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DSPMU के 28 शिक्षकों के वेतन भुगतान पर लगी रोक, परीक्षा में ड्यूटी नहीं करने पर जारी हुआ फरमान

रांची के DSPMU के 28 शिक्षकों को यूजी-पीजी परीक्षा में ड्यूटी नहीं करने पर वेतन भुगतान पर रोक लगा दी गई है. जिससे डीएसपीएमयू प्रशासन और शिक्षक एसोसिएशन आमने-सामने हो गए है, शिक्षकों कहना है कि ये फरमान सरासर गलत है.

Ban on salary of 28 teachers of DSPMU in ranchi
28 शिक्षकों के वेतन पर रोक
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Published : Feb 8, 2020, 7:14 PM IST

रांचीः डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय में शिक्षक और यूनिवर्सिटी प्रशासन आमने-सामने है. दरअसल डीएसपीएमयू प्रबंधन ने यूजी-पीजी परीक्षा में ड्यूटी नहीं करने वाले 28 शिक्षकों के वेतन पर रोक लगा दिया गया है. इससे यहां के शिक्षक काफी आक्रोशित है.

देखें पूरी खबर

शिक्षकों का कहना है कि विश्वविद्यालय प्रबंधन का यह बेतुका फरमान है. जो कतई माना नहीं जाएगा. क्योंकि इसमें शिक्षकों की कोई गलती नहीं है. विश्वविद्यालय प्रबंधन त्रुटिपूर्ण फरमान सुनाया है. जिससे निर्दोष शिक्षक भी पीस रहे हैं.

बताया जा रहा कि विश्वविद्यालय प्रबंधन ने 28 शिक्षकों को एग्जाम ड्यूटी नहीं करने के चलते वेतन भुगतान पर रोक लगा दिया है. विश्वविद्यालय प्रबंधन अपने इस फरमान पर अडिग है. इनकी मानें तो शिक्षक सही समय पर न ही विश्वविद्यालय पहुंचते हैं और न ही अपनी ड्यूटी पूरी करते हैं. ऐसे में इन पर गाज गिराना तय था. इन शिक्षकों को शोकॉज जारी कर जवाब मांगा गया है. अगर स्पष्ट जवाब नहीं आता है तो उन पर कार्रवाई जरूर होगी.

ये भी पढे़ं- बंधु तिर्की के बाद प्रदीप यादव को JVM से निकाले जाने पर कांग्रेसियों का बाबूलाल पर वार, कहा- भटक गए हैं मरांडी

इस संबंध में जब यूनिवर्सिटी शिक्षक एसोसिएशन से बात की गई तो उन्होंने इसे यूनिवर्सिटी प्रशासन बेतूका फरमान का नाम बताया. उनका कहना है कि इसमें यूनिवर्सिटी के शिक्षकों की कोई गलती नहीं है. प्रबंधन जिस तरीके का ड्यूटी देती है उसी तरीके से शिक्षक ड्यूटी करते हैं. यूजीसी की टीम जिस वक्त आई थी उस दौरान प्रबंधन ने ही उन्हें ड्यूटी पर लगाया गया था और अब उन्हें चेतावनी दी जा रही थी कि जो शिक्षक रूल फॉलो नही करेंगे उन्हें कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

वहीं, एक तरफ जहां विश्वविद्यालय प्रबंधन अपने फैसले पर अडिग है तो वहीं शिक्षक एसोसिएशन भी अब विश्वविद्यालय प्रबंधन के साथ आर-पार की लड़ाई लड़ने को तैयार है. शिक्षकों ने सीधे तौर पर कहा है कि उनकी कोई गलती नहीं है बेवजह विश्वविद्यालय प्रशासन उन्हें परेशान करने के लिए इस तरीके से फरमान जारी कर रही है.

रांचीः डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय में शिक्षक और यूनिवर्सिटी प्रशासन आमने-सामने है. दरअसल डीएसपीएमयू प्रबंधन ने यूजी-पीजी परीक्षा में ड्यूटी नहीं करने वाले 28 शिक्षकों के वेतन पर रोक लगा दिया गया है. इससे यहां के शिक्षक काफी आक्रोशित है.

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शिक्षकों का कहना है कि विश्वविद्यालय प्रबंधन का यह बेतुका फरमान है. जो कतई माना नहीं जाएगा. क्योंकि इसमें शिक्षकों की कोई गलती नहीं है. विश्वविद्यालय प्रबंधन त्रुटिपूर्ण फरमान सुनाया है. जिससे निर्दोष शिक्षक भी पीस रहे हैं.

बताया जा रहा कि विश्वविद्यालय प्रबंधन ने 28 शिक्षकों को एग्जाम ड्यूटी नहीं करने के चलते वेतन भुगतान पर रोक लगा दिया है. विश्वविद्यालय प्रबंधन अपने इस फरमान पर अडिग है. इनकी मानें तो शिक्षक सही समय पर न ही विश्वविद्यालय पहुंचते हैं और न ही अपनी ड्यूटी पूरी करते हैं. ऐसे में इन पर गाज गिराना तय था. इन शिक्षकों को शोकॉज जारी कर जवाब मांगा गया है. अगर स्पष्ट जवाब नहीं आता है तो उन पर कार्रवाई जरूर होगी.

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इस संबंध में जब यूनिवर्सिटी शिक्षक एसोसिएशन से बात की गई तो उन्होंने इसे यूनिवर्सिटी प्रशासन बेतूका फरमान का नाम बताया. उनका कहना है कि इसमें यूनिवर्सिटी के शिक्षकों की कोई गलती नहीं है. प्रबंधन जिस तरीके का ड्यूटी देती है उसी तरीके से शिक्षक ड्यूटी करते हैं. यूजीसी की टीम जिस वक्त आई थी उस दौरान प्रबंधन ने ही उन्हें ड्यूटी पर लगाया गया था और अब उन्हें चेतावनी दी जा रही थी कि जो शिक्षक रूल फॉलो नही करेंगे उन्हें कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

वहीं, एक तरफ जहां विश्वविद्यालय प्रबंधन अपने फैसले पर अडिग है तो वहीं शिक्षक एसोसिएशन भी अब विश्वविद्यालय प्रबंधन के साथ आर-पार की लड़ाई लड़ने को तैयार है. शिक्षकों ने सीधे तौर पर कहा है कि उनकी कोई गलती नहीं है बेवजह विश्वविद्यालय प्रशासन उन्हें परेशान करने के लिए इस तरीके से फरमान जारी कर रही है.

Intro:रांची।

डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय में शिक्षक और यूनिवर्सिटी प्रशासन आमने-सामने आ गया है .दरअसल डीएसपीएमयू प्रबंधन द्वारा यूजी-पीजी परीक्षा में ड्यूटी नहीं करने वाले 28 शिक्षकों के वेतन पर रोक लगा दिया गया है .इससे यहां के शिक्षक काफी आक्रोशित है. इनकी मानें तो विश्वविद्यालय प्रबंधन का यह बेतुका फरमान है .जो कतई माना नहीं जाएगा. क्योंकि इसमें शिक्षकों की कोई गलती नहीं है. विश्वविद्यालय प्रबंधन त्रुटिपूर्ण फरमान सुनाया है. जिससे निर्दोष शिक्षक भी पीस रहे हैं.


Body:जानकारी देते चलूं की विश्वविद्यालय प्रबंधन द्वारा 28 शिक्षकों को एग्जाम ड्यूटी नहीं करने के चलते वेतन भुगतान पर रोक लगा दिया है .विश्वविद्यालय प्रबंधन अपने इस फरमान पर अडिग है. इनकी मानें तो शिक्षक सही समय पर ना ही विश्वविद्यालय पहुंचते हैं और ना ही अपनी ड्यूटी पूरी करते हैं .ऐसे में इन पर गाज गिराना तय था. इन शिक्षकों को शोकॉज जारी कर जवाब मांगा गया है. अगर स्पष्ट जवाब नहीं आता है तो उन पर कार्रवाई जरूर होगी .इस संबंध में जब यूनिवर्सिटी शिक्षक एसोसिएशन से बात की गई तो उनकी मानें तो यूनिवर्सिटी प्रशासन बेतूका फरमान जारी किया है जिससे यूनिवर्सिटी के शिक्षकों की कोई गलती नहीं है .प्रबंधन जिस तरीके का ड्यूटी देती है उसी तरीके से शिक्षक ड्यूटी करते हैं .यूजीसी की टीम जिस वक्त आई थी उस दौरान प्रबंधन द्वारा ही उन्हें ड्यूटी पर लगाया गया था और अब उन्हें त चेतावनी दी जा रही है जो शिक्षक कतई बर्दाश्त नहीं करेगी.


Conclusion:एक तरफ जहां विश्वविद्यालय प्रबंधन अपने फैसले पर अडिग है तो वहीं शिक्षक एसोसिएशन भी अब विश्वविद्यालय प्रबंधन के साथ आर पार की लड़ाई लड़ने को तैयार है .शिक्षकों ने सीधे तौर पर कहा है कि उनकी कोई गलती नहीं है बेवजह विश्वविद्यालय प्रशासन उन्हें परेशान करने के लिए इस तरीके से फरमान जारी कर रहे है.

बाइट- एस एन मुंडा, डीएसपीएमयू ,कुलपति।

बाइट- एस एम अब्बास, प्रेसिडेंट, डीएसपीएमयू ,शिक्षक एसोसिएशन।
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