रांची: झारंखड के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी सोमवार लगभग 14 साल बाद बीजेपी में वापसी कर लिए. बाबूलाल की घर वापसी को लेकर रांची में एक मेगा शो रखा गया. इस कार्यक्रम में गृह मंत्री अमित शाह और झारखंड बीजेपी के सभी बड़े नेता शामिल हुए.
दुमका से राजनीतिक जीवन की शुरुआत
बाबूलाल मरांडी गिरिडीह जिला के निवासी हैं. एक स्वयंसेवक के रूप में वे 1989 में दुमका आएं. उनकी सांगठनिक क्षमता और बढ़ते प्रभाव को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी ने 1991 के लोकसभा चुनाव में पहली बार झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन के सामने प्रत्याशी बनाया. इस चुनाव में बाबूलाल मरांडी की हार हुई. इसके बाद वे भाजपा संगठन को लगातार मजबूत करते रहें. एक बार फिर 1996 लोकसभा चुनाव में दुमका से वे भाजपा प्रत्याशी बने, लेकिन इस बार फिर गुरुजी उनपर भारी पड़े.
1998 में दुमका सीट जीत पहली बार पहुंचे लोकसभा
संसदीय चुनाव में दो बार लगातार हार के बाद बाबूलाल मरांडी ने 1998 का लोकसभा चुनाव पूरी दमखम के साथ दुमका सीट से ही लड़ा. इस बार उन्होंने हेवीवेट माने जाने वाले झारखंड मुक्ति मोर्चा के शिबू सोरेन को परास्त किया. 1999 के लोकसभा के मध्यावधि चुनाव में दुमका से बाबूलाल फिर से एक बार भाजपा के प्रत्याशी थे. इस बार झारखंड मुक्ति मोर्चा ने शिबू सोरेन की पत्नी रूपी सोरेन को चुनावी मैदान में उतारा था. बाबूलाल मरांडी ने रूपी सोरेन को परास्त किया. वे अटल बिहारी वाजपेयी के मंत्रिमंडल में वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री बनाए गए.
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झारखंड के पहले मुख्यमंत्री
15 नवंबर 2000 को अलग झारखंड राज्य की स्थापना के बाद बाबूलाल मरांडी को केंद्रीय नेतृत्व ने मुख्यमंत्री का दायित्व सौंपा. इसके बाद से उनकी एक नई पारी की शुरुआत हुई.
2006 में झाविमो का किया था गठन
बाबूलाल मरांडी 2006 में भाजपा से अलग होकर 2006 में झाविमो का गठन किया. दुमका से उनका लगाव कम नहीं हुआ. 2014 के चुनाव में वे झाविमो से दुमका लोकसभा चुनाव लड़े. हालांकि, वे इस चुनाव में हार गए. आज फिर से बाबूलाल भाजपा के होने जा रहे हैं.