रांचीः झारखंड के मुख्य सचिव डीके तिवारी ने मुख्य सचिव का पदभार ग्रहण करने के साथ ही अफसरों को नागरिकों के प्रति उनके उत्तरदायित्व का पाठ पढ़ाया था. इसको लेकर उन्होंने पहला अर्द्ध सरकारी पत्र भी जारी किया था. इसमें समय पर ऑफिस आना, समय पर बायोमेट्रिक्स के जरिए हाजिरी लगाना, निर्धारित समय में कार्यो का निपटारा करना जैसी बातें शामिल थी लेकिन मुख्य सचिव को यह जानकर बेहद तकलीफ होगी कि नगर विकास विभाग के नगरीय प्रशासन निदेशालय में सहायक निदेशक के पद पर कार्यरत संजय कुमार उनके आदेश की धज्जियां उड़ा रहे हैं.
ईटीवी भारत की पड़ताल में पता चला है कि सहायक निदेशक संजय कुमार बायोमेट्रिक्स हाजरी सिस्टम का बेजा इस्तेमाल कर रहे हैं. इनका ऑफिस एचईसी में प्रोजेक्ट भवन के पास स्थित FFP बिल्डिंग में है. कायदे से इनको उसी बिल्डिंग में लगे बायोमेट्रिक्स सिस्टम में हाजिरी बनानी है लेकिन वे FFP बिल्डिंग से करीब 8 किलोमीटर दूर डोरंडा स्थित नेपाल हाउस सचिवालय में अपनी हाजिरी अक्सर बनाया करते हैं.
नेपाल हाउस में हाजिरी और FFP बिल्डिंग में ड्यूटी
नगर विकास विभाग के सहायक निदेशक संजय कुमार ने 26 जून से 10 जुलाई के बीच 6 दिन तक नेपाल हाउस में हाजिरी बनाई है. नियम के मुताबिक सभी अधिकारियों और पदाधिकारियों को सुबह 10 बजे तक ऑफिस पहुंच जाना है लेकिन इस मामले में संजय कुमार लापरवाही बरत रहे हैं.
संजय कुमार ने 26 जून को नेपाल हाउस में 11 बजकर 5 मिनट, 1 जुलाई को 10 बजकर 29 मिनट, 3 जुलाई को 11 बजकर 1 मिनट, 5 जुलाई को 11 बजकर 16 मिनट , 9 जुलाई को 11 बजे और 10 जुलाई को 10 बजकर 30 मिनट पर नेपाल हाउस में हाजिरी लगाई है.
अब आप समझ सकते हैं कि नेपाल हाउस में हाजिरी बनाने के बाद जनाब को 8 किलोमीटर दूर FFP बिल्डिंग स्थित अपने ऑफिस में पहुंचने में कितना वक्त लगता होगा. इससे साफ है कि मुख्य सचिव का निर्देश इनके लिए क्या मायने रखता है.
नेपाल हाउस में क्यों बनाते हैं हाजिरी
ईटीवी भारत की टीम ने इस बात की भी पड़ताल की कि नगर विकास विभाग के सहायक निदेशक संजय कुमार नेपाल हाउस में हाजिरी बनाने में दिलचस्पी क्यों रखते हैं? दरअसल नेपाल हाउस के पीछे वाली गेट के बगल में ही स्थित बिल्डिंग में उनका आवास है लिहाजा, इसका फायदा उठाना उनकी आदत बन गई है.
हाजिरी की होनी चाहिए जांच
10 दिन के भीतर 6 दिन अपने ऑफिस के बजाय दूसरे ऑफिस में जाकर बायोमेट्रिक्स के जरिए हाजिरी बनाने वाले सहायक निदेशक संजय कुमार का पूरा रिकॉर्ड खंगाला जाना चाहिए.इतना ही नहीं संजय कुमार को मोटर व्हीकल एक्ट की भी परवाह नहीं है. इन्होंने नियमों के खिलाफ निजी गाड़ी में बकायदा अपने परिचय का प्लेट लगवा रखा है.
नियमों के उल्लंघन के बाद भी वेतन
मुख्य सचिव ने 3 अप्रैल 2019 को अपने अर्द्ध सरकारी पत्र के जरिए स्पष्ट किया था कि बायोमेट्रिक प्रणाली के जरिए उपस्थिति का रिकॉर्ड देखने के बाद ही वेतन निर्गत करना है. मुख्य सचिव के पत्र से पहले सरकार के अपर मुख्य सचिव केके खंडेलवाल ने 2 अप्रैल 2019 को सभी विभागों के हेड के नाम इस व्यवस्था को सुनिश्चित कराने के लिए पत्र जारी किया था. संजय कुमार के मामले में यहां भी उन्हें राहत मिल गई है.
एक तरफ झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास करीब-करीब हर बैठक में अफसरों को कार्य संस्कृति में सुधार और जनता के प्रति उत्तरदायित्व की सीख देते रहते हैं. सीएम की मंशा को अमलीजामा पहनाने के लिए मुख्य सचिव इस बाबत विभागीय सचिवों को ताकीद करते रहते हैं लेकिन संजय कुमार जैसे पदाधिकारी झारखंड के प्रशासनिक सिस्टम को बदनाम कर रहे हैं.