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स्वच्छ भारत स्वच्छ रेल : रांची की ट्रेनों में भी बायो टॉयलेट की सुविधा, गंदगी से मिल रहा छुटकारा - स्वच्छ भारत स्वच्छ रेल योजना

रांची रेल मंडल की ट्रेनों में भी अब रांची की ट्रेनों में भी बायो टॉयलेट की सुविधा मिल रही है. स्वच्छ भारत स्वच्छ रेल योजना के तहत अगले कुछ सालों में देशभर के सभी ट्रेनों में बायो टॉयलेट का इस्तेमाल करने की योजना है.

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Published : Aug 24, 2019, 3:27 PM IST

रांची: देशभर के ट्रेनों के शौचालय के उपयोग से प्रत्येक दिन हजारों मीट्रिक टन मानव अपशिष्ट रेलवे ट्रैक पर गिरता था. इससे वातावरण तो दूषित होता ही है, ट्रेक का मेंटेनेंस करने में भी रेल कर्मचारियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. हालांकि स्वच्छ भारत अभियान के तहत भारतीय रेल ने बायो टॉयलेट प्रोजेक्ट शुरू कर इस दिशा में सराहनीय उपलब्धि हासिल की है. इसके माध्यम से यात्रियों को संक्रमणीय होने से भी बचाया जा रहा है, वहीं इस टॉयलेट के कई फायदे भी हैं. रांची की ट्रेनों में भी बायो टॉयलेट की सुविधा मिल रही है.

देखें स्पेशल स्टोरी

2011 में हुई थी शुरूआत
जनवरी 2011 में पहली बार वाराणसी-बुंदेलखंड एक्सप्रेस में रांची की ट्रेनों में भी बायो टॉयलेट की सुविधा दी गई थी. उसके बाद स्वच्छ भारत स्वच्छ रेल योजना के तहत इस दिशा में युद्धस्तर पर काम हुए हैं. कुछ आंकड़ों पर गौर करें तो वर्ष 2017-18 के दौरान ही भारतीय रेलवे ने अपने डिब्बों में सबसे अधिक बायो-टॉयलेट लगवाए हैं. वहीं 2018-19 तक लक्ष्य के अनुरूप इस दिशा में 80 प्रतिशत से अधिक काम हुए हैं. यानी कि कई ट्रेनों में बायो टॉयलेट लगाए गए हैं. रांची रेल मंडल ने तो इस लक्ष्य को छू भी लिया है, रांची रेल मंडल में 750 के आस-पास बायो टॉयलेट लगाने का लक्ष्य रखा गया था और इस लक्ष्य को लगभग इस रेल मंडल ने छू भी लिया है. मात्र 14 कोच को छोड़कर बाकी तमाम कोचो पर बायो टॉयलेट लगा दिए गए हैं, एक से डेढ़ महीने के अंदर इन 14 कोच पर भी बायो टॉयलेट लगा दिए जाएंगे.

ये भी पढ़ें- झारखंड विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटी BJP, प्रभारी ओम माथुर के साथ कोर कमिटी की बैठक

बायो टॉयलेट के कई फायदे
रेलवे के एक रिपोर्ट के मुताबिक 70 फीसदी मानव अवशिष्ट को जमीन पर गिरने से रोक लिया गया है. यह ट्रेनों में रांची की ट्रेनों में भी बायो टॉयलेट की सुविधा से संभव हुआ है, देशभर में चलने वाली ट्रेनों के 70 प्रतिशत डिब्बों में बायो टॉयलेट का इस्तेमाल शुरू हो चुका है. इस टॉयलेट के कई फायदे हैं. सबसे पहला तो इस टॉयलेट के उपयोग से संक्रमण की गुंजाइश नहीं रहती है. वहीं बैक्टीरिया के जरिए अवशिष्ट पदार्थों को हटाकर इसमें से पानी और कार्बन डाइऑक्साइड,मिथेन जैसे गैस निकलती है. पानी भी पूरी तरह ग्राउंडवाटर रिचार्ज उपयोग के लिए फिल्टर्ड किया जाता है. इससे पानी की खपत भी कम हो गई है और रेलवे ट्रैक पर मेंटेनेंस का काम भी आसान हो गया है. पूरी तरह मशीन के जरिए टॉयलेट की सफाई की जाती है. इससे कर्मचारियों को भी दिक्कत नहीं होती है.

