रांची: कोरोना काल में मजदूरों को रोजगार मुहैया कराना सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती है. ऐसे समय में महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम सबसे सशक्त माध्यम बनकर सामने आया है. हालांकि योजनाओं में घालमेल और कम मजदूरी के कारण मनरेगा हमेशा सवालों में रहा है. अब इस पर कोई सवाल ना उठाए, इसे ध्यान में रखते हुए झारखंड के ग्रामीण विकास विभाग ने एक नया फार्मूला निकाला है.
अब इस अधिनियम के तहत योजनाओं से जुड़कर एक तरफ मजदूर काम करेंगे, तो दूसरी तरफ सभी कार्य दिवस और योजनाओं की सोशल ऑडिटिंग भी साथ-साथ होगी. मनरेगा के तहत रोजगार मुहैया कराने के लिए मुख्यमंत्री ने 3 नई योनाओं की घोषणा की है. इन योजनाओं को पूरा करने के लिए विभाग ने 'पानी रोको, पौधा रोपो' कार्यक्रम की शुरुआत की है. इस माध्यम से प्रतिदिन 10 लाख मजदूरों को प्रतिदिन काम देने के लक्ष्य रखा गया है.
ये भी पढ़ें- ना यह वन का उपज है और ना ही कृषि उत्पाद, झारखंड के इस व्यंजन में है मिनरल्स भरपूर
सभी मजदूरों को सही समय पर काम मिले और उसका वाजिब दाम समय पर मिल पाए. इसी के लिए विभाग ने सोशल ऑडिट यूनिट के माध्यम से समवर्ती सामजिक ऑडिट का काम भी शुरु किया है. आमतौर पर मनरेगा के तहत कार्य पूरा हो जाने के बाद ही सामजिक ऑडिट का कार्य ग्राम सभा के माध्यम से संपन्न कराने की अधिनियम में व्यवस्था की गयी है, लेकिन चल रहे कार्य की निगरानी का प्रावधान भी ग्रामीण विकास विभाग ने किया है. जिसमें सोशल ऑडिट यूनिट के स्रोत व्यक्ति के साथ-साथ स्थानीय ग्राम निगरानी समिति के सदस्य, मजदूर मंच के प्रतिनिधि और स्वयं सहायता समूह के प्रतिनिधि भी शामिल होते हैं.
एक लाख कार्यों का होगा भौतिक सत्यापन
1 जून से 11 जुलाई तक राज्य के 2152 पंचायतों में यह कार्य किया जायेगा. जिसमे प्रवासी मजदूरों का जॉब कार्ड बनाने, उनके काम के आवेदन को तैयार करने को विशेष प्राथमिकता दी जाएगी. मनरेगा के तहत प्रारंभ किये गए 1 लाख से अधिक कार्यों का भौतिक सत्यापन किया जायेगा और मशीन और ठेकेदार की संलिप्तता न हो इस पर विशेष ध्यान रखा जायेगा. जिन गांव में काम नहीं चल रहा है, उसकी सूची प्रतिदिन विभाग को सौंपी जाएगी और अगर किसी मजदूर का जॉब कार्ड उसके पास नहीं होकर किसी और के पास रख लिया गया हो तो उसकी सूचना भी विभाग को प्रतिदिन दी जाएगी.