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बिरसा कृषि विश्वविद्यालय ने मनाया विश्व दुग्ध दिवस, देसी गाय पालन पर जोर

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Published : Jun 2, 2021, 2:29 AM IST

Updated : Jun 2, 2021, 6:19 AM IST

रांची में बिरसा कृषि विश्वविद्यालय ने विश्व दूध दिवस मनाया. बिरसा कृषि विश्वविद्यालय की ओर से संचालित केवीके में विश्व दुग्ध दिवस के मौके पर राज्यस्तरीय वेबिनार का किया आयोजन गया.

Birsa Agricultural University celebrated World Milk Day in Ranchi
बिरसा कृषि विश्वविद्यालय

रांचीः बिरसा कृषि विश्वविद्यालय की ओर से संचालित सभी केवीके में मंगलवार को विश्व दुग्ध दिवस मनाया गया. इस मौके पर बीएयू के पशु चिकित्सा संकाय और केवीके गढ़वा के संयुक्त तत्वावधान में राज्यस्तरीय वेबिनार का आयोजन किया गया.

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इस वेबिनार को संबोधित करते हुए बतौर मुख्य अतिथि डीन वेटनरी डॉ. सुशील प्रसाद ने झारखंड में जलवायु परिवर्तन के आलोक में डेयरी व्यवसाय की ओर से आर्थिक विकास की चुनौतियां एवं प्रबंधन पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टिट्यूट की हाल के रिपोर्ट में बढती गर्मी के प्रभाव से पशु चारे एवं दाने में कमी तथा दुग्ध उत्पादन की बात कही है. उन्होंने विदेशी एवं संकर नस्ल गाय और भैंस की अपेक्षा देसी नस्ल की गाय और भैंस को जलवायु परिवर्तन का दबाव झेलने में सक्षम बताया. देसी गाय का दूध की गुणवत्ता बहुत अच्छी है. प्रदेश में देसी नस्ल की गाय और भैंस पालकों को प्रोत्साहित कर दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने की आवश्यकता है.

मौके पर निदेशालय डेयरी विकास के तकनीकी पदाधिकारी मिथिलेश कुमार सिंह ने झारखंड सरकार की विभिन्न डेयरी योजनाओं पर प्रकाश डाला. वेटनरी कॉलेज के पशु शरीर संरचना विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. सुरेश मेहता ने डेयरी व्यवसाय में प्रबंधन एवं संभावनाएं तथा पशु औषधि विभाग की प्राध्यापिका डॉ. स्वाति सहाय ने पशु स्वास्थ्य का दुग्ध उत्पादन पर प्रभाव पर प्रकाश डाला. वेबिनार में स्वागत भाषण केवीके प्रधान डॉ. अशोक कुमार ने दी. कार्यक्रम की संयोजिका डॉ. सुषमा ललिता बाखला ने विश्व दुग्ध दिवस की महत्ता एवं उद्देश्य के बारे में बताया. धन्यवाद ज्ञापन डॉ. सुधीर कुमार झा ने दिया.

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बीएयू मुख्यालय में निदेशालय प्रसार शिक्षा की ओर से आयोजित वेबिनार में केवीके–पू र्वी सिंहभूम, सरायकेला, सिमडेगा, लोहरदगा, बोकारो एवं धनबाद के वैज्ञानिकों एवं प्रगतिशील पशुपालकों ने भाग लिया. मौके पर निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ. जगरनाथ उरांव ने कहा कि आईसीएआर के निर्देश पर देश के सभी 721 कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) में इस दिवस का आयोजन हो रहा है. ग्रामीण एवं शहरी आबादी हेतु सुरक्षित और स्वच्छ दूध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए केवीके वैज्ञानिकों को पशुपालकों के बीच जागरूकता फैलाने की जरूरत पर बल दिया.

अपर निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ. एस कर्मकार ने हर जिला में हरा चारा की खेती को बढ़ावा देकर दूध की उत्पादकता एवं गुणवत्ता में बढ़ोतरी के साथ जैविक कृषि को प्राथमिकता देने की बात कही. कार्यक्रम में डॉ. एके मिश्रा, डॉ. ललित दास, डॉ. सुषमा सरोज सुरिन, डॉ. कंचन बाला, डॉ. आरती बीना एक्का ने भी अपने विचारों को रखा. संचालन डॉ पंकज सेठ तथा स्वागत भाषण एवं धन्यवाद डॉ. बधनु उरांव ने दी. इस मौके पर डॉ. रंजय कुमार सिंह, डॉ. बीपी राय, पशु चिकित्सक डॉ. सूभासी एवं डॉ. अनील कुमार लुगनु ने अपने विचारों को रखा.

रांचीः बिरसा कृषि विश्वविद्यालय की ओर से संचालित सभी केवीके में मंगलवार को विश्व दुग्ध दिवस मनाया गया. इस मौके पर बीएयू के पशु चिकित्सा संकाय और केवीके गढ़वा के संयुक्त तत्वावधान में राज्यस्तरीय वेबिनार का आयोजन किया गया.

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इस वेबिनार को संबोधित करते हुए बतौर मुख्य अतिथि डीन वेटनरी डॉ. सुशील प्रसाद ने झारखंड में जलवायु परिवर्तन के आलोक में डेयरी व्यवसाय की ओर से आर्थिक विकास की चुनौतियां एवं प्रबंधन पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टिट्यूट की हाल के रिपोर्ट में बढती गर्मी के प्रभाव से पशु चारे एवं दाने में कमी तथा दुग्ध उत्पादन की बात कही है. उन्होंने विदेशी एवं संकर नस्ल गाय और भैंस की अपेक्षा देसी नस्ल की गाय और भैंस को जलवायु परिवर्तन का दबाव झेलने में सक्षम बताया. देसी गाय का दूध की गुणवत्ता बहुत अच्छी है. प्रदेश में देसी नस्ल की गाय और भैंस पालकों को प्रोत्साहित कर दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने की आवश्यकता है.

मौके पर निदेशालय डेयरी विकास के तकनीकी पदाधिकारी मिथिलेश कुमार सिंह ने झारखंड सरकार की विभिन्न डेयरी योजनाओं पर प्रकाश डाला. वेटनरी कॉलेज के पशु शरीर संरचना विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. सुरेश मेहता ने डेयरी व्यवसाय में प्रबंधन एवं संभावनाएं तथा पशु औषधि विभाग की प्राध्यापिका डॉ. स्वाति सहाय ने पशु स्वास्थ्य का दुग्ध उत्पादन पर प्रभाव पर प्रकाश डाला. वेबिनार में स्वागत भाषण केवीके प्रधान डॉ. अशोक कुमार ने दी. कार्यक्रम की संयोजिका डॉ. सुषमा ललिता बाखला ने विश्व दुग्ध दिवस की महत्ता एवं उद्देश्य के बारे में बताया. धन्यवाद ज्ञापन डॉ. सुधीर कुमार झा ने दिया.

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बीएयू मुख्यालय में निदेशालय प्रसार शिक्षा की ओर से आयोजित वेबिनार में केवीके–पू र्वी सिंहभूम, सरायकेला, सिमडेगा, लोहरदगा, बोकारो एवं धनबाद के वैज्ञानिकों एवं प्रगतिशील पशुपालकों ने भाग लिया. मौके पर निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ. जगरनाथ उरांव ने कहा कि आईसीएआर के निर्देश पर देश के सभी 721 कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) में इस दिवस का आयोजन हो रहा है. ग्रामीण एवं शहरी आबादी हेतु सुरक्षित और स्वच्छ दूध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए केवीके वैज्ञानिकों को पशुपालकों के बीच जागरूकता फैलाने की जरूरत पर बल दिया.

अपर निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ. एस कर्मकार ने हर जिला में हरा चारा की खेती को बढ़ावा देकर दूध की उत्पादकता एवं गुणवत्ता में बढ़ोतरी के साथ जैविक कृषि को प्राथमिकता देने की बात कही. कार्यक्रम में डॉ. एके मिश्रा, डॉ. ललित दास, डॉ. सुषमा सरोज सुरिन, डॉ. कंचन बाला, डॉ. आरती बीना एक्का ने भी अपने विचारों को रखा. संचालन डॉ पंकज सेठ तथा स्वागत भाषण एवं धन्यवाद डॉ. बधनु उरांव ने दी. इस मौके पर डॉ. रंजय कुमार सिंह, डॉ. बीपी राय, पशु चिकित्सक डॉ. सूभासी एवं डॉ. अनील कुमार लुगनु ने अपने विचारों को रखा.

Last Updated : Jun 2, 2021, 6:19 AM IST
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