रांची: झारखंड में पॉलिटेक्टिनक कॉलेजों की बदहाली की वजह से तकनीकी शिक्षा दम तोड़ने के कगार पर पहुंच गया है. शिक्षकों और कर्मचारियों की घोर कमी की वजह इन कॉलेजों की हालत बद से बदतर होती जा रही है. हालत ये है कि राज्य के 17 पॉलिटेक्निक कॉलेज में से 13 कॉलेज प्रभारी प्रचार्य के भरोसे चल रहा है.
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गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के नाम पर खानापूर्ति
झारखंड में पॉलिटेक्निक कॉलेज में हर साल विभिन्न संकायों में छात्रों का नामांकन होता है. मगर इन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के नाम पर सरकार सिर्फ और सिर्फ खानापूर्ति होती है. पॉलिटेक्निक कॉलेजों में शिक्षक से लेकर कर्मचारियों का घोर अभाव है. हालत यह है कि राज्य के चार पॉलिटेक्निक कॉलेज को छोड़कर शेष सभी 13 कॉलेज प्रभारी प्राचार्य के भरोसे चल रहा है. ताज्जुब की बात यह है कि सरकार ने पॉलिटेक्निक कॉलेजों में शिक्षक और लैब असिस्टेंट की नियुक्ति किये वगैर पहले इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने का काम करती रही है.
करोड़ों खर्च कर बनाया गया आलिशान बिल्डिंग
रघुवर सरकार के कार्यकाल में राज्य के 8 जिलों में पॉलिटेक्निक कॉलेज का आलिशान बिल्डिंग करोड़ों रुपया खर्च कर तैयार किया गया. इसके पीछे सरकार की मंशा राज्य में पॉलिटेक्निक शिक्षा को बढ़ावा देना था मगर करोड़ों की लागत से बना यह बिल्डिंग सिर्फ और सिर्फ शोभा की वस्तु बनकर रह गई. पढाई की बात तो दूर हालत यह है कि इसमें आज तक ना तो प्राचार्य की नियुक्ति हुई और ना ही शिक्षकों की. खूंटी, हजारीबाग ,चतरा, जामताड़ा ,बगोदर लोहरदगा ,पलामू और गोड्डा का पॉलिटेक्निक कॉलेज इसके उदाहरण हैं.
राजकीय पॉलिटेक्निक की हालत है खराब
राजकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज रांची की स्थिति और भी बदतर है. यहां शिक्षकों और कर्मचारियों का घोर अभाव है. हालत यह है कि यहां प्राचार्य से लेकर व्याख्याता तक के स्वीकृत 40 पदों में से मात्र 10 कार्यरत है. शेष पद रिक्त हैं. इसी तरह कर्मशाला प्रमुख से लेकर अराजपत्रित कर्मचारियों के 93 स्वीकृत पद में 73 खाली है. जब कर्मशाला प्रमुख का ही पद खाली होगा तो वर्कशॉप में कैसे प्रशिक्षण छात्रों को मिलेगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है.
टेम्परेरी आधार पर शिक्षकों की नियुक्ति
राजकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज के प्रभारी प्राचार्य विनोद प्रसाद सिन्हा की मानें तो शिक्षण कार्य पूरा करने के लिए टेम्परेरी आधार पर शिक्षकों को नियुक्त किया जा रहा है. मगर कर्मशाला प्रमुख या अन्य कर्मचारियों की नियुक्ति का कोई प्रावधान कॉलेज के पास नहीं है. इधर क्लास रुम से लेकर हॉस्टल तक में छात्रों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है. 2018 में करोड़ों की लागत से बना हॉस्टल जर्जर हो चुका है.बिजली, पानी और साफ सफाई से परेशान छात्र कॉलेज मैनेजमेंट से गुहार लगाते फिर रहे हैं. राज्य में हर वर्ष पॉलिटेक्निक कॉलेज के माध्यम से हजारों छात्र छात्राएं विभिन्न संकायों में डिप्लोमा कोर्स पूरा करते हैं मगर कॉलेज की बदहाल स्थिति को देखने से सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि ऐसे हालात में यहां छात्रों को कैसे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलती होगी.