रांचीः राजधानी में स्थित मांडर विधानसभा इलाका अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है. एक तरफ जहां यह इलाका रांची जिले में पड़ता है, तो वहीं इसका संसदीय क्षेत्र लोहरदगा है. 2011 के जनगणना के अनुसार इसकी 100% आबादी ग्रामीण इलाके में वास करती है. करीब 4.62 लाख की आबादी वाले इस इलाके में लगभग 60% अनुसूचित जनजाति के लोग रहते हैं. 2018 में तैयार किए गए वोटर लिस्ट के अनुसार इस विधानसभा क्षेत्र में 3 लाख से अधिक इलाके में वोटर हैं.
गंगोत्री कुजूर और तृणमूल के बंधु तिर्की में था मुकाबला
दरअसल, 2014 के विधानसभा चुनाव में मुख्य मुकाबला बीजेपी के गंगोत्री कुजूर और तृणमूल कांग्रेस के बंधु तिर्की के बीच था. बंधु तिर्की राज्य गठन के बाद 2005 और 2009 में हुए विधानसभा चुनाव में इस इलाके से चुनकर झारखंड विधानसभा पहुंचे थे. जबकि गंगोत्री पहली महिला विधायक है जिन्होंने इस इलाके से जीत दर्ज की थी. 2014 में बीजेपी को 28.5% वोट मिले तो वहीं दूसरे स्थान पर रहे बंधु तिर्की को 24.5% वोट मिले थे.
क्या है इलाके की समस्या
मांडर इलाका मूल रूप से मिशनरियों के प्रभाव वाला इलाका है. शिक्षा और सड़क यहां की मौलिक समस्याएं रही है. मौजूदा विधायक गंगोत्री कुजूर का दावा है कि इन दोनों क्षेत्रों में पिछले साढ़े 4 साल में काफी काम हुआ है, हालांकि पूर्व विधायक तिर्की ने कहा कि जनता से मौजूदा विधायक का कनेक्ट कमजोर है. यही वजह है कि आगामी विधानसभा चुनाव में कुजूर कहीं नहीं टिकेगी.
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नए चेहरे पर दांव खेलने के मूड में बीजेपी
वहीं, इस बार बंधु तिर्की जेवीएम से संभावित उम्मीदवार होंगे, जबकि बीजेपी में अभी तक यह तय नहीं है कि सीटिंग विधायक को टिकट मिलेगा या फिर वहां से किसी नए चेहरे पर पार्टी दांव खेलने के मूड में है.