रांची: अगस्त के आखिरी महीने में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इन्वेस्टर्स समिट में भाग लिया. जिसमें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने उद्योगपतियों को झारखंड में उद्योग लगाने के लिए आमंत्रित किया. जिसके बाद समिट में शामिल उद्योगपतियों भी राज्य में उद्यम स्थापित करने का भरोसा जताया.
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लेकिन झारखंड की जमीनी हकीकत कुछ और ही है. ऐसा इसलिए कहा जा रहा, क्योंकि देश की मदर कंपनी कही जाने वाली एचईसी और उससे चलने वाली कई छोटी-बड़ी कंपनियां आज बंद होने के कगार पर है. एचईसी को लेकर कर्मचारियों एवं राज्य के लोगों में यह डर बना हुआ है कि कहीं देश की आन बान शान कही जाने वाली एचईसी पूरी तरह से बंद ना हो जाए.
एचईसी की वर्तमान स्थिति पर बात करें तो वाकई में इसकी स्थिति काफी दयनीय है, वर्क आर्डर होने के बावजूद भी यहां पर काम नहीं हो पा रहा है. अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक परेशान हैं, क्योंकि उन्हें समय पर वेतन नहीं मिल रहा है.
एचईसी में काम करने वाले अस्थायी कामगारों को महीनों से वेतन नहीं मिलने की वजह से वो परेशान हैं. अपनी वेतन की मांग को लेकर एचईसी कर्मचारियों को कई बार विरोध-प्रदर्शन भी करना पड़ा. क्योंकि समय पर वेतन नहीं मिलने से उनके घर की माली हालत पर सीधा असर पड़ता है. एचईसी के मजदूरों को सही समय पर वेतन दिलाने के लिए हटिया मजदूर यूनियन के अध्यक्ष भवन सिंह बताते हैं कि जब तक एचईसी के उपकरणों का आधुनिकीकरण नहीं होगा तब तक हम देश की बड़ी-बड़ी हैवी मशीन बनाने में सक्षम नहीं हो पाएंगे.
उन्होंने बताया कि एक वक्त था जब एचईसी खनन, बिजली, अंतरिक्ष, अनुसंधान, परमाणु परीक्षण, इस्पात, रेलवे और रक्षा विभाग के लिए बड़ी-बड़ी मशीनों का निर्माण करता था और आए दिन एचईसी के पास देश के बड़े-बड़े कार्यों के लिए वर्क आर्डर भी मिलता था. लेकिन आज स्थिति सीधे उलट है, एचईसी के पास वर्क आर्डर होने के बाद भी एचईसी हेवी मशीन बनाने की स्थिति में नहीं है, क्योंकि इसकी तमाम पुरानी मशीनें खराब हो रही हैं.
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एचईसी के जीर्णोद्धार के लिए अगर केंद्र सरकार आर्थिक मदद नहीं कर सकती तो तत्काल एचईसी के पास लगभग 1100 एकड़ जमीन के आधार पर बैंक से हजारों करोड़ का लोन मिल सकता है. लेकिन इसको लेकर भी ना तो राज्य सरकार और ना ही केंद्र सरकार ध्यान दे रही है. अगर एचईसी के पास वर्क आर्डर को पूरा करने के लिए आर्थिक मदद और संसाधन उपलब्ध हो जाए तो आने वाले समय में एचईसी फिर से विश्व स्तर पर भारत देश का नाम सुनहरे अक्षरों में लिखेगा.
केंद्र की नीतियां जिम्मेदार- CITU नेता
एचईसी की खराब हालत को लेकर वाम दल के नेता अजय सिंह बताते हैं कि वर्तमान सरकार जिस प्रकार से हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स कंपनी को नजरअंदाज कर अंबानी की कंपनी को राफेल का आर्डर दिया था, वैसा ही बर्ताव एचईसी के साथ भी किया जा रहा है, बड़ी-बड़ी संस्थानों को निजी हाथों में सौंपा जा रहा है. कोरोना काल में जब पूरा देश ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहा था तो झारखंड सहित कई राज्यों की स्टील कंपनियों ने अपने स्तर से ऑक्सीजन की आपूर्ति की, जिससे हजारों लोगों की जान बची.
सेंट्रल इंडियन ऑफ ट्रेड यूनियन (CITU) के मजदूर नेता एसके राय बताते हैं कि जब से केंद्र में एनडीए की सरकार बनी है तब से एचईसी की हालत बहुत खराब हो गई है. मजदूरों को वेतन पुनरीक्षण भी पिछले कई वर्षों से नहीं मिला है, केंद्र की नीतियों के कारण स्थिति और खराब होती जा रही है. केंद्र सरकार एचईसी को किसी प्रकार का मदद नहीं करना चाहती. इसी कारण कच्चा माल की घोर कमी हो रही है, जिससे एचईसी उत्पादन करने में सक्षम नहीं है.
केंद्र से मिला आश्वासन
वेतन भुगतान और वेतन पुनरीक्षण को लेकर केंद्र सरकार के भारी उद्योग मंत्रालय को ज्ञापन भी सौंपा गया है. दूसरी ओर संसद भवन में भी एचईसी की समस्या को लेकर झारखंड की सांसद गीता कोड़ा और संजय सेठ ने सवाल भी उठाया ताकि केंद्र सरकार की भारी उद्योग मंत्रालय एचईसी के जीर्णोद्धार को लेकर कोई ठोस कदम उठाए. सदन में सवाल उठने के बाद भारी उद्योग मंत्रालय की ओर से आश्वासन भी दिया गया कि जल्द ही एचईसी के मजदूरों की समस्याओं के समाधान के लिए ठोस कदम उठाएगी.
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HEC के 8 हजार कर्मचारियों पर आफत
रांची स्थित एचईसी में लगभग 8 हजार कर्मचारी आज की तारीख में भी स्थायी और अस्थायी रूप से काम कर रहे हैं और एचईसी से ही उनके और उनके परिवार का पेट चलता है. इसके बावजूद भी कर्मचारियों को समय पर वेतन नहीं मिल पा रहा. वर्तमान स्थिति की बात करें तो एचईसी में अभी तक अस्थायी रूप से सीएमडी तक की बहाली नहीं हुई है, जिस वजह से कई तरह के कार्य अधर में हैं. अब देखने वाली बात यह होगी कि आखिर कब तक राज्य और केंद्र सरकार एक-दूसरे पर एचईसी के विकास को लेकर ठीकरा फोड़ती रहेगी. एचईसी का कब तक पुनरुद्धार होगा और सरकार कब तक हेवी मशीन कॉरपोरेशन को फिबाइटर से आधुनिकीकरण करेगी.