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सहायक पुलिसकर्मी फिर हुए गोलबंद, सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप, 27 सितंबर से आंदोलन का ऐलान - Auxiliary policemen movement in Morhabadi

संविदा के आधार बहाल सहायक पुलिसककर्मी अपनी मांगों को लेकर फिर से आंदोलन करने वाले हैं. मांग नहीं माने जाने से नाराज पुलिसकर्मियों ने 27 सितंबर से धरना प्रदर्शन का ऐलान किया है.

Assistant policemen will agitate
सहायक पुलिसकर्मी करेंगे आंदोलन
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Published : Sep 25, 2021, 3:27 PM IST

रांची: 12 नक्सल प्रभावित जिलों में संविदा के आधार बहाल 2,500 सहायक पुलिसककर्मी अपनी मांगों को लेकर फिर से आंदोलन शुरू करने वाले हैं. सहायक पुलिसकर्मियों ने 27 सितंबर से राजभवन और सीएम आवास के सामने अनिश्चितकालीन धरना-प्रदर्शन का ऐलान कर दिया है.

मांग नहीं माने जाने से नाराज

सहायक पुलिसकर्मियों का कहना है कि पिछले साल 12 सितंबर 2020 से 23 सितंबर 2020 तक मोरहाबादी मैदान में आंदोलन चला था. उस वक्त मंत्री मिथिलेश ठाकुर मिलने आए थे. उन्होंने भरोसा दिलाया था कि मांगों पर विचार के लिए जल्द ही पांच सदस्यीय कमेटी गठित होगी. कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जाएगा. लेकिन इस दिशा में अबतक कुछ नहीं हुआ.

ये भी पढ़ें: चाईबासा में पीएलएफआई का एरिया कमांडर सहित 6 नक्सली गिरफ्तार

एक साल के लिए बढ़ाई गई थी संविदा

सहायक पुलिसकर्मियों ने बताया कि तत्कालीन रघुवर सरकार के कार्यकाल में 12 नक्सल प्रभावित जिलों के 2,500 युवक-युवतियों को तीन साल की संविदा पर गृह जिला में सेवा देने के लिए रखा गया था. पिछले साल संविदा अवधि खत्म होने पर नौकरी से निकाले जाने की प्रक्रिया के खिलाफ आंदोलन हुआ था. इसके बाद एक साल के लिए संविदा बढ़ा दी गई थी. इसी बीच 2022 तक संविदा बढ़ा दी गई है. लेकिन अबतक मानदेय में किसी तरह का कोई इजाफा नहीं हुआ है. ऊपर से गृह जिला से हटाकर दूसरे जिलों में सेवा ली जा रही है. महंगाई इतनी बढ़ गई है कि दस हजार रूपये में परिवार को पालना मुश्किल हो रहा है.

चलता रहेगा विरोध प्रदर्शन

सहायक पुलिसकर्मियों का कहना है कि जब तक मानदेय में वृद्धि (स्थायीकरण की भी मांग ) और संविदा अवधि में विस्तार के साथ गृहजिला में सेवा और पुलिस बहाली में प्राथमिकता का भरोसा नहीं दिया जाता, तब तक आंदोलन चलता रहेगा.

पिछले साल भी हुआ था आंदोलन

आपको बता दें कि पिछले साल 12 सितंबर को 2500 सहायक पुलिसकर्मियों ने मोरहाबादी मैदान में डेरा डंडा डाल दिया था. महिलाएं अपने छोटे-छोटे बच्चों को लेकर आंदोलन में शामिल हुई थी. 18 सितंबर को बैरिकेडिंग किए जाने पर सहायक पुलिसकर्मी उग्र हो गए थे. बैरिकेडिंग को तोड़ दिया गया था. फिर पुलिस लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले दागे गए थे. इस झड़प में कई पुलिसकर्मी भी घायल हुए थे. अब फिर से आंदोलन की घोषणा हुई है.अब देखना है कि प्रशासन और सिस्टम इस मामले को किस तरह हैंडल करता है.

रांची: 12 नक्सल प्रभावित जिलों में संविदा के आधार बहाल 2,500 सहायक पुलिसककर्मी अपनी मांगों को लेकर फिर से आंदोलन शुरू करने वाले हैं. सहायक पुलिसकर्मियों ने 27 सितंबर से राजभवन और सीएम आवास के सामने अनिश्चितकालीन धरना-प्रदर्शन का ऐलान कर दिया है.

मांग नहीं माने जाने से नाराज

सहायक पुलिसकर्मियों का कहना है कि पिछले साल 12 सितंबर 2020 से 23 सितंबर 2020 तक मोरहाबादी मैदान में आंदोलन चला था. उस वक्त मंत्री मिथिलेश ठाकुर मिलने आए थे. उन्होंने भरोसा दिलाया था कि मांगों पर विचार के लिए जल्द ही पांच सदस्यीय कमेटी गठित होगी. कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जाएगा. लेकिन इस दिशा में अबतक कुछ नहीं हुआ.

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एक साल के लिए बढ़ाई गई थी संविदा

सहायक पुलिसकर्मियों ने बताया कि तत्कालीन रघुवर सरकार के कार्यकाल में 12 नक्सल प्रभावित जिलों के 2,500 युवक-युवतियों को तीन साल की संविदा पर गृह जिला में सेवा देने के लिए रखा गया था. पिछले साल संविदा अवधि खत्म होने पर नौकरी से निकाले जाने की प्रक्रिया के खिलाफ आंदोलन हुआ था. इसके बाद एक साल के लिए संविदा बढ़ा दी गई थी. इसी बीच 2022 तक संविदा बढ़ा दी गई है. लेकिन अबतक मानदेय में किसी तरह का कोई इजाफा नहीं हुआ है. ऊपर से गृह जिला से हटाकर दूसरे जिलों में सेवा ली जा रही है. महंगाई इतनी बढ़ गई है कि दस हजार रूपये में परिवार को पालना मुश्किल हो रहा है.

चलता रहेगा विरोध प्रदर्शन

सहायक पुलिसकर्मियों का कहना है कि जब तक मानदेय में वृद्धि (स्थायीकरण की भी मांग ) और संविदा अवधि में विस्तार के साथ गृहजिला में सेवा और पुलिस बहाली में प्राथमिकता का भरोसा नहीं दिया जाता, तब तक आंदोलन चलता रहेगा.

पिछले साल भी हुआ था आंदोलन

आपको बता दें कि पिछले साल 12 सितंबर को 2500 सहायक पुलिसकर्मियों ने मोरहाबादी मैदान में डेरा डंडा डाल दिया था. महिलाएं अपने छोटे-छोटे बच्चों को लेकर आंदोलन में शामिल हुई थी. 18 सितंबर को बैरिकेडिंग किए जाने पर सहायक पुलिसकर्मी उग्र हो गए थे. बैरिकेडिंग को तोड़ दिया गया था. फिर पुलिस लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले दागे गए थे. इस झड़प में कई पुलिसकर्मी भी घायल हुए थे. अब फिर से आंदोलन की घोषणा हुई है.अब देखना है कि प्रशासन और सिस्टम इस मामले को किस तरह हैंडल करता है.

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