रांची: इटकी आरोग्यशाला में करोड़ो रुपये मूल्य की एक्सपायरी दवा मामले को लेकर मंगलवार को विधायक बंधु तिर्की ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है. उन्होंने इस मामले की उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की है.
ये भी पढ़ें- आरोग्यशाला में मिली करोड़ों रुपये का एक्सपायरी दवा, विधायक बंधु तिर्की ने कहा- जांच का विषय
बंधु तिर्की ने लिखा सीएम को पत्र
बंधु तिर्की ने अपने पत्र में लिखा कि मांडर विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत इटकी आरोग्यशाला में भ्रमण के क्रम में उन्होंने पाया कि मरीजों के इलाज के लिए लाई गई करोड़ों रुपये की दवा फेंक दी गई. इन दवाओं में अधिकांश दवाएं 2010 में एक्सपायर कर गईं थीं. इन करोड़ों रुपये की दवाओं से मलेरिया और कालाजार के मरीजों को राहत मिलनी थी लेकिन स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के कारण करोड़ों रुपये की दवाओं को गोदामों में डंप कर दिया गया. जिसकी सुधि लेने वाला कोई नहीं रहा. यह प्रदेश के गरीब असहाय जनता के साथ अन्याय है.
बंधु तिर्की ने कहा कि यह दवा राज्य मलेरिया विभाग की बताई जा रही है. साल 2008 से 2010 में सारी दवाएं एक्सपायर हो गईं थीं, जिसमें अधिकांश दवा साल 2005 से 2007 के बीच की है. जिसका एक्सपायरी डेट साल 2008 से 2010 की है. प्राप्त जानकारी के अनुसार साल 2005 में आरोग्यशाला परिसर में राज्य मलेरिया सेल स्थापित किया गया था. इसके लिए आरोग्यशाला के अपर-सी वार्ड को दवा भंडारण केंद्र बनाया गया था और दवा का वितरण राज्य के अन्य जिलों में किया जाना था.
मरीजों के उपयोग में लाए बिना दवा बर्बाद
साल 2008 में मलेरिया सेल नामकोम हस्तांतरित कर दिया गया. इसके बाद किसी भी अधिकारी को इन दवाओं का चिंता नहीं हुई. इन दवाओं में मुख्यतः क्लोरोक्वीन टेबलेट, मलेरिया की पारा हिट रैपिड टेस्ट किट, स्टीवानेट और स्ट्रेट टेबलेट सहित अन्य कई तरह कि जन उपयोगी दवा शामिल हैं. इन दवाओं का लागत मूल्य, 5 से 6 करोड़ बताया जा रहा है, जो मरीजों के उपयोग में लाए बिना बर्बाद करा दी गई.
उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए
बंधु तिर्की ने कहा कि यह सिर्फ आरोग्यशाला का मामला नहीं, जनता से जुड़ा राज्यस्तरीय मामला है. जिसकी उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए. दवा क्रय कब हुई, कितनी दवा खरीदी गई और कौन-कौन सी दवा की खरीद हुई. इसके साथ ही कितने में क्रय किया गया, इस पूरे मामले की जांच की गई. यह प्रबल संभावना है कि राज्य में दवाओं और मेडिकल उपकरणों की खरीद को लेकर जांच की जानी चाहिए.
विभाग के पदाधिकारियों की है संलिप्तता
विधायक बंधु तिर्की ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार में स्वास्थ्य विभाग की ओर से करोड़ों रुपये के उपकरण खरीदे गए. यह उपकरण किन अस्पतालों में लगाए गए हैं और अभी इन उपकरणों की स्थिति क्या है. उसी प्रकार राज्यभर में हर गांव, टोले, मोहल्ले में स्वास्थ्य केंद्र बने लेकिन इसकी स्थिति आज काफी जर्जर है. अधिकतर केंद्रों में ताले लटके हैं. केंद्र भवन के नाम पर सिर्फ ठेका-पट्टा का कार्य हुआ. राज्य में दवा का स्टॉक का मिलान नहीं किया जाता है और सही से वितरण नहीं होने कारण अधिकांश दवाएं अनुपयोगी हो जाती हैं. जिसमें विभाग के पदाधिकारियों की पूरी संलिप्ता रहती है.
वर्तमान अधीक्षक की कार्यशैली पर उठाया सवाल
बंधु तिर्की ने कहा कि आरोग्यशाला में वर्तमान अधीक्षक डॉ. रंजीत प्रसाद के कार्यशैली पर भी प्रश्नचिन्ह है. जिसकी जांच होनी चाहिए. उनके अस्पताल परिसर में दशकों से पड़ी दवा का भंडारण किए जाने के बाद 12 अक्टूबर 2020 को राज्य मलेरिया सेल को अवगत कराया गया था. इसके साथ ही प्रश्न किया कि इतने सालों तक इन्होंने कोई कदम क्यों नहीं उठाया. इस घटना ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की कलई खोल कर रख दी है. इसकी जांच होनी चाहिए.