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इंजीनियर्स डेः भारत में मनाया जा रहा है अभियंता दिवस, पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी ने भारत रत्न मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया को किया याद

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Published : Sep 15, 2021, 10:36 AM IST

इंजीनियर्स डे के अवसर पर बुधवार को झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री ने महान इंजीनियर और भारत रत्न मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया को याद किया. इस मौके पर उन्होंने देश के अभियंताओं को शुभकामनाएं भी दी हैं.

Engineers Day
इंजीनियर्स डे

रांची: महान इंजीनियर और भारत रत्न मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया की जयंती के अवसर पर आज (15 सितंबर को) देश में इंजीनियर्स-डे मनाया जा रहा है. इस मौके पर देश की आर्थिक प्रगति और विकास में योगदान करने वाले इंजीनियर्स को शुभकामना संदेश दिया जा रहा है. झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने भी देश के इंजीनियर्स को इस अवसर पर शुभकामना दी है.

देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका

बाबूलाल मरांडी ने अपने शुभकामना संदेश में मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया को याद किया है. उन्होंने लिखा कि महान अभियंता एवं भारत रत्न से अलंकृत डॉक्टर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया की जयंती पर उन्हें कोटिश: नमन. इसके बाद इंजीनियरों को बधाई देते हुए बाबूलाल मरांडी ने लिखा कि और देश के निर्माण और विकास में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे समस्त अभियंताओं को अभियंता दिवस की शुभकामना.

babulal marandi best wishes
बाबूलाल मरांडी का शुभकामना संदेश

क्यों मनाया जाता है इंजीनियर्स-डे

अभियंता दिवस पर विज्ञान और प्रौद्योगिकी के हर क्षेत्र में हमारे इंजीनियर्स की उपलब्धियों पर गर्व महसूस किया जाता है. इंजीनियर्स को देश की आर्थिक प्रगति और विकास में उल्लेखनीय योगदान के लिए जाना जाता है. अभियंता दिवस पर इंजीनियरों की पिछली उपलब्धियों की सराहना करना और वर्तमान इंजीनियरिंग ट्रेंड का गुणगान करने के लिए मनाया जाता है. यह दिन हमारे जीवन में आधुनिक इंजीनियरिंग की दुनिया और इंजीनियरों के महत्व को दर्शाता है.

कौन थे इंजीनियर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया

15 सितंबर, 1861 को कर्नाटक के चिकबल्लापुर जिले के मुद्दनेहल्ली गांव में जन्मे मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया ने मद्रास विश्वविद्यालय से बीए ( Bachelor of Arts) की पढ़ाई की थी. बाद में पुणे के कॉलेज ऑफ साइंस से सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की. इसके बाद उन्होंने कई ऐसे काम किए जिससे उन्हें आज तक राष्ट्र निर्माता के तौर पर जाना जाता है. आइए एक नजर उनकी उपलब्धियों पर डालते हैं.

  1. सिंचाई प्रणाली का पेटेंट: डॉक्टर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया ने खड़कवासला जलाशय में एक सिंचाई प्रणाली का पेटेंट कराया, जिसका उद्देश्य खाद्य आपूर्ति स्तर और भंडारण को उच्चतम स्तर तक बढ़ाना था. इस सिस्टम को ग्वालियर के तिघरा बांध और मैसूर के कृष्णराज सागर बांध पर स्थापित किया गया. जिसके बाद यह उस समय एशिया का सबसे बड़ा जलाशय बन गया था.
  2. बाढ़ सुरक्षा प्रणाली का डिजाइन: हैदराबाद में, विश्वेश्वरैया ने बाढ़ सुरक्षा प्रणाली को डिजाइन किया था, इससे उन्हें काफी प्रसिद्धि मिली
  3. मैसूर का दिवान बनें: अपने कार्यकाल में मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया ने मैसूर में कृषि, सिंचाई, औद्योगिकीकरण, शिक्षा, बैंकिंग और वाणिज्य के क्षेत्र में बड़े बदलाव किए
  4. 1955 में मिला भारत रत्न: मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया को उनके कार्यों के लिए 1955 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया.

