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रेडी-टू-इट फूड में संशोधन से नाराज आंगनबाड़ी सेविका, कहा- रघुवर सरकार का फैसला है गलत, नहीं मिलेगा वोट

झारखंड में कुपोषण दूर करने के लिए एक ओर जहां सरकार कई नियमों को लागू कर रही है. वहीं पहले से चली आ रही बच्चों के लिए रेडी-टू-इट फूड में संशोधन करने से आंगनबाड़ी सेविका काफी नाराज हैं. उनका कहना है रघुवर सरकार वोट के लिए कर रहे ही बदलाव, लेकिन उन्हें नहीं मिलेगी वोट.

आंगनबाड़ी सेविका
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Published : Nov 19, 2019, 1:52 PM IST

रांचीः झारखंड से कुपोषण को दूर करने के लिए सरकार की ओर से आंगनबाड़ी सेंटर और आंगनबाड़ी सेविका सहायिका नियुक्ति की गई है. जिससे गांव के गरीब बच्चों को कुपोषण से दूर रखा जा सके. इसके लिए बच्चों के बीच एनर्जी फूड का वितरण किया जा रहा. जिसे सरकारी भाषा में ready-to-eat (RTE) कहा जाता है. इस फूड को बच्चे काफी पसंद भी कर रहे हैं.

देखें पूरी खबर

जानकारी के अनुसार आरटीई वैसे बच्चों के लिए है जो 6 महीने से 3 साल तक के हैं. रेडी-टू-इट को बांटने वाले पैकेट का निरीक्षण करने पर पता चला कि उसको बनाने में सोयाबीन, गेहूं, दाल, रागी, चीनी और खाद्य तेल का प्रयोग किया जाता है. इसके साथ ही विटामिन और मिनरल्स से मिलाकर एक कंपलीट फूड बनाया जाता है, जो कि बच्चों में हो रहे कुपोषण से लड़ने में अत्यंत प्रभावी हैं.

आरटीई को बदलकर टीएचआर का निर्णय
हालांकि सरकार की ओर से इसे बंद करने का निर्णय लिया गया है और इसकी जगह पर एक नई स्कीम चालू की गई है. जिसमें बंद करके सूखा राशन यानी (THR) बांटने का निर्णय लिया गया है. सूखा राशन के तहत दाल, मूंगफली, चना, गुड़ और आलू का वितरण किया जाएगा. जिसको लेकर आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका विरोध करने लगी हैं.

ये भी पढ़ें- पूर्व नक्सली कुंदन पाहन ने तमाड़ से भरा पर्चा, झारखंड पार्टी ने खींचे हाथ, उम्मीदवारी पर संशय

नए नियम लागू होते ही कालाबजारी शुरु
सेविकाओं का कहना है कि सरकार जिस तरह से इसका वितरण करने की बात कह रही है, इससे बहुत ही अधिक कालाबाजारी हो सकती है, क्योंकि यह बाजार में आसानी से बिक जाएगा और यदि सरकार इस तरह की स्कीम ला रही है तो स्कीम के तहत आंगनबाड़ियों को ही इसकी खरीदारी करने के लिए भुगतान करना चाहिए न कि किसी सखी मंडल को इसका जिम्मा देना चाहिए. सरकार राज्य में कुपोषण को बढ़ावा देना चाहती है यही कारण है कि इस स्कीम को लाना चाहती है.

चुनाव के बाद होगा आंदोलन
आंगनबाड़ी सभा की अध्यक्ष सुंदरी तिर्की ने कहा कि आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका सभा ने मानदेय वृद्धि और कई मुद्दों को लेकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने का काम किया है, लेकिन सरकार इस पर ध्यान नहीं दे रही है. उन्होंने कहा कि इस बार अगर नए नियम के अनुसार सूखा खाद्य पदार्थ बांटने का निर्णय लिया गया है. उसे वापस नहीं किया गया तो चुनाव के बाद आंदोलन किया जाएगा.

रांचीः झारखंड से कुपोषण को दूर करने के लिए सरकार की ओर से आंगनबाड़ी सेंटर और आंगनबाड़ी सेविका सहायिका नियुक्ति की गई है. जिससे गांव के गरीब बच्चों को कुपोषण से दूर रखा जा सके. इसके लिए बच्चों के बीच एनर्जी फूड का वितरण किया जा रहा. जिसे सरकारी भाषा में ready-to-eat (RTE) कहा जाता है. इस फूड को बच्चे काफी पसंद भी कर रहे हैं.

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जानकारी के अनुसार आरटीई वैसे बच्चों के लिए है जो 6 महीने से 3 साल तक के हैं. रेडी-टू-इट को बांटने वाले पैकेट का निरीक्षण करने पर पता चला कि उसको बनाने में सोयाबीन, गेहूं, दाल, रागी, चीनी और खाद्य तेल का प्रयोग किया जाता है. इसके साथ ही विटामिन और मिनरल्स से मिलाकर एक कंपलीट फूड बनाया जाता है, जो कि बच्चों में हो रहे कुपोषण से लड़ने में अत्यंत प्रभावी हैं.

आरटीई को बदलकर टीएचआर का निर्णय
हालांकि सरकार की ओर से इसे बंद करने का निर्णय लिया गया है और इसकी जगह पर एक नई स्कीम चालू की गई है. जिसमें बंद करके सूखा राशन यानी (THR) बांटने का निर्णय लिया गया है. सूखा राशन के तहत दाल, मूंगफली, चना, गुड़ और आलू का वितरण किया जाएगा. जिसको लेकर आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका विरोध करने लगी हैं.

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नए नियम लागू होते ही कालाबजारी शुरु
सेविकाओं का कहना है कि सरकार जिस तरह से इसका वितरण करने की बात कह रही है, इससे बहुत ही अधिक कालाबाजारी हो सकती है, क्योंकि यह बाजार में आसानी से बिक जाएगा और यदि सरकार इस तरह की स्कीम ला रही है तो स्कीम के तहत आंगनबाड़ियों को ही इसकी खरीदारी करने के लिए भुगतान करना चाहिए न कि किसी सखी मंडल को इसका जिम्मा देना चाहिए. सरकार राज्य में कुपोषण को बढ़ावा देना चाहती है यही कारण है कि इस स्कीम को लाना चाहती है.

चुनाव के बाद होगा आंदोलन
आंगनबाड़ी सभा की अध्यक्ष सुंदरी तिर्की ने कहा कि आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका सभा ने मानदेय वृद्धि और कई मुद्दों को लेकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने का काम किया है, लेकिन सरकार इस पर ध्यान नहीं दे रही है. उन्होंने कहा कि इस बार अगर नए नियम के अनुसार सूखा खाद्य पदार्थ बांटने का निर्णय लिया गया है. उसे वापस नहीं किया गया तो चुनाव के बाद आंदोलन किया जाएगा.

Intro:रांची
बाइट-- सुंदरी तिर्की आंगनबाड़ी सभा अध्यक्ष


झारखंड से कुपोषण को दूर करने के लिए सरकार के द्वारा आंगनबाड़ी सेंटर खोल आंगनवाड़ी सेविका सहायिका नियुक्ति की गई है जिसमें गांव में बसने वाले गरीब बच्चों में हो रहे कुपोषण दूर करने के लिए बच्चों के लिए अति महत्वपूर्ण एनर्जी फूड का वितरण करवा रही थी जिसमें सरकारी भाषा में ready-to-eat(RTE) कहां जाता है जिसे बच्चों के द्वारा काफी पसंद भी किया जाता है और यह 6 महीने से 3 साल तक के बच्चों को दिया जाता है रेडी टू इड मैं बांटने वाले पैकेट का निरीक्षण करने पर पता चला कि उसको बनाने में सोयाबीन गेहूं दाल रागी चीनी और खाद्य तेल का प्रयोग किया जाता है और साथ ही विटामिन एवं मिनरल्स से rortified करके एक कंपलीट फूड बनाया जाता है जो कि बच्चों में हो रहे कुपोषण से लड़ने में अत्यंत प्रभावी है।


Body:किंतु सरकार के द्वारा इसे बंद करने का निर्णय लिया गया है और इसके जगह पर एक नई स्कीम चालू की गई है जिसमें बंद करके सूखा राशन यानी(THR) बांटने का निर्णय लिया है जिसमें वह सूखा राशन के तहत दाल मूंगफली चना गुड़ और आलू का वितरण करेंगे जिसको लेकर आंगनबाड़ी सेविका सहायिका उसका विरोध करने लगे हैं उनका कहना है कि सरकार जिस तरह से इसका वितरण करने का बात कर रही है इसका बहुत ही अधिक कालाबाजारी हो सकता है क्योंकि यह बाजार में आसानी से बिक जाएगा और यदि सरकार इस तरह का स्कीम ला रही है तो स्कीम के तहत आंगनबाड़ियों को ही इसकी खरीदारी करने का भुगतान करना चाहिए ना कि कोई सखी मंडल को इसका जिम्मा देना चाहिए सरकार राज्य में कुपोषण को बढ़ावा देना चाहती है यही कारण है कि इस स्कीम को लाना चाहती है।


Conclusion:आंगनवाड़ी सभा के अध्यक्ष सुंदरी तिर्की ने कहा कि आंगनवाड़ी सेविका सहायिका सभा मानदेय वृद्धि से लेकर कई जलन सिंह मुद्दों को लेकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने का काम की है लेकिन सरकार हम लोगों पर ध्यान नहीं दे रही है इस बार अगर नए नियम जो सूखा खाद्य पदार्थ बांटने का निर्णय लिया गया है उसे वापस नहीं किया गया तो चुनाव के बाद आंदोलन भी हद रूप से किया जाएगा
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