रांचीः डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय में शिक्षक और यूनिवर्सिटी प्रशासन आमने-सामने है. दरअसल डीएसपीएमयू प्रबंधन ने यूजी-पीजी परीक्षा में ड्यूटी नहीं करने वाले 28 शिक्षकों के वेतन पर रोक लगा दिया गया है. इससे यहां के शिक्षक काफी आक्रोशित है.
शिक्षकों का कहना है कि विश्वविद्यालय प्रबंधन का यह बेतुका फरमान है. जो कतई माना नहीं जाएगा. क्योंकि इसमें शिक्षकों की कोई गलती नहीं है. विश्वविद्यालय प्रबंधन त्रुटिपूर्ण फरमान सुनाया है. जिससे निर्दोष शिक्षक भी पीस रहे हैं.
बताया जा रहा कि विश्वविद्यालय प्रबंधन ने 28 शिक्षकों को एग्जाम ड्यूटी नहीं करने के चलते वेतन भुगतान पर रोक लगा दिया है. विश्वविद्यालय प्रबंधन अपने इस फरमान पर अडिग है. इनकी मानें तो शिक्षक सही समय पर न ही विश्वविद्यालय पहुंचते हैं और न ही अपनी ड्यूटी पूरी करते हैं. ऐसे में इन पर गाज गिराना तय था. इन शिक्षकों को शोकॉज जारी कर जवाब मांगा गया है. अगर स्पष्ट जवाब नहीं आता है तो उन पर कार्रवाई जरूर होगी.
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इस संबंध में जब यूनिवर्सिटी शिक्षक एसोसिएशन से बात की गई तो उन्होंने इसे यूनिवर्सिटी प्रशासन बेतूका फरमान का नाम बताया. उनका कहना है कि इसमें यूनिवर्सिटी के शिक्षकों की कोई गलती नहीं है. प्रबंधन जिस तरीके का ड्यूटी देती है उसी तरीके से शिक्षक ड्यूटी करते हैं. यूजीसी की टीम जिस वक्त आई थी उस दौरान प्रबंधन ने ही उन्हें ड्यूटी पर लगाया गया था और अब उन्हें चेतावनी दी जा रही थी कि जो शिक्षक रूल फॉलो नही करेंगे उन्हें कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
वहीं, एक तरफ जहां विश्वविद्यालय प्रबंधन अपने फैसले पर अडिग है तो वहीं शिक्षक एसोसिएशन भी अब विश्वविद्यालय प्रबंधन के साथ आर-पार की लड़ाई लड़ने को तैयार है. शिक्षकों ने सीधे तौर पर कहा है कि उनकी कोई गलती नहीं है बेवजह विश्वविद्यालय प्रशासन उन्हें परेशान करने के लिए इस तरीके से फरमान जारी कर रही है.