रांची: बीजेपी के प्रवक्ता सरोज सिंह ने रविवार को सोशल मीडिया में सत्ता के कथित पैरोकार अरुण वर्मा की ट्वीट पर प्रतिक्रिया व्यक्त की. उन्होने कहा कि अरुण वर्मा जी, आप कौन हैं? यह आपके प्रोफाइल से पता नहीं चलता है. आपको इतनी गंभीर और सत्ताशीर्ष के अंदर की बात पता है और शासकों के बेहद करीबी हैं. इतने जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों के बारे में दनादन ट्वीट कर रहे हैं. तो आपका प्रोफाइल भी पता चलना चाहिए. प्रवक्ता सरोज सिंह ने कहा कि वे झारखंड के मुख्य सचिव प्रभारी डीजीपी और साइबर सेल से भी मांग कर रहे हैं कि उनकी पहचान के बारे में बताएं.
झारखंड सरकार से मरवाएं छापा
बीजेपी प्रवक्ता ने कहा है कि अगर बाबूलाल के नाम की आड़ में कोई भी कालाबाजारी कर रहा है या करवा रहा है. तो उसे पकड़ कर जेल भेजा जाए. बाबूलाल मरांडी की दुमका के गांधी मैदान के नजदीक वाली बेनामी संपत्ति को झारखंड सरकार से तुरंत छापा मरवाकर उसे जब्त कराना चाहिए. एक महीने भी नहीं हुए योगेन्द्र तिवारी को जामताड़ा पुलिस ने पकड़ा और फिर छोड़ दिया. तो बाबूलाल ने उस मामले की जांच एसआईटी से कराने के लिए मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है. ताकि पता चल सके कि वह कैसे पकड़ा गया और पकड़ा गया तो बिना जेल गये कैसे छूट गया.
हेमंत सरकार से की अपील
उन्होंने कहा है कि बाबूलाल से उनकी बात हुई है. उन्होंने उन जैसे सरकार के शुभचिंतकों के माध्यम से हेमंत सोरेन सराकर से अपील की है कि उनका जो भी दुमका, देवघर, धनबाद समेत जहां कहीं भी नामी-बेमानी सम्पत्ति और जमीन, मकान, खान, खदान बालू-पत्थर, कोयला, स्कूल,कालेज या जिस किसी भी चीज का बेनामी कारोबार है. उसे मरांडी झारखंड सराकर को दान में देते हैं. इससे पहले सराकर उस सारे संपत्ति को कब्जे में ले ले. फिर बाबूलाल मरांडी पर ऐसे नामी-बेनामी भ्रष्टाचार के लिये मुकदमा कर तुरंत जांच कराएं. इस काम में मरांडी जी से जो भी सहयोग अपेक्षित होगा, वे खुद वहां खड़ा रहकर करेंगे.
जांच होगा स्वीकार्य
उन्होंने कहा कि झारखंड की जनता को यह जानने का हक है कि कौन-कौन नेता और उसके परिवार के लोग नामी-बेनामी जमीन-जायदाद, मकान, बालू, कोयला, पत्थर के खान-खदान का जायज-नाजायज गोरखधंधा करते आ रहे हैं. राज्य सरकार के पास पुलिस की विशेष शाखा जैसी खुद की जांच एजेंसी है. अगर हेमंत सरकार उसकी जांच कराकर रिपोर्ट सार्वजनिक कर दे तो स्वीकार्य होगा. जांच में जहां भी मरांडी जी के सहयोग की भी जजरूरत होगी, तो वे विशेष शाखा के अधिकारियों के लिये सदैव उपलब्ध रहेंगे.
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झारखंड और सोशल मीडिया में पिछले कुछ दिनों से सुरेश नागरे नाम चर्चा का विषय बना हुआ है. ये शख्स झारखंड में कब आया और किसका-किसका, किन-किन चीजों मे पार्टनर है और क्या धंधा करता रहा है, वे मुख्यमंत्री से मांग करते हैं कि बिना विलंब किये इस बारे में आधिकारिक तौर पर राज्य की जनता को बताएं.