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BAU के कृषि मौसम विभाग ने जारी की एडवाइजरी, खरीफ फसल की बुआई जल्द समाप्त करने की दी सलाह

बीएयू के कृषि मौसम विभाग ने 4-5 दिनों के संभावित वर्षा के आधार पर किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की है. इसमें किसानों को अरहर, मड़ुआ, ज्वार जैसे फसल की बुआई जल्द समाप्त करने की सलाह दी गई है. वहीं, एडवाइजरी में किसानों को टांड़ खेत में धान, मकई और मूंगफली की अंतरवर्तीय खेती करने की सलाह दी गई है.

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Published : Jul 3, 2020, 11:39 AM IST

BAU's Agricultural Meteorological Department advisory
बीएयू ने जारी की एडवाइजरी

रांची: बीएयू की ग्रामीण कृषि मौसम सेवा ने अगले 4-5 दिनों के संभावित वर्षा के आधार पर किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की है. किसानों को टांड़ (ऊपरी) खेत में खरीफ फसल धान को छोड़कर अन्य फसलों जैसे अरहर, मड़ुआ, ज्वार, उरद और मूंग की बुआई अगले 2-4 दिनों में जल्द समाप्त करने की सलाह दी है. वहीं, दीमक के प्रकोप वाले खेत में खेत की अंतिम तैयारी के समय मिट्टी में नीम, करंज की खल्ली को अच्छी तरह मिलाने और बीज बोने से पहले कीटनाशक दवा से उपचारित करने को कहा है. इसके साथ ही दलहनी फसल के बीज को राइजोबियम कल्चर नाम के जीवाणु खाद से उपचारित कर बुआई करने की सलाह दी गई है.

ये भी पढ़ें-सीएम हेमंत ने दुमका और देवघर के उपायुक्त से की बात, कहा- संक्रमण काल में नहीं होगा श्रावणी मेला का आयोजन

एडवाइजरी में किसानों को टांड़ खेत में धान, मकई और मूंगफली की अंतरवर्तीय खेती करने का परामर्श दिया है. इससे अनियमित वर्षा की स्थिति में दूसरी फसल से उपज का लाभ लिया जा सकेगा.

वहीं, विभाग ने मध्यम भूमि में धान, मकई, मूंगफली और सोयाबीन आदि की बुआई जल्द समाप्त करने की सलाह दी है. धान के फसल में खर-पतवार नियंत्रित रखने और मकई की मध्यम अवधि वाली किस्म का चुनाव हरा भुट्टा के लिए और कम अवधि वाली किस्म को दाना के लिए उपयोग करने को कहा गया है.

निचले खेत में अगर खेती लायक पानी जमा हो गया हो और धान का बिचड़ा 20 दिनों का हो गया हो तो किसान रोपनी का कार्य शुरू कर सकते हैं. लंबी अवधि वाले किस्मों की रोपाई पहले करनी चाहिए. धान का बिचड़ा 10-15 दिनों के होने और मिट्टी में नमी रहने पर बीजस्थली में यूरिया का भूरकाव करने की सलाह दी गयी है.

रांची: बीएयू की ग्रामीण कृषि मौसम सेवा ने अगले 4-5 दिनों के संभावित वर्षा के आधार पर किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की है. किसानों को टांड़ (ऊपरी) खेत में खरीफ फसल धान को छोड़कर अन्य फसलों जैसे अरहर, मड़ुआ, ज्वार, उरद और मूंग की बुआई अगले 2-4 दिनों में जल्द समाप्त करने की सलाह दी है. वहीं, दीमक के प्रकोप वाले खेत में खेत की अंतिम तैयारी के समय मिट्टी में नीम, करंज की खल्ली को अच्छी तरह मिलाने और बीज बोने से पहले कीटनाशक दवा से उपचारित करने को कहा है. इसके साथ ही दलहनी फसल के बीज को राइजोबियम कल्चर नाम के जीवाणु खाद से उपचारित कर बुआई करने की सलाह दी गई है.

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एडवाइजरी में किसानों को टांड़ खेत में धान, मकई और मूंगफली की अंतरवर्तीय खेती करने का परामर्श दिया है. इससे अनियमित वर्षा की स्थिति में दूसरी फसल से उपज का लाभ लिया जा सकेगा.

वहीं, विभाग ने मध्यम भूमि में धान, मकई, मूंगफली और सोयाबीन आदि की बुआई जल्द समाप्त करने की सलाह दी है. धान के फसल में खर-पतवार नियंत्रित रखने और मकई की मध्यम अवधि वाली किस्म का चुनाव हरा भुट्टा के लिए और कम अवधि वाली किस्म को दाना के लिए उपयोग करने को कहा गया है.

निचले खेत में अगर खेती लायक पानी जमा हो गया हो और धान का बिचड़ा 20 दिनों का हो गया हो तो किसान रोपनी का कार्य शुरू कर सकते हैं. लंबी अवधि वाले किस्मों की रोपाई पहले करनी चाहिए. धान का बिचड़ा 10-15 दिनों के होने और मिट्टी में नमी रहने पर बीजस्थली में यूरिया का भूरकाव करने की सलाह दी गयी है.

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