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झारखंड में नहीं है प्रतिभाओं की कमी, सरकारी उदासीनता के कारण मजबूर हैं रामचंद्र जैसे खिलाड़ी

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Published : Mar 2, 2020, 8:16 PM IST

रांची के खिजरी का रहने वाला एथलीट रामचंद्र संगा देश के लिए गोल्ड जीत चुका है. ऐसे में खिलाड़ी और उसके परिवार को आस है की सरकार उसके और उसके परिवार के लिए कुछ मदद करें, ताकि उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार आए और खेल में इस्तेमाल होने वाले जरूरी सामानों से वंचित न रहे.

Athletes are not getting government facility in ranchi
एथलीट रामचंद्र संगा

रांचीः राज्य में प्रतिभावान खिलाड़ियों की कोई कमी नहीं है, लेकिन यह प्रतिभाएं लगातार सरकारी उपेक्षाओं का शिकार होता दिख रहा है. आज हम एक ऐसे अंतरराष्ट्रीय स्तर के जूनियर एथलीट से अपने दर्शकों को रूबरू कराएंगे जो कड़ी मेहनत कर देश के लिए गोल्ड जीता है, लेकिन इस ओर किसी का भी ध्यान नहीं है. हालांकि इनके प्रशिक्षक अरविंद कुमार के अथक प्रयास से आज ये खिलाड़ी तेज धावक बनकर उभर कर सामने आया है.

देखें स्पेशल स्टोरी

खिलाड़ी ने जीता है गोल्ड

ईटीवी भारत की टीम इस खिलाड़ी के प्रैक्टिस स्टेडियम से लेकर घर तक का जायजा लिया. वाकई इस खिलाड़ी को सरकारी सहायता की जरूरत है. राजधानी रांची के खिजरी प्रखंड नामकुम ब्लॉक के जोरार गांव के रहने वाले पांच भाई बहनों में से सबसे छोटा रामचंद्र सांगा अंतरराष्ट्रीय स्तर का एथलीट है. उपलब्धियों की बात करें तो यह खिलाड़ी गोल्ड मेडलिस्ट है. 2018 में हिमाचल में 400 मीटर की दौड़ में नेशनल प्रतियोगिता में सांगा ने गोल्ड जीता फिर खेलो इंडिया में भी ब्रोंज जीतकर देश का नाम रोशन किया है. यही नहीं जूनियर नेशनल में सिल्वर जीता है.

Athletes are not getting government facility in ranchi
प्रैक्टिस करता खिलाड़ी

इस बार भी खेलो इंडिया में इस खिलाड़ी ने बेहतर प्रदर्शन करते हुए मेडल जीतकर झारखंड का नाम रोशन किया है. एशियन यूथ चैंपियनशिप हांगकांग के प्रतियोगिता में भी हिस्सा लिया. ऐसे ही कई उपलब्धियां इस अंतरराष्ट्रीय स्तर के गोल्ड मेडलिस्ट रामचंद्र सांगा के साथ जुड़ा हुआ है, लेकिन इस ओर सरकार कोई सुविधा नहीं मिली है.

Athletes are not getting government facility in ranchi
सरकार से मदद की आस

साल 2017 से कर रहा ट्रेनिंग

रामचंद्र सांगा के प्रशिक्षक अरविंद कुमार का कहना है कि वर्ष 2017 में रामचंद्र सांगा के ही भाई जो कि एक एथलीट है उन्होंने ही रामचंद्र को उनके पास लाया था और कहा था कि इन्हें भी खेल में रुचि है. दिनभर फुटबॉल खेल कर समय बर्बाद करता है. इनके कोच अरविंद कुमार ने पहले तो रामचंद्र का टेस्ट लिया और ट्रेनिंग की शुरुआत की. धीरे-धीरे इस खिलाड़ी में ऐसा पोटेंशियल दिखा कि उन्होंने देश के लिए गोल्ड जीतकर ले आया. इनके प्रशिक्षक अरविंद का कहना है कि झारखंड के खिलाड़ियों में काफी पोटेंशियल है, लेकिन माली हालत खराब होने के कारण सही डाइट नहीं मिल पाता है. इस ओर सरकार को ध्यान देने की जरूरत है, ताकि झारखंड और देश के लिए उनके खिलाड़ी गोल्ड मेडल जीतकर राज्य और देश का नाम रोशन कर सकें.

ये भी पढ़ें- लॉ कॉलेज की छात्रा से दुष्कर्म मामला: अदालत ने सभी 11 आरोपियों को सुनाई उम्र कैद की सजा

एथलेटिक्स स्टेडियम से घर तक पंहुची ईटीवी भारत की टीम

ईटीवी भारत की टीम जब राजधानी रांची स्थित होटवार मेगा स्पोर्ट्स एथलेटिक स्टेडियम पहुंची. उस दौरान देखा कि रामचंद्र सांगा लगातार प्रैक्टिस में जुटा हुआ है. कोच की ओर से तमाम तरह की टेक्निक उसे बताया जा रहे है. जिसके बाद रामचंद्र सांगा के घर नामकुम स्थित जोरार गांव पहुंचे जिसे देखकर सब दंग रह गए. दरअसल एक झोपड़ी नुमा घर में पांच भाई बहनों और माता-पिता के साथ यह इंटरनेशनल खिलाड़ी रहते हैं. उनके पिता खेती-बाड़ी कर जीविकोपार्जन चलाते हैं. प्रत्येक दिन प्रैक्टिस के बाद रामचंद्र अपने पिता का हाथ भी बंटाते हैं.

