुकाबले में विपक्ष दूर-दूर तक कहीं नहीं है. 2009 के विधानसभा चुनाव में शिकस्त खाने वाले और 2014 में जीत का परचम लहराने वाले बीजेपी के विधायक रामकुमार पाहन ने दावा किया कि राज्य और केंद्र सरकार के विकास कार्यों का नतीजा 2019 में होने वाले विधानसभा चुनाव में भी देखने को मिलेगा.
75 फीसदी आबादी ग्राणीण
लगभग 6 अलग-अलग ब्लॉक में फैले इस विधानसभा इलाके की 25% आबादी शहरी है, जबकि 75% गांव में रहती है. राज्य बनने के बाद 2005 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी के कद्दावर नेता करिया मुंडा ने इस विधानसभा इलाके से जीत दर्ज की थी. वहीं 2009 में कांग्रेस के सावना लकड़ा ने तत्कालीन बीजेपी के उम्मीदवार पाहन को हराया था.
क्या रही हैं मुख्य समस्या
समस्याओं की बात करें तो इस इलाके में सड़क और शिक्षा को लेकर लोग संघर्ष करते रहे हैं. दरअसल कई ऐसे ग्रामीण इलाके हैं जिनका मुख्यालय से कनेक्शन सड़क के अभाव में कटा रहा है. हालांकि, मौजूदा विधायक ने दावा किया कि उनके कार्यकाल में कई सड़कें बनी है, जिससे लोगों को राजधानी रांची में जाने में अब सहूलियत होती है. इसके साथ ही इलाके में कॉलेज और पॉलिटेक्निक कॉलेज भी खोले गए हैं.
बीजेपी सरकार से नाराज है जनता: विपक्ष
झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमिटी प्रवक्ता लाल किशोर नाथ शाहदेव ने कहा कि अब चुनाव होनेवाला है और जनता को निर्णय लेना है कि जो जनप्रतिनिधि उन्होंने चुना है वह उनकी अपेक्षा के अनुरूप कितना खरा उतरा है. उन्होंने कहा कि राज्यभर में लोग मौजूदा बीजेपी सरकार को लेकर नाराज हैं. ऐसे में खिजरी में भी लोगों के बीच नाराजगी नजर आ रही है. शाहदेव ने कहा कि बीजेपी सरकार पूरी तरह से हर मोर्चे पर विफल साबित हुई है.
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आंकड़ों पर गौर करें तो 2014 के विधानसभा चुनाव में कुल 1.80 लाख से अधिक वोट पड़े थे जो कुल मतदाताओं का लगभग 60% रहा. वहीं वोट शेयर के हिसाब से बीजेपी को 52.48% वोट मिले, जबकि कांग्रेस को महज 16.46 पर संतोष करना पड़ा. इलाके के लिंगानुपात पर गौर करें तो इलाके का लिंगानुपात 910 है, जिसके हिसाब से हजार पुरुष पर 910 महिलाएं हैं.