1968 को घोषित किया गया अभियंता दिवस

1968 में एम विश्वैश्वरैया के निधन के बाद भारत सरकार ने उनके जन्म दिवस (15 सितंबर) के अवसर पर इंजीनियर्स डे को मनाने की घोषणा की. जिसके बाद से हरेक साल 15 सितंबर को इंजीनियर डे मनाया जाता है.

रांची: महान इंजीनियर और भारत रत्न मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया की जयंती के अवसर पर आज (15 सितंबर को) देश में इंजीनियर्स-डे मनाया जा रहा है. इस मौके पर देश की आर्थिक प्रगति और विकास में योगदान करने वाले इंजीनियर्स को शुभकामना संदेश दिया जा रहा है. झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने भी देश के इंजीनियर्स को इस अवसर पर शुभकामना दी है.

देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका

बाबूलाल मरांडी ने अपने शुभकामना संदेश में मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया को याद किया है. उन्होंने लिखा कि महान अभियंता एवं भारत रत्न से अलंकृत डॉक्टर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया की जयंती पर उन्हें कोटिश: नमन. इसके बाद इंजीनियरों को बधाई देते हुए बाबूलाल मरांडी ने लिखा कि और देश के निर्माण और विकास में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे समस्त अभियंताओं को अभियंता दिवस की शुभकामना.

babulal marandi best wishes
बाबूलाल मरांडी का शुभकामना संदेश

क्यों मनाया जाता है इंजीनियर्स-डे

अभियंता दिवस पर विज्ञान और प्रौद्योगिकी के हर क्षेत्र में हमारे इंजीनियर्स की उपलब्धियों पर गर्व महसूस किया जाता है. इंजीनियर्स को देश की आर्थिक प्रगति और विकास में उल्लेखनीय योगदान के लिए जाना जाता है. अभियंता दिवस पर इंजीनियरों की पिछली उपलब्धियों की सराहना करना और वर्तमान इंजीनियरिंग ट्रेंड का गुणगान करने के लिए मनाया जाता है. यह दिन हमारे जीवन में आधुनिक इंजीनियरिंग की दुनिया और इंजीनियरों के महत्व को दर्शाता है.

कौन थे इंजीनियर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया

15 सितंबर, 1861 को कर्नाटक के चिकबल्लापुर जिले के मुद्दनेहल्ली गांव में जन्मे मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया ने मद्रास विश्वविद्यालय से बीए ( Bachelor of Arts) की पढ़ाई की थी. बाद में पुणे के कॉलेज ऑफ साइंस से सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की. इसके बाद उन्होंने कई ऐसे काम किए जिससे उन्हें आज तक राष्ट्र निर्माता के तौर पर जाना जाता है. आइए एक नजर उनकी उपलब्धियों पर डालते हैं.

  1. सिंचाई प्रणाली का पेटेंट: डॉक्टर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया ने खड़कवासला जलाशय में एक सिंचाई प्रणाली का पेटेंट कराया, जिसका उद्देश्य खाद्य आपूर्ति स्तर और भंडारण को उच्चतम स्तर तक बढ़ाना था. इस सिस्टम को ग्वालियर के तिघरा बांध और मैसूर के कृष्णराज सागर बांध पर स्थापित किया गया. जिसके बाद यह उस समय एशिया का सबसे बड़ा जलाशय बन गया था.
  2. बाढ़ सुरक्षा प्रणाली का डिजाइन: हैदराबाद में, विश्वेश्वरैया ने बाढ़ सुरक्षा प्रणाली को डिजाइन किया था, इससे उन्हें काफी प्रसिद्धि मिली
  3. मैसूर का दिवान बनें: अपने कार्यकाल में मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया ने मैसूर में कृषि, सिंचाई, औद्योगिकीकरण, शिक्षा, बैंकिंग और वाणिज्य के क्षेत्र में बड़े बदलाव किए
  4. 1955 में मिला भारत रत्न: मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया को उनके कार्यों के लिए 1955 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया.

1968 को घोषित किया गया अभियंता दिवस

1968 में एम विश्वैश्वरैया के निधन के बाद भारत सरकार ने उनके जन्म दिवस (15 सितंबर) के अवसर पर इंजीनियर्स डे को मनाने की घोषणा की. जिसके बाद से हरेक साल 15 सितंबर को इंजीनियर डे मनाया जाता है.

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