मां पिता का ये है ख्वाहिश

पिता का कहना है कि थोड़ी सरकारी सहायता अगर मिल जाए तो उनके बेटे और अच्छा करेगा. खानपान में थोड़ी कमी रहती है. इस वजह से कभी-कभी सेहत खराब हो जाता है और इसका बुरा असर खेल पर भी पड़ता है. वहीं रामचंद्र सांगा की मां हमारी टीम के साथ बातचीत के दौरान ही रो पड़ी. उनकी आंखों में आंसू भर आया उन्होंने कहा कि अगर सहायता मिल जाए तो उनके बेटे रामचंद्र सांगा और भी बेहतर करेगा.

रांचीः राज्य में प्रतिभावान खिलाड़ियों की कोई कमी नहीं है, लेकिन यह प्रतिभाएं लगातार सरकारी उपेक्षाओं का शिकार होता दिख रहा है. आज हम एक ऐसे अंतरराष्ट्रीय स्तर के जूनियर एथलीट से अपने दर्शकों को रूबरू कराएंगे जो कड़ी मेहनत कर देश के लिए गोल्ड जीता है, लेकिन इस ओर किसी का भी ध्यान नहीं है. हालांकि इनके प्रशिक्षक अरविंद कुमार के अथक प्रयास से आज ये खिलाड़ी तेज धावक बनकर उभर कर सामने आया है.

देखें स्पेशल स्टोरी

खिलाड़ी ने जीता है गोल्ड

ईटीवी भारत की टीम इस खिलाड़ी के प्रैक्टिस स्टेडियम से लेकर घर तक का जायजा लिया. वाकई इस खिलाड़ी को सरकारी सहायता की जरूरत है. राजधानी रांची के खिजरी प्रखंड नामकुम ब्लॉक के जोरार गांव के रहने वाले पांच भाई बहनों में से सबसे छोटा रामचंद्र सांगा अंतरराष्ट्रीय स्तर का एथलीट है. उपलब्धियों की बात करें तो यह खिलाड़ी गोल्ड मेडलिस्ट है. 2018 में हिमाचल में 400 मीटर की दौड़ में नेशनल प्रतियोगिता में सांगा ने गोल्ड जीता फिर खेलो इंडिया में भी ब्रोंज जीतकर देश का नाम रोशन किया है. यही नहीं जूनियर नेशनल में सिल्वर जीता है.

Athletes are not getting government facility in ranchi
प्रैक्टिस करता खिलाड़ी

इस बार भी खेलो इंडिया में इस खिलाड़ी ने बेहतर प्रदर्शन करते हुए मेडल जीतकर झारखंड का नाम रोशन किया है. एशियन यूथ चैंपियनशिप हांगकांग के प्रतियोगिता में भी हिस्सा लिया. ऐसे ही कई उपलब्धियां इस अंतरराष्ट्रीय स्तर के गोल्ड मेडलिस्ट रामचंद्र सांगा के साथ जुड़ा हुआ है, लेकिन इस ओर सरकार कोई सुविधा नहीं मिली है.

Athletes are not getting government facility in ranchi
सरकार से मदद की आस

साल 2017 से कर रहा ट्रेनिंग

रामचंद्र सांगा के प्रशिक्षक अरविंद कुमार का कहना है कि वर्ष 2017 में रामचंद्र सांगा के ही भाई जो कि एक एथलीट है उन्होंने ही रामचंद्र को उनके पास लाया था और कहा था कि इन्हें भी खेल में रुचि है. दिनभर फुटबॉल खेल कर समय बर्बाद करता है. इनके कोच अरविंद कुमार ने पहले तो रामचंद्र का टेस्ट लिया और ट्रेनिंग की शुरुआत की. धीरे-धीरे इस खिलाड़ी में ऐसा पोटेंशियल दिखा कि उन्होंने देश के लिए गोल्ड जीतकर ले आया. इनके प्रशिक्षक अरविंद का कहना है कि झारखंड के खिलाड़ियों में काफी पोटेंशियल है, लेकिन माली हालत खराब होने के कारण सही डाइट नहीं मिल पाता है. इस ओर सरकार को ध्यान देने की जरूरत है, ताकि झारखंड और देश के लिए उनके खिलाड़ी गोल्ड मेडल जीतकर राज्य और देश का नाम रोशन कर सकें.

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एथलेटिक्स स्टेडियम से घर तक पंहुची ईटीवी भारत की टीम

ईटीवी भारत की टीम जब राजधानी रांची स्थित होटवार मेगा स्पोर्ट्स एथलेटिक स्टेडियम पहुंची. उस दौरान देखा कि रामचंद्र सांगा लगातार प्रैक्टिस में जुटा हुआ है. कोच की ओर से तमाम तरह की टेक्निक उसे बताया जा रहे है. जिसके बाद रामचंद्र सांगा के घर नामकुम स्थित जोरार गांव पहुंचे जिसे देखकर सब दंग रह गए. दरअसल एक झोपड़ी नुमा घर में पांच भाई बहनों और माता-पिता के साथ यह इंटरनेशनल खिलाड़ी रहते हैं. उनके पिता खेती-बाड़ी कर जीविकोपार्जन चलाते हैं. प्रत्येक दिन प्रैक्टिस के बाद रामचंद्र अपने पिता का हाथ भी बंटाते हैं.

मां पिता का ये है ख्वाहिश

पिता का कहना है कि थोड़ी सरकारी सहायता अगर मिल जाए तो उनके बेटे और अच्छा करेगा. खानपान में थोड़ी कमी रहती है. इस वजह से कभी-कभी सेहत खराब हो जाता है और इसका बुरा असर खेल पर भी पड़ता है. वहीं रामचंद्र सांगा की मां हमारी टीम के साथ बातचीत के दौरान ही रो पड़ी. उनकी आंखों में आंसू भर आया उन्होंने कहा कि अगर सहायता मिल जाए तो उनके बेटे रामचंद्र सांगा और भी बेहतर करेगा.

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