रांची: 11 जनवरी का दिन झारखंड की राजनीति के लिहाज से बेहद खास है. आज के दिन राज्य के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों शिबू सोरेन और बाबूलाल मरांडी का जन्मदिन है. जेएमएम के अध्यक्ष शिबू सोरेन अपना 77वां जन्मदिन मना रहें हैं तो वहींं, बीजेपी के नेता भी अपने विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी का जन्मदिन मना रहे हैं.
शिबू सोरेन का जन्मदिन
शिबू सोरेन का जन्म 11 जनवरी, 1944 को तत्कालीन बिहार के हजारीबाग जिला अंतर्गत नेमरा गांव में हुआ था, जो वर्तमान में झारखंड के रामगढ़ जिला अंतर्गत है. शिबू सोरेन तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री रहे हैं. वह केंद्र सरकार में भी मंत्री रह हैं. अब वे राजनीति में अधिक सक्रिय नहीं हैं, उनके बेटे हेमंत सोरेन उनकी विरासत को संभाल रहे हैं. हेमंत राज्य के मुख्यमंत्री हैं. शिबू सोरेन को लोग 'दिशोम गुरु' भी कहते हैं.
शिबू सोरेन को हमेशा संघर्ष और अलग झारखंड राज्य के पुरोधा के रूप में जाना जाता है. भले ही मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने लंबी पारी नहीं खेली. इसके बावजूद झारखंड का सबसे मजबूत राजनीतिक शख्सियत शिबू सोरेन ही हैं. वो खुद राज्यसभा के सदस्य हैं, उनके बेटे हेमंत सोरेन राज्य के मुख्यमंत्री हैं. वहीं बड़ी बहू सीता सोरेन और छोटे बेटे बसंत सोरेन विधायक हैं. दिशोम गुरु की पत्नी रूपी सोरेन जेएमएम की उपाध्यक्ष हैं. राजनीतिक सफलता के शिखर पर होने के बावजूद शिबू सोरेन का वृहत झारखंड का सपना अभी भी अधूरा है.
बाबूलाल मरांडी का जन्मदिन
झारखंड के पहले मुख्यमंत्री रहे बाबूलाल मरांडी का जन्म 11 जनवरी 1958 को गिरिडीह जिले के कोडिया बैंक गांव में हुआ था. वह झारखंड विकास मोर्चा के संस्थापक और राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे, उनकी पार्टी जेवीएम का अब बीजेपी में विलय हो चुका है. अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में वह वन और पर्यावरण मंत्री रहे. बाबूलाल मरांडी विश्व हिंदू परिषद के आयोजन सचिव के पद पर भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं. 1983 में दुमका चले जाने के बाद बाबूलाल मरांडी ने अपनी शुरूआती जीवन आरएसएस मुख्यालय में व्यतीत किया. 2007 में हुए एक नक्सल हमले में बाबूलाल मरांडी के एक बेटे की मृत्यु हो गई थी.
किसान परिवार में जन्मे बाबूलाल मरांडी ने गिरिडीह के देवरी में प्राथमिक विद्यालय में बतौर शिक्षक नौकरी की. फिर विभागीय अधिकारियों से कुछ ऐसी बात हो गई कि शिक्षक बाबूलाल मरांडी ने राजनीति की राह पकड़ ली. संघ में सक्रिय होने के बाद बाबूलाल मरांडी साल 1990 में बीजेपी के संथाल परगना के संगठन मंत्री के रूप में काम किया. दो बार दिशोम गुरु से चुनावी समर में पराजित होने के बाद साल 1998 में उन्होंने शिबू सोरेन को और फिर 1999 में उनकी पत्नी रूपी सोरेन को हराकर अपनी राजनीतिक धाक जमाई. झारखंड राज्य अलग होने पर बाबूलाल मरांडी झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बने.
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शिबू सोरेन और बाबूलाल मरांडी का जन्मदिवस एक ही दिन पड़ता है और यह दोनों जननेता झारखंड के लिए काफी अहम माने जाते हैं. दोनों दिग्गज नेताओं के जन्म दिवस के अवसर पर कई जगह कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है.