रांचीः नगड़ी प्रखंड के कुलगू स्थित आदर्श आश्रम में बुधवार को तीन बेसहारा बुजुर्गों को लाया गया. ये वैसी महिलाएं हैं जिनके बच्चों ने उन्हें बुढ़ापे में उनके हाल पर मरने के लिए छोड़ दिया था. तंग और बदहाल हालत में देखकर एक शख्स ने सीएम को ट्वीट के माध्यम से उन वृद्ध महिलाओं की तस्वीर भेजी. जिसके बाद तुरंत कार्रवाई करते हुए उन्हें आदर्श आश्रम में लाया गया.
घर से निकाले जाने के बाद तीनों बनी दोस्त
जानकारी के अनुसार, तीन वृद्ध महिलाएं मुनिया देवी, बासी उराईन और लालो घर से निकाले जाने के बाद लोगों से मांग-मांगकर अपना पेट भरती थीं. सोने के लिए पास के रेलवे स्टेशन का सहारा लेती. तीनों एक साथ रहती थी और एक-दूसरे का सहारा बनी. बक-बक करने वाली मुनिया, न सुनने वाली लालो और बात न समझने वाली बासी एक अच्छी दोस्त बन गईं थी.
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ऐसी है इनकी कहानी
बताया गया कि डोरंडा, रांची की वृद्ध मुनियां देवी ने पति की मौत के बाद इकलौता बेटा बबन और उसकी पत्नी के प्रताड़ना से तंग आकर घर छोड़ कर मजबूरन फूटपाथ पर अपना आशियाना बना लिया. जबकि गुमला भरनो के अताकोरा गांव की बासी उराईन के तीन बेटों में दो बेटों की मौत के बाद तीसरे बेटे और बहु ने मारपीट कर उसे घर से निकाल दिया. जिसके बाद वो रेलवे स्टेशन पर रहने लगी. वहीं, बरियातू रांची की रहने वाली लालो देवी का कोई बेटा नहीं है, लेकिन उनकी बेटी और दमाद ने उसे घर से निकाल दिया जिसके बाद उन्होंने फुटपाथ को ही अपना सहारा बनाया.
सीएम के निर्देश के बाद मिला आशियाना
पिछले दिनों तीनों वृद्ध महिला एक लंगर में अपनी भूख मिटाने पहुंची थी. जहां तीनों को बदहाल हालत में देखकर एक सज्जन ने सीएम को टवीट के माध्यम से उनकी तस्वीर भेजी. जिसके बाद मामले में तुरंत कार्रवाई करते हुए तीनों महिलाओं को नगड़ी प्रखंड के कुलगू स्थित आदर्श आश्रम भेजा गया.
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तीनों को मिला एक ही कमरा
सीएम को ट्वीट करने के बाद खुले आसमान के नीचे जमीन पर सोने वाली तीनों वृद्धों को सर पर आज छत मिल गया. उन्हें पहनने के लिए कपड़ा मिला, समय पर खाना और सोने के लिए पलंग मिला है. उनके लिए खुशी की बात यह है कि तीनों को एक ही कमरे में जगह दी गई है.
2001 में बनाया गया था आश्रम
वहीं, आश्रम में रहने वाले डॉ. प्रभाष्क पाठक बताते हैं कि आदर्श आश्रम की स्थापना 2001 में एलएन सिन्हा ने कुलगू में 5 एकड़ की जमीन पर बेसहारा लोगों के लिए की थी. वर्तमान में आश्रम का संचालन पंकज कुमार करते हैं, यह आश्रम 25 बेसहारा वृ़द्धों का आज आशियाना है.