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रात के अंधेरे में हो रही थी गोवंश की तस्करी, स्थानीय लोगों ने पुलिस की जमकर लगाई 'क्लास'

जगन्नाथपुर इलाके से होकर 200 से अधिक संख्या में गोवंश को तस्कर शहर से बाहर ले जा रहे थे. इसी बीच कुछ स्थानीय लोगों ने गोवंश को तस्करों के द्वारा ले जाते देख लिया गया. स्थानीय लोगों ने तुरंत इस मामले की जानकारी जगन्नाथपुर पुलिस को दी, लेकिन जानकारी मिलने के बाद भी पुलिस मौके पर नहीं पहुंची.

गोवंश की तस्करी
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Published : Aug 29, 2019, 11:55 AM IST

रांची: जगन्नाथपुर इलाके में पशु तस्करी का खेल लगातार जारी है. गुरुवार की आधी रात के बाद अंधेरे का फायदा उठा पशु तस्कर 100 से अधिक गोवंश को तस्करी के लिए ले जा रहे थे. इसी बीच स्थानीय लोगों को इसकी सूचना मिल गई. स्थानीय लोगों के विरोध के बीच पशु तस्कर 50 से अधिक गोवंश को छोड़कर मौके से फरार हो गए.

देखें पूरी खबर


घटनास्थल पर नहीं पहुंची पुलिस
जगन्नाथपुर इलाके से होकर 200 से अधिक संख्या में गोवंश को तस्कर शहर से बाहर ले जा रहे थे. इसी बीच कुछ स्थानीय लोगों ने गोवंश को तस्करों के द्वारा ले जाते देख लिया गया. स्थानीय लोगों ने तुरंत इस मामले की जानकारी जगन्नाथपुर पुलिस को दी, लेकिन जानकारी मिलने के बाद भी पुलिस मौके पर नहीं पहुंची. जिसके बाद स्थानीय लोगों ने ही तस्करों को रोक उनसे उलझ गए. मामला बिगड़ते देख पशु तस्कर मौके से फरार हो गए. 50 से अधिक गोवंश को स्थानीय लोगों की मदद से बचा लिया गया. हालांकि, कुछ गोवंश को तस्कर अपने साथ ले जाने में कामयाब हुए.


डीएसपी को सुनाई खरी-खोटी
स्थानीय लोगों का आरोप है कि पुलिसवालों की मिलीभगत की वजह से ही गौ तस्कर इलाके में तस्करी कर रहे हैं. पुलिस को जब स्थानीय लोगों ने सूचना दी उसके बाद भी पुलिस मौके पर नहीं पहुंची, जबकि गुरुवार की रात 2 बजे ही पुलिस को सूचना दे दी गई थी, लेकिन पुलिस दिन के 8 बजे पहुंची. जगन्नाथपुर थाना प्रभारी अनूप कर्मकार और हटिया डीएसपी प्रभात रंजन जब मौके पर पहुंचे तो उन्हें स्थानीय लोगों के आक्रोश का सामना करना पड़ा. स्थानीय लोगों ने उन्हें जमकर खरी-खोटी सुनाई. इसके साथ ही पशु तस्करों से मिलीभगत का आरोप भी लगाया.


पशु तस्करी का खेल
झारखंड में भी गोवंशीय पशु हत्या प्रतिषेध अधिनियम, 2005 लागू है. इसके बावजूद राजधानी में पुलिस प्रशासन की नाक के नीचे प्रतिबंधित पशुओं की तस्करी की जा रही है. बंगाल और बिहार की सीमा से सटे होने के कारण पशु तस्कर इसका पूरा फायदा उठाते हैं. ये क्षेत्र पशु तस्करों के लिए सेफ जोन है. इन इलाकों में समय-समय पर पुलिस ने कार्रवाई करते हुए सफलता भी हासिल की है, फिर भी पशुओं की तस्करी में कमी नहीं आ रही है.

ये भी पढे़ं: सरायकेला में चल रहा पशु तस्करी का कारोबार, पुलिस पांच ट्रक में लदे पशुओं को किया जब्त
पशु तस्करी में एक बड़ा रैकेट काम कर रहा है. इनमें झारखंड, बिहार, बंगाल और उत्तरप्रदेश के तस्कर शामिल है. यही वजह है कि पुलिस को स्थानीय लोगों के आक्रोश का सामना करना पड़ा. जिन गोवंश के पशुओं को स्थानीय लोगों ने पशु तस्करों से मुक्त करवाया उन्हें इलाके में अलग-अलग लोगों के बीच बांट दिया गया ताकि वह उनकी सेवा कर सके.


