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मंकीपॉक्स को लेकर झारखंड में अलर्ट, स्वास्थ विभाग ने जारी की एडवाइजरी

मंकीपॉक्स को लेकर झारखंड में स्वास्थ विभाग अलर्ट है. विभाग ने लगभग एक हफ्ते पहले ही सभी जिले के सिविल सर्जन को एडवाइजरी जारी कर मंकीपॉक्स के लिए अलग आइसोलेशन वार्ड बनाने के लिए कहा है. हालांकि रांची में ही काम बेहद धीमा होता दिख रहा है.

Alert in Jharkhand regarding monkeypox
Alert in Jharkhand regarding monkeypox
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Published : Jul 26, 2022, 6:05 PM IST

Updated : Jul 26, 2022, 10:40 PM IST

रांची: दिल्ली और केरल में मंकीपॉक्स के बढ़ते मामले को देखते हुए झारखंड भी अलर्ट मोड पर आ गया है. झारखंड के स्वास्थ्य विभाग ने भी एहतियात बरतना शुरू कर दिया है. रांची सहित राज्य के सभी सिविल सर्जनों को एडवाइजरी जारी कर यह दिशा निर्देश दिया गया है कि मंकीपॉक्स को लेकर अपने-अपने अस्पताल में आइसोलेशन वार्ड बनाएं. लेकिन रांची मे ही काम बेहद धीमी गति से चल रहा है रांची सदर अस्पताल में ही अब तक आइसोलेशन वार्ड नहीं बनाया जा सका है.

ये भी पढ़ें: मंकीपॉक्स: केंद्र ने उच्च स्तरीय बैठक की, तेलंगाना में भी मिला एक मरीज

मंकीपॉक्स के खतरे को देखते हुए रांची सदर अस्पताल में चौथे और पांचवे तल्ले पर आइसोलेशन वार्ड बनाया जाएगा. इसके लिए सिविल सर्जन की तरफ से अस्पताल प्रबंधन को आदेश जारी कर दिया गया है. अस्पताल के उपाधीक्षक डॉक्टर खेतान ने बताया कि आदेश जारी किया है जिसके बाद अस्पताल प्रबंधन बैठक कर रहा है. हालांकि सदर अस्पताल के सिविल सर्जन का यह आदेश कागजों पर ही है, क्योंकि अस्पताल के पदाधिकारियों एवं प्रबंधन के लोगों के द्वारा अभी तक अस्पताल के पांचवें तल्ले पर मंकीपॉक्स के मरीजों के लिए आइसोलेशन वार्ड की तैयारी शुरू भी नहीं हुई है. उम्मीद है कि बुधवार से गुरुवार तक चौथे या पांचवें तल्ले पर आइसोलेशन वार्ड बना दिया जाएगा.

जायजा लेते संवाददाता हितेश

झारखंड में फिलहाल मंकीपॉक्स का कोई मामला सामने नहीं आया है. हालांकि बिहार की राजधानी पटना में मंकीपॉक्स का पहला संदिग्ध मामले का पता चला है. इसे लेकर झारखंड में भी स्वास्थ्य विभाग ने अलर्ट है.

मंकीपॉक्स के लक्षण : बताते चलें कि मंकीपॉक्स भी चेचक परिवार के वायरसओं का हिस्सा है. हालांकि मंकीपॉक्स के लक्षण (symptoms of monkeypox) चेचक यानी कि स्मॉल पॉक्स की तरह गंभीर नहीं बल्कि हल्के होते हैं. लेकिन इसका चिकन पॉक्स से लेना देना नहीं है. यह बीमारी संक्रमण की चपेट में आने के 20 दिनों के बाद शरीर में असर दिखाना शुरू करता है. इसमें शरीर पर पॉक्स जैसी मवाद भरे दाने होने के साथ सिर दर्द, बुखार, थकान, मांसपेशियों में दर्द, कपकपी छूटना, पीठ और कमर में दर्द महसूस होते हैं.

विश्वभर में 16 हजार से अधिक मामले : वैश्विक स्तर पर, 75 देशों में मंकीपॉक्स के 16,000 से अधिक मामले सामने आए हैं. डब्ल्यूएचओ दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में, मंकीपॉक्स के चार मामले सामने आए हैं, जिनमें से तीन भारत में और एक थाईलैंड में पाया गया है. हालांकि अब तक इस बीमारी के बारे में जो बात सामने उसमें समलैंगिकों में यह बीमारी अधिