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विलुप्त हो रहे बेजुबानों पर सरकार की बेरुखी, फाइलों में दबती जा रही योजनाएं - jharkhand news

रांची के ओरमांझी स्थित प्रजनन मगरमच्छ केंद्र मुटा बंद हो गया है. यहां के तीन मगरमच्छों को बिरसा जैविक उद्यान भेज दिया गया. वहीं, इस मगरमच्छ प्रजनन केंद्र के बगल में गिद्ध प्रजनन और संरक्षण केंद्र बनाया गया, लेकिन यहां एक भी गिद्ध नहीं हैं.

विलुप्त हो रहे बेजुबानों पर सरकार की बेरुखी
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Published : Jul 30, 2019, 10:31 AM IST

रांची: साल 1983 में बना ओरमांझी स्थित बिहार झारखंड का एकलौता मगरमच्छ प्रजनन केंद्र मुटा अब बंद हो गया है. यहां से बचे हुए मगरमच्छों को बिरसा जैविक उद्यान ले जाया गया. मुटा के पास भैरवी नदी में मगरमच्छ पाए जाते है. इसी नदी के किनारे मगरमच्छों की संख्या बढ़ाने के लिए मुटा प्रजनन केंद्र बनाया गया है.

देखें स्पेशल स्टोरी

मुटा मगरमच्छ प्रजनन केंद्र में ओड़िशा के तीन और भैरवी नदी से दो नर मादा लाकर ब्रीडिंग की शुरुआत की गई थी. 5 मगरमच्छों से ब्रीडिंग की शुरुआत होने के बावजूद आज इस मुटा प्रजनन केंद्र में एक भी मगरमच्छ नहीं है.

कागजों में गिद्ध संरक्षण
इस मगरमच्छ प्रजनन केंद्र के नजदीक में गिद्ध प्रजनन और संरक्षण केंद्र बनाया गया, लेकिन यहां पर गिद्ध का नामोनिशान नहीं है. गिद्ध प्रजनन केंद्र बस फाइलों में चल रही है. इनके प्रजनन के लिए गिद्धों का जोड़ा लाना था, लेकिन विभाग की कागजी प्रक्रिया लंबे समय तक चलती रही. इस केंद्र में अस्पताल, नर्सरी, लैब, गिद्धों के प्रजनन के लिए कई सुविधा बनाई गई है, लेकिन गिद्ध ही नहीं हैं.

ये भी पढ़ें-भूख से मौत मामले में मंत्री सरयू राय ने झाड़ा पल्ला,अपने विभाग को बताया निर्दोष

विभागीय मंत्री का आश्वासन
विभागीय मंत्री अमर कुमार बाउरी ने कहा कि बदलते क्लाइमेट के कारण यह स्थिति देखने को मिल रही है. विलुप्त हो रहे जीवों को बचाने के लिए सबको जागरूक होना जरूरी है. जिसके लिए केंद्र सरकार ने कई योजना चला रखी है. उन्होंने मुटा मगरमच्छ प्रजनन केंद्र और गिद्ध प्रजनन संरक्षण केंद्र के बारे में कहा कि इस विषय पर विभाग से जानकारी लेकर जल्द ही इसे दुरुस्त किया जाएगा.

रांची: साल 1983 में बना ओरमांझी स्थित बिहार झारखंड का एकलौता मगरमच्छ प्रजनन केंद्र मुटा अब बंद हो गया है. यहां से बचे हुए मगरमच्छों को बिरसा जैविक उद्यान ले जाया गया. मुटा के पास भैरवी नदी में मगरमच्छ पाए जाते है. इसी नदी के किनारे मगरमच्छों की संख्या बढ़ाने के लिए मुटा प्रजनन केंद्र बनाया गया है.

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मुटा मगरमच्छ प्रजनन केंद्र में ओड़िशा के तीन और भैरवी नदी से दो नर मादा लाकर ब्रीडिंग की शुरुआत की गई थी. 5 मगरमच्छों से ब्रीडिंग की शुरुआत होने के बावजूद आज इस मुटा प्रजनन केंद्र में एक भी मगरमच्छ नहीं है.

कागजों में गिद्ध संरक्षण
इस मगरमच्छ प्रजनन केंद्र के नजदीक में गिद्ध प्रजनन और संरक्षण केंद्र बनाया गया, लेकिन यहां पर गिद्ध का नामोनिशान नहीं है. गिद्ध प्रजनन केंद्र बस फाइलों में चल रही है. इनके प्रजनन के लिए गिद्धों का जोड़ा लाना था, लेकिन विभाग की कागजी प्रक्रिया लंबे समय तक चलती रही. इस केंद्र में अस्पताल, नर्सरी, लैब, गिद्धों के प्रजनन के लिए कई सुविधा बनाई गई है, लेकिन गिद्ध ही नहीं हैं.

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विभागीय मंत्री का आश्वासन
विभागीय मंत्री अमर कुमार बाउरी ने कहा कि बदलते क्लाइमेट के कारण यह स्थिति देखने को मिल रही है. विलुप्त हो रहे जीवों को बचाने के लिए सबको जागरूक होना जरूरी है. जिसके लिए केंद्र सरकार ने कई योजना चला रखी है. उन्होंने मुटा मगरमच्छ प्रजनन केंद्र और गिद्ध प्रजनन संरक्षण केंद्र के बारे में कहा कि इस विषय पर विभाग से जानकारी लेकर जल्द ही इसे दुरुस्त किया जाएगा.

Intro:डे प्लान की स्पेशल खबर.... विभागीय मंत्री अमर कुमार बावरी की बाइट भेज दी गई है रांची बाइट---अमर कुमार बाउरी पर्यटन विभाग बाइट---केयरटेकर मगरमच्छ प्रजनन केंद्र बाइट-- घूमने पहुंचे बच्चे वर्ष 1983 में बना रांची के ओरमांझी स्थित बिहार झारखंड का एकलौता मगरमच्छ प्रजनन केंद्र मूटा अब बंद हो गया है। यहां से बचे हुए मगरमच्छों को बिरसा जैविक उद्यान ले जाया गया मोटा के पास भैरवी नदी में नेचुरल मगरमच्छ पाए जाते हैं इसी नदी के किनारे मगरमच्छों की संख्या बढ़ाने के लिए मोटा प्रजनन केंद्र बनाया गया है। इस मूटा मगर प्रजनन केंद्र में उड़ीसा के तीन और भैरवी नदी से दो नरमादा लाकर ब्रीडिंग की शुरुआत की गई थी। 5 मगरमच्छों से ग्रेडिंग की शुरुआत की गई थी लेकिन आज इस मूटा प्रजनन केंद्र में एक भी मगरमच्छ नहीं है। जिसके बाद इस मगरमच्छ प्रजनन केंद्र के बगल में है गिद्ध प्रजनन सह संरक्षण केंद्र बनाया गया लेकिन यहां पर भी गीत का एक भी नामोनिशान नहीं है गिद्ध प्रजनन केंद्र बस फाइलों में चल रहा है।


Body:इस गिद्ध प्रजनन सा संरक्षण केंद्र में गिद्धों को लाने की बात जमाने से चल रही है लेकिन कागजों और फाइलों पर ही बस, कुछ समय पूर्व तक यहां मगरमच्छ प्रजनन केंद्र भी था लेकिन इस मगरमच्छ प्रजनन केंद्र में बचे तीन मगरमच्छों को बिरसा जैविक उद्यान भेज दिया गया। 6 वर्षों पूर्व केंद्र योजना के तहत इसी मगरमच्छ प्रजनन केंद्र मूटा में विलुप्त हो रहे गीतों को बचाने के लिए गिद्ध प्रजनन सा संरक्षण केंद्र बनाया गया लेकिन यहां पर भी एक भी गेंद नहीं है। गिद्दो का प्रजनन के लिए गीतों का जोड़ा लाना था लेकिन विभाग की कागजी प्रक्रिया लंबे समय तक चलता रहा इस केंद्र में अस्पताल ,नर्सरी ,लैब, जैसे गिद्धों के प्रजनन के लिए कई सुविधा बनाई गई है लेकिन गिद्ध नहीं है। विभागीय मंत्री अमर कुमार बावरी ने कहा कि बदलते क्लाइमेट के कारण यह स्थिति देखने को मिल रही है विलुप्त हो रहे जीवो को बचाने के लिए हम सब को जागरूक होना जरूरी है जिसके लिए केंद्र सरकार ने भी कोई योजना चला रखी है साथी मूटा मगरमच्छ प्रजनन केंद्र और गिद्ध प्रजनन संरक्षण केंद्र के बारे में उन्होंने कहा कि इस विषय पर विभाग से जानकारी लेकर जल्द हे से दुरुस्त किया जाएगा । आखिर गिद्ध प्रजनन और संरक्षण केंद्र में आकर अब तक एक भी गिद्द क्यों नहीं लाया गया है


Conclusion:हां लेकिन एक बात जरूर है मुक्ता मगर प्रजनन केंद्र और गिद्ध प्रजनन केंद्र आने वाले रास्ते पर टूरिज्म डेवलपमेंट ने जगह-जगह पर बोर्ड लगाकर इसके बारे में बढ़-चढ़कर बखान किया है लेकिन यहां पर पहुंचने पर जमीनी हकीकत कुछ और ही दिखाई देती है मुक्ता मगर प्रजनन केंद्र पहुंचने के लिए 5 किलोमीटर कच्ची सड़क से होकर गुजरना पड़ता है। हर जवाब कच्ची रास्ता को पार कर मगरमच्छ प्रजनन केंद्र एवम गिद्ध प्रजनन केंद्र पहुंचेंगे तो आपको ना तो मगरमच्छ देखने को मिलेगा और ना ही गिद्ध दिखेगा
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