होगी कार्रवाई
वहीं इस मामले को लेकर हटिया डीएसपी प्रभात रंजन ने बताया कि मामला गंभीर है और पुलिस ने इस मामले में क्या कार्रवाई की है या फिर कर्रवाई में क्यों देर हुई इसकी जांच की जा रही है. जांच में जो भी पदाधिकारी दोषी होंगे उन पर कार्रवाई की जाएगी.

रांची: जगन्नाथपुर इलाके में पशु तस्करी का खेल लगातार जारी है. गुरुवार की आधी रात के बाद अंधेरे का फायदा उठा पशु तस्कर 100 से अधिक गोवंश को तस्करी के लिए ले जा रहे थे. इसी बीच स्थानीय लोगों को इसकी सूचना मिल गई. स्थानीय लोगों के विरोध के बीच पशु तस्कर 50 से अधिक गोवंश को छोड़कर मौके से फरार हो गए.

देखें पूरी खबर


घटनास्थल पर नहीं पहुंची पुलिस
जगन्नाथपुर इलाके से होकर 200 से अधिक संख्या में गोवंश को तस्कर शहर से बाहर ले जा रहे थे. इसी बीच कुछ स्थानीय लोगों ने गोवंश को तस्करों के द्वारा ले जाते देख लिया गया. स्थानीय लोगों ने तुरंत इस मामले की जानकारी जगन्नाथपुर पुलिस को दी, लेकिन जानकारी मिलने के बाद भी पुलिस मौके पर नहीं पहुंची. जिसके बाद स्थानीय लोगों ने ही तस्करों को रोक उनसे उलझ गए. मामला बिगड़ते देख पशु तस्कर मौके से फरार हो गए. 50 से अधिक गोवंश को स्थानीय लोगों की मदद से बचा लिया गया. हालांकि, कुछ गोवंश को तस्कर अपने साथ ले जाने में कामयाब हुए.


डीएसपी को सुनाई खरी-खोटी
स्थानीय लोगों का आरोप है कि पुलिसवालों की मिलीभगत की वजह से ही गौ तस्कर इलाके में तस्करी कर रहे हैं. पुलिस को जब स्थानीय लोगों ने सूचना दी उसके बाद भी पुलिस मौके पर नहीं पहुंची, जबकि गुरुवार की रात 2 बजे ही पुलिस को सूचना दे दी गई थी, लेकिन पुलिस दिन के 8 बजे पहुंची. जगन्नाथपुर थाना प्रभारी अनूप कर्मकार और हटिया डीएसपी प्रभात रंजन जब मौके पर पहुंचे तो उन्हें स्थानीय लोगों के आक्रोश का सामना करना पड़ा. स्थानीय लोगों ने उन्हें जमकर खरी-खोटी सुनाई. इसके साथ ही पशु तस्करों से मिलीभगत का आरोप भी लगाया.


पशु तस्करी का खेल
झारखंड में भी गोवंशीय पशु हत्या प्रतिषेध अधिनियम, 2005 लागू है. इसके बावजूद राजधानी में पुलिस प्रशासन की नाक के नीचे प्रतिबंधित पशुओं की तस्करी की जा रही है. बंगाल और बिहार की सीमा से सटे होने के कारण पशु तस्कर इसका पूरा फायदा उठाते हैं. ये क्षेत्र पशु तस्करों के लिए सेफ जोन है. इन इलाकों में समय-समय पर पुलिस ने कार्रवाई करते हुए सफलता भी हासिल की है, फिर भी पशुओं की तस्करी में कमी नहीं आ रही है.

ये भी पढे़ं: सरायकेला में चल रहा पशु तस्करी का कारोबार, पुलिस पांच ट्रक में लदे पशुओं को किया जब्त
पशु तस्करी में एक बड़ा रैकेट काम कर रहा है. इनमें झारखंड, बिहार, बंगाल और उत्तरप्रदेश के तस्कर शामिल है. यही वजह है कि पुलिस को स्थानीय लोगों के आक्रोश का सामना करना पड़ा. जिन गोवंश के पशुओं को स्थानीय लोगों ने पशु तस्करों से मुक्त करवाया उन्हें इलाके में अलग-अलग लोगों के बीच बांट दिया गया ताकि वह उनकी सेवा कर सके.


होगी कार्रवाई
वहीं इस मामले को लेकर हटिया डीएसपी प्रभात रंजन ने बताया कि मामला गंभीर है और पुलिस ने इस मामले में क्या कार्रवाई की है या फिर कर्रवाई में क्यों देर हुई इसकी जांच की जा रही है. जांच में जो भी पदाधिकारी दोषी होंगे उन पर कार्रवाई की जाएगी.

Intro:रांची के जगन्नाथपुर इलाके में पशु तस्करी का खेल लगातार जारी है।गुरुवार की आधी रात के बाद अंधेरे का फायदा उठा पशु तस्कर 100 से अधिक गोवंश को तस्करी के लिए ले जा रहे थे ।इसी बीच स्थानीय लोगों को इसकी सूचना मिल गई। स्थानीय लोगों के विरोध के बीच पशु तस्कर 50 से अधिक गोवंश को छोड़कर मौके से फरार हो गए।


पुलिस को दी गई सूचना ,नही आई पुलिस

जगन्नाथपुर इलाके के से होकर 200 से अधिक संख्या में गोवंश को तस्कर शहर से बाहर ले जा रहे थे। इसी बीच कुछ स्थानीय लोगों ने गोवंश को तस्करों के द्वारा ले जाते देख लिया गया। स्थानीय लोगों ने तुरंत इस मामले की जानकारी जगन्नाथपुर पुलिस को दी। लेकिन जानकारी मिलने के बाद भी पुलिस मौके पर नहीं पहुंची जिसके बाद स्थानीय लोगों ने ही तस्करों को रोक उनसे उलझ गए। मामला बिगड़ते देख पशु तस्कर मौके से फरार हो गए। 50 से अधिक गोवंश को स्थानीय लोगों की मदद से बचा लिया गया। हालांकि कुछ गोवंश को टच कर अपने साथ ले जाने में भी कामयाब हुए।

थानेदार और डीएसपी को सुनाई खरी खोटी

स्थानीय लोगों का आरोप है कि पुलिस वालों के मिलीभगत के वजह से ही गौ तस्कर इलाके में तस्करी कर रहे हैं पुलिस को जब स्थानीय लोगों ने सूचना दी उसके बाद भी पुलिस मौके पर नहीं पहुंची जबकि गुरुवार की रात 2 बजे ही पुलिस को सूचना दे दी गई थी ।लेकिन पुलिस दिन के 8 बजे पहुंची। जगन्नाथपुर थाना प्रभारी अनूप कर्मकार और हटिया डीएसपी प्रभात रंजन जब मौके पर पहुंचे तो उन्हें स्थानीय लोगों के आक्रोश का सामना करना पड़ा। स्थानीय लोगों ने उन्हें जमकर खरी-खोटी सुनाई साथ ही पशु तस्करों से मिलीभगत का आरोप भी लगाया।

प्रतिबंध के बावजूद जारी है पशु तस्करी का खेल

झारखंड में भी गोवंशीय पशु हत्या प्रतिषेध अधिनियम, 2005 लागू है। इसके बावजूद राजधानी में पुलिस प्रशासन की नाक के नीचे प्रतिबंधित पशुओं की तस्करी की जा रही है।बंगाल और बिहार की सीमा से सटे होने के कारण पशु तस्कर इसका पूरा फायदा उठाते हैं। ये क्षेत्र पशु तस्करों के लिए सेफ जोन है।इन इलाकों में समय-समय पर पुलिस ने कार्रवाई करते हुए सफलता भी हासिल की है, फिर भी पशुओं की तस्करी में कमी नहीं आ रही है।सारा खेल रात के अंधेरे में चलता है। पशु तस्करी में एक बड़ा रैकेट काम कर रहा है। इनमें झारखंड, बिहार, बंगाल और उत्तरप्रदेश के तस्कर शामिल हैं। यही वजह है कि पुलिस को स्थानीय लोगों आक्रोश का सामना करना पड़ा। जिन गोवंश के पशुओं को स्थानीय लोगों ने पशु तस्करों से मुक्त करवाया उन्हें इलाके में अलग-अलग लोगों के बीच बांट दिया गया ताकि वह उनकी सेवा कर सके।

कारवाई होगी
वहीं इस मामले को लेकर हटिया डीएसपी प्रभात रंजन ने बताया कि मामला गंभीर है ,और पुलिस ने इस मामले में क्या कार्रवाई की है या फिर करवाई में क्यों देर हुई इसकी जांच की जा रही है। जांच में जो भी पदाधिकारी दोषी होंगे उन पर कार्रवाई की जाएगी।Body:1Conclusion:2
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