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..तो शराबबंदी पर बदल गया जीतन राम मांझी का नजरिया- मांझी ने माना, शराब हराम है!

बिहार के पूर्व सीएम जीतन राम मांझी (Former Bihar CM Jitan Ram Manjhi) के पटना स्थित आवास पर इफ्तार पार्टी का आयोजन किया गया. इसमें सीएम नीतीश कुमार पूर्व डिप्टी सीएम व सांसद सुशील कुमार मोदी, वीआईपी पार्टी प्रमुख मुकेश सहनी समेत नेता मंत्री पहुंचे. यहां बिहार में शराबबंदी (Liquor Ban in bihar) की तारीफ की गयी. पढ़ें पूरी खबर.

Jitan Ram Manjhi Iftar Party
Jitan Ram Manjhi Iftar Party
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Published : Apr 29, 2022, 9:16 PM IST

पटना: पूर्व सीएम जीतन राम मांझी के इफ्तार में शराबबंदी की वकालत (Bihar Liquor ban praised at Jitan Ram Manjhi Iftar Party) की गयी. इफ्तार के दौरान सीएम नीतीश कुमार एक बोर्ड दिया गया. इस पर लिखा हुआ था, 'शराब हराम है. दुनिया की सभी बुराईयों की जड़ शराब हैं. जीतन राम मांझी के इफ्तार (Jitan Ram Manjhi Iftar Party) में शराबंदी के समर्थन से सवाल उठने लगे हैं. कहा जाने लगा है कि क्या शराबबंदी को लेकर अपने पूर्व के रूख से जीतन राम मांझी बदल गये हैं. इसके पहले वे शराबबंदी को लेकर कई बार राज्य सरकार को कठघरे में खड़ा चुके हैं.

कहा था- शराब दवा के समान: फरवरी 2020 में पूर्व मुख्यमंत्री और हम प्रमुख जीतन राम मांझी ने कहा था कि दिनभर भारी बोझ उठाने वाले मजदूरों के लिए शराब जरूरी है. उन्होंने कहा कि थकान से चूर गरीबों के लिए शराब दवा के समान है. मांझी ने ये भी कहा था कि रात में शराब पीकर सोने से गरीब-गुरबे जब सुबह उठेंगे तो तरोताजगी और ताकत का अहसास होगा. हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि अमीरों की तरह शराब थोड़ी-थोड़ी पीएं.

सीमित शराबबंदी की थी मांग: मई 2021 में पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा था कि, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मेरी मांग है कि पूर्ण शराबबंदी के बजाय बिहार में सीमित शराबबंदी होनी चाहिए. इससे राज्य का राजस्व भी बढ़ेगा. भले ही ऊपर से लग रहा है कि यह ठीक है, लेकिन लोग अंदर-अंदर व्याकुल हैं. उन्होंने कहा था कि हमने शराबबंदी को कभी नौटंकी नहीं बताया. हम केवल शराबबंदी को लेकर उन्हें सुझाव दे रहे हैं कि कई मामलों में गलत कार्रवाई हुई है. लाखों गरीब आज जेल में हैं, उनके बाल-बच्चे बिलबिला रहे हैं. इसलिए हमने इस एक्ट की समीक्षा की भी बात कही है.

आईएएस अधिकारी और जज भी पीते हैं शराब: दिसंबर 2021 में जीतन राम मांझी ने कहा था कि बड़े-बड़े आईएएस अधिकारी यहां तक कि जज भी शराब पीते हैं लेकिन 10 बजे के बाद. इसी तरह आम लोगों के लिए भी व्यवस्था होनी चाहिए. जिससे वे शराब का सेवन करें लेकिन पीकर सड़कों पर घूमें तब सजा का प्रावधान हो. नहीं तो पुलिस पौवा भर शराब पीने वालों को भी जेल भेज दे रही है. यह गलत है. उन्होंने कहा था कि शराबबंदी कानून में बदलाव होने चाहिए. कम मात्रा में शराब पिए हुए गरीब लोगों को जेल नहीं भेजना चाहिए. इस कानून में कई खामियां हैं. इनको दूर किया जाना चाहिए.

ज्ञात हो कि बिहार में 5 अप्रैल 2016 से पूर्ण शराबबंदी कानून लागू है. 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान सीएम नीतीश कुमार ने महिलाओं से शराबबंदी का वादा किया था. इसका एक उद्देश्य घरेलू हिंसा को रोकना था. चुनाव जीतने के बाद उन्होंने अपना वादा निभाया. एक अप्रैल 2016 बिहार निषेध एवं आबकारी अधिनियम के तहत बिहार में शराबबंदी लागू कर दी गई. इसके बावजूद बिहार में बिहार में शराब तस्करी, बिक्री, जहरीली शराब से मौत के मामले लगातार सामने आते रहते हैं. इसे लेकर विपक्षी पार्टियों के साथ ही एनडीए के घटक दल भी सीएम नीतीश कुमार पर निशाना साधते हैं. जीतन राम मांझी भी लेकर काफी मुखर थे. अब उनके रूख में बदलाव देखने को मिल रहा है.

पटना: पूर्व सीएम जीतन राम मांझी के इफ्तार में शराबबंदी की वकालत (Bihar Liquor ban praised at Jitan Ram Manjhi Iftar Party) की गयी. इफ्तार के दौरान सीएम नीतीश कुमार एक बोर्ड दिया गया. इस पर लिखा हुआ था, 'शराब हराम है. दुनिया की सभी बुराईयों की जड़ शराब हैं. जीतन राम मांझी के इफ्तार (Jitan Ram Manjhi Iftar Party) में शराबंदी के समर्थन से सवाल उठने लगे हैं. कहा जाने लगा है कि क्या शराबबंदी को लेकर अपने पूर्व के रूख से जीतन राम मांझी बदल गये हैं. इसके पहले वे शराबबंदी को लेकर कई बार राज्य सरकार को कठघरे में खड़ा चुके हैं.

कहा था- शराब दवा के समान: फरवरी 2020 में पूर्व मुख्यमंत्री और हम प्रमुख जीतन राम मांझी ने कहा था कि दिनभर भारी बोझ उठाने वाले मजदूरों के लिए शराब जरूरी है. उन्होंने कहा कि थकान से चूर गरीबों के लिए शराब दवा के समान है. मांझी ने ये भी कहा था कि रात में शराब पीकर सोने से गरीब-गुरबे जब सुबह उठेंगे तो तरोताजगी और ताकत का अहसास होगा. हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि अमीरों की तरह शराब थोड़ी-थोड़ी पीएं.

सीमित शराबबंदी की थी मांग: मई 2021 में पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा था कि, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मेरी मांग है कि पूर्ण शराबबंदी के बजाय बिहार में सीमित शराबबंदी होनी चाहिए. इससे राज्य का राजस्व भी बढ़ेगा. भले ही ऊपर से लग रहा है कि यह ठीक है, लेकिन लोग अंदर-अंदर व्याकुल हैं. उन्होंने कहा था कि हमने शराबबंदी को कभी नौटंकी नहीं बताया. हम केवल शराबबंदी को लेकर उन्हें सुझाव दे रहे हैं कि कई मामलों में गलत कार्रवाई हुई है. लाखों गरीब आज जेल में हैं, उनके बाल-बच्चे बिलबिला रहे हैं. इसलिए हमने इस एक्ट की समीक्षा की भी बात कही है.

आईएएस अधिकारी और जज भी पीते हैं शराब: दिसंबर 2021 में जीतन राम मांझी ने कहा था कि बड़े-बड़े आईएएस अधिकारी यहां तक कि जज भी शराब पीते हैं लेकिन 10 बजे के बाद. इसी तरह आम लोगों के लिए भी व्यवस्था होनी चाहिए. जिससे वे शराब का सेवन करें लेकिन पीकर सड़कों पर घूमें तब सजा का प्रावधान हो. नहीं तो पुलिस पौवा भर शराब पीने वालों को भी जेल भेज दे रही है. यह गलत है. उन्होंने कहा था कि शराबबंदी कानून में बदलाव होने चाहिए. कम मात्रा में शराब पिए हुए गरीब लोगों को जेल नहीं भेजना चाहिए. इस कानून में कई खामियां हैं. इनको दूर किया जाना चाहिए.

ज्ञात हो कि बिहार में 5 अप्रैल 2016 से पूर्ण शराबबंदी कानून लागू है. 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान सीएम नीतीश कुमार ने महिलाओं से शराबबंदी का वादा किया था. इसका एक उद्देश्य घरेलू हिंसा को रोकना था. चुनाव जीतने के बाद उन्होंने अपना वादा निभाया. एक अप्रैल 2016 बिहार निषेध एवं आबकारी अधिनियम के तहत बिहार में शराबबंदी लागू कर दी गई. इसके बावजूद बिहार में बिहार में शराब तस्करी, बिक्री, जहरीली शराब से मौत के मामले लगातार सामने आते रहते हैं. इसे लेकर विपक्षी पार्टियों के साथ ही एनडीए के घटक दल भी सीएम नीतीश कुमार पर निशाना साधते हैं. जीतन राम मांझी भी लेकर काफी मुखर थे. अब उनके रूख में बदलाव देखने को मिल रहा है.

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