रेल मंडल के पास है बायो टॉयलेट लैब
रांची रेल मंडल के पास इस बायो टॉयलेट को मेंटेनेंस के लिए एक टीम तो है ही अपना लैब भी है. इसके जरिए रांची रेल मंडल बायो टॉयलेट का मेंटेनेंस का काम करता है. वहीं इसके देखरेख में भी मैन पावर जुटा रहता है. रांची रेल मंडल में एलएचबी कोच लगाए जाने के साथ ही युद्ध स्तर पर तमाम ट्रेनों में बायो टॉयलेट लगाने की दिशा में तेजी से काम हो रहा है. इधर रांची रेल मंडल अपने विभिन्न रेलवे स्टेशनों पर बायो टॉयलेट का मॉडल लगाकर लोगों को जागरूक भी कर रही है. यह रांची रेल मंडल का सराहनीय कदम है.

रांची: देशभर के ट्रेनों के शौचालय के उपयोग से प्रत्येक दिन हजारों मीट्रिक टन मानव अपशिष्ट रेलवे ट्रैक पर गिरता था. इससे वातावरण तो दूषित होता ही है, ट्रेक का मेंटेनेंस करने में भी रेल कर्मचारियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. हालांकि स्वच्छ भारत अभियान के तहत भारतीय रेल ने बायो टॉयलेट प्रोजेक्ट शुरू कर इस दिशा में सराहनीय उपलब्धि हासिल की है. इसके माध्यम से यात्रियों को संक्रमणीय होने से भी बचाया जा रहा है, वहीं इस टॉयलेट के कई फायदे भी हैं. रांची की ट्रेनों में भी बायो टॉयलेट की सुविधा मिल रही है.

देखें स्पेशल स्टोरी

2011 में हुई थी शुरूआत
जनवरी 2011 में पहली बार वाराणसी-बुंदेलखंड एक्सप्रेस में रांची की ट्रेनों में भी बायो टॉयलेट की सुविधा दी गई थी. उसके बाद स्वच्छ भारत स्वच्छ रेल योजना के तहत इस दिशा में युद्धस्तर पर काम हुए हैं. कुछ आंकड़ों पर गौर करें तो वर्ष 2017-18 के दौरान ही भारतीय रेलवे ने अपने डिब्बों में सबसे अधिक बायो-टॉयलेट लगवाए हैं. वहीं 2018-19 तक लक्ष्य के अनुरूप इस दिशा में 80 प्रतिशत से अधिक काम हुए हैं. यानी कि कई ट्रेनों में बायो टॉयलेट लगाए गए हैं. रांची रेल मंडल ने तो इस लक्ष्य को छू भी लिया है, रांची रेल मंडल में 750 के आस-पास बायो टॉयलेट लगाने का लक्ष्य रखा गया था और इस लक्ष्य को लगभग इस रेल मंडल ने छू भी लिया है. मात्र 14 कोच को छोड़कर बाकी तमाम कोचो पर बायो टॉयलेट लगा दिए गए हैं, एक से डेढ़ महीने के अंदर इन 14 कोच पर भी बायो टॉयलेट लगा दिए जाएंगे.

ये भी पढ़ें- झारखंड विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटी BJP, प्रभारी ओम माथुर के साथ कोर कमिटी की बैठक

बायो टॉयलेट के कई फायदे
रेलवे के एक रिपोर्ट के मुताबिक 70 फीसदी मानव अवशिष्ट को जमीन पर गिरने से रोक लिया गया है. यह ट्रेनों में रांची की ट्रेनों में भी बायो टॉयलेट की सुविधा से संभव हुआ है, देशभर में चलने वाली ट्रेनों के 70 प्रतिशत डिब्बों में बायो टॉयलेट का इस्तेमाल शुरू हो चुका है. इस टॉयलेट के कई फायदे हैं. सबसे पहला तो इस टॉयलेट के उपयोग से संक्रमण की गुंजाइश नहीं रहती है. वहीं बैक्टीरिया के जरिए अवशिष्ट पदार्थों को हटाकर इसमें से पानी और कार्बन डाइऑक्साइड,मिथेन जैसे गैस निकलती है. पानी भी पूरी तरह ग्राउंडवाटर रिचार्ज उपयोग के लिए फिल्टर्ड किया जाता है. इससे पानी की खपत भी कम हो गई है और रेलवे ट्रैक पर मेंटेनेंस का काम भी आसान हो गया है. पूरी तरह मशीन के जरिए टॉयलेट की सफाई की जाती है. इससे कर्मचारियों को भी दिक्कत नहीं होती है.

रेल मंडल के पास है बायो टॉयलेट लैब
रांची रेल मंडल के पास इस बायो टॉयलेट को मेंटेनेंस के लिए एक टीम तो है ही अपना लैब भी है. इसके जरिए रांची रेल मंडल बायो टॉयलेट का मेंटेनेंस का काम करता है. वहीं इसके देखरेख में भी मैन पावर जुटा रहता है. रांची रेल मंडल में एलएचबी कोच लगाए जाने के साथ ही युद्ध स्तर पर तमाम ट्रेनों में बायो टॉयलेट लगाने की दिशा में तेजी से काम हो रहा है. इधर रांची रेल मंडल अपने विभिन्न रेलवे स्टेशनों पर बायो टॉयलेट का मॉडल लगाकर लोगों को जागरूक भी कर रही है. यह रांची रेल मंडल का सराहनीय कदम है.

Intro:डे प्लान... स्पेशल रिपोर्ट


रांची।

देशभर के ट्रेनों के शौचालय के उपयोग से प्रत्येक दिन हजारों मीट्रिक टन मानव अपशिष्ट रेलवे ट्रैक पर ,जमीन पर गिरता था. इससे प्रदूषण तो दूषित होता ही है .ट्रेक का मेंटेनेंस करने में भी रेल कर्मचारियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. हालांकि स्वच्छ भारत अभियान के तहत भारतीय रेल ने बायो टॉयलेट प्रोजेक्ट शुरू कर इस दिशा में सराहनीय उपलब्धि हासिल की है. इस टॉयलेट के माध्यम से यात्रियों को संक्रमणीय होने से भी बचाया जा रहा है .वहीं इस टॉयलेट के कई फायदे भी हैं.


Body:जनवरी माह के 2011 में पहली बार वाराणसी- बुंदेलखंड एक्सप्रेस में बायो टॉयलेट लगाया गया था और उसके बाद स्वच्छ भारत स्वच्छ रेल योजना के तहत इस दिशा में युद्धस्तर पर काम हुए है. कुछ आंकड़ों पर गौर करें तो वर्ष 2017- 18 के दौरान ही भारतीय रेलवे ने अपने डिब्बों में सबसे अधिक बायो -टॉयलेट लगवाए हैं .वही 2018 -19 तक लक्ष्य के अनुरूप इस दिशा में 80 प्रतिशत से अधिक काम हुए हैं. यानी कि विभिन्न ट्रेनों में बायो टॉयलेट लगाए गए हैं .रांची रेल मंडल ने तो इस लक्ष्य को छू भी लिया है .रांची रेल मंडल में 750 के आसपास बायो टॉयलेट लगाने का लक्ष्य रखा गया था और इस लक्ष्य को लगभग इस रेल मंडल ने छू भी लिया है .मात्र 14 कोच को छोड़कर बाकी तमाम कोचो पर बायो टॉयलेट लगा दिए गए हैं .एक से डेढ़ महीने के अंदर इन 14 कोच पर भी बायो टॉयलेट लगा दिए जाएंगे.

बायो टॉयलेट के कई फायदे:

रेलवे के एक रिपोर्ट के मुताबिक 70 फीसदी मानव अवशिष्ट को जमीन पर गिरने से रोक लिया गया है और यह ट्रेनों में बायो टॉयलेट लगने से संभव हुआ है .देशभर में चलने वाली ट्रेनों के 70 प्रतिशत डिब्बों में बायो टॉयलेट का इस्तेमाल शुरू हो चुका है.इस टॉयलेट के कई फायदे हैं. सबसे पहला तो इस टॉयलेट के उपयोग से संक्रमण की गुंजाइश नहीं रहती है. वहीं बैक्टीरिया के जरिए अवशिष्ट पदार्थों को हटाकर इसमें से पानी और कार्बन डाइऑक्साइड ,मिथेन जैसे गैस निकलती है. पानी भी पूरी तरह ग्राउंडवाटर रिचार्ज उपयोग के लिए फिल्टर्ड किया जाता है .इससे पानी की खपत भी कम हो गई है और रेलवे ट्रैक पर मेंटेनेंस का काम भी आसान हो गया है .पूरी तरह मशीन के जरिए टॉयलेट की सफाई की जाती है .इससे कर्मचारियों को भी दिक्कत नहीं होता है.

बाइट-अजित सिंह यादव.एडीआरएम,रांची रेल मंडल।



Conclusion:रेल मंडल के पास है बायो टॉयलेट लैब:

रांची रेल मंडल के पास इस बायो टॉयलेट को मेंटेनेंस के लिए एक अच्छा खासा टीम तो है ही ,अपना लैब भी है .इसके जरिए रांची रेल मंडल बायो टॉयलेट का मेंटेनेंस का काम करता है .वहीं इसके देखरेख में भी मैन पावर जुटा रहता है. रांची रेल मंडल में एलएचबी कोच लगाए जाने के साथ ही युद्ध स्तर पर तमाम ट्रेनों में बायो टॉयलेट लगाने की दिशा में तेजी से काम हो रहा है. इधर रांची रेल मंडल अपने विभिन्न रेलवे स्टेशनों पर बायो टॉयलेट का मॉडल लगाकर लोगों को जागरूक भी कर रही है. यह रांची रेल मंडल का सराहनीय कदम है.

चंदन भट्टाचार्य ईटीवी भारत रांची।

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