रांची: राजधानी के बड़ा तालाब दुर्गा मंदिर में वर्षों से षष्ठी से ही परंपरागत तरीके से पूजा-अर्चना की शुरूआत की जाती है. भले ही वर्तमान समय में पूजा का स्वरूप बदल गया हो, लेकिन यहां की परंपरा में कोई बदलाव नहीं आया है.
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सन् 1832 से हो रही मां दुर्गा की प्रतिमा की स्थापना
दरअसल, इस मंदिर में पौराणिक परंपरा के आधार पर ही मां दुर्गा की आराधना की जाती रही है. यह परंपरा लगभग 187 वर्षों से ही चली आ रही है. जानकारी के अनुसार 1832 से ही यहां मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की जा रही है. उस समय से अब तक यहां मां दुर्गा की पूजा विधि-विधान से की जाती रही है.
मंदिर में षष्ठी को बेलवरण, सप्तमी को नेत्रदान, अष्टमी की पूजा और संधि बलि के बाद नवमी को नौ कन्या की पूजा की जाती है. वहीं, दशमी को हवन के बाद मां दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है. यहां पूजा करने वाले श्रद्धालुओं में मान्यता है कि यहां हर मनोकामना पूरी होती है.
पूजा के आयोजक चंदन किशोर तिवारी बताते हैं कि रांची का बड़ा तालाब दुर्गा मंदिर ही एक ऐसा मंदिर है, जहां सबसे पहले मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर पूजा का आयोजन किया जाना शुरू किया गया था. ऐसे में मां दुर्गा की पूजा का यह सबसे पुराना स्थल है. जहां आज भी पुराने रीति-रिवाज के हिसाब से पूजा अर्चना की जाती है.