रांचीः शहरी फुटपाथ दुकानदारों के लिए करोड़ों की लागत से राजधानी रांची में बने कई मार्केटिंग कॉम्प्लेक्स बदहाल पड़ा है. वर्षों पूर्व करोड़ों की लागत से बने इस मार्केटिंग कॉम्प्लेक्स में एक भी दुकानों के सटर आज तक नहीं खुले. झारखंड आवास बोर्ड द्वारा तैयार इस बहुमंजिली मार्केटिंग कॉम्प्लेक्स में कम्युनिटी हॉल से लेकर सैकड़ों दुकानें बनी हैंं. लेकिन देखरेख के अभाव और आवंटित अब तक नहीं होने से यह असामाजिक तत्वों का अड्डा बन गया है.
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आज आलम ऐसा है कि पूरा मार्केटिंग कॉम्प्लेक्स का यह बिल्डिंग खंडहर में तब्दील हो रहा है. स्थानीय लोगों की मानें तो शाम क्या पूरे दिन यहां असामाजिक तत्वों का अड्डा बना रहता है. स्थानीय वार्ड पार्षद अरुण झा ने इसे आवास बोर्ड का मामला बताते हुए कहा है कि उन्होंने इस संबंध में कई बार आवास बोर्ड के प्रबंध निदेशक को पत्र लिखकर सूचित किया है. इसके वाबजूद लंबे समय से ये ऐसा ही पड़ा हुआ है. विधायक दीपक बिरुवा और कांग्रेस विधायक राजेश कच्छप ने ऐसे भवनों को जल्द से जल्द दुरुस्त कर दुकानदारों को आवंटित करने की मांग करते नजर आए.
राजस्व की हो रही क्षति
करोड़ों की लागत से बने आवास बोर्ड के आलिशान मार्केट कॉम्प्लेक्स में आम दुकानदारों के बजाए जानवरों ने डेरा डाल लिया है. नगर विकास विभाग और आवास बोर्ड के सहयोग से बने इस मार्केटिंग कॉम्प्लेक्स में स्ट्रीट वेंडर्स को स्थाई छत देना था. कई बार टेंडर कर दुकानों को आवंटित करने की कोशिश की गयी मगर हाई रेट के कारण दुकानदार इसे लेने के लिए रूचि नहीं दिखाई. कुछ दुकानदार ऊंची बोली लगाकर इसे लेने की कोशिश भी की लेकिन वो बाद में मुकर गए.
नीलामी को लेकर लोगों की उदासीनता की वजह आवास बोर्ड को राजस्व की क्षति हो रही है. इस तरह का मार्केट कॉम्प्लेक्स राजधानी के कई जगहों में आपको देखने को मिलेगा. 2013-14 में हटिया में जिला परिषद मद से बने मार्केट कॉम्प्लेक्स भी अपनी बदहाली पर रो रहा है. बरियातू, अरगोड़ा जैसे स्थानों में बने मार्केट कॉम्प्लेक्स भी सरकारी सिस्टम की पोल खोल रही है. लेकिन आवास बोर्ड चुप्पी साधे हुए है.
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हरमू बाजार स्थित मार्केट कॉम्प्लेक्स 3.50 करोड़ की लागत से तैयार हुआ था. करोडों की लागत से बने इस मार्केट कॉम्प्लेक्स में करीब एक हजार छोटी बड़ी दुकानों के अलावा कम्युनिटी हॉल बनाई गयी है. अगर इसे समय से आवंटित कर दिया जाता तो जहां सरकार को राजस्व की प्राप्ति होती. वहीं खुले आसमान में दुकान लगाने वालों को स्थाई छत मिल जाती मगर ऐसा हो नहीं सका. सरकार बदलने के बाद उम्मीद ये की गयी कि इसके भी दिन फिरेंगे. लेकिन हेमंत सोरेन सरकार के भी दो वर्ष होने के बाबजूद इन मार्केटिंग कॉम्प्लेक्स की सूरत नहीं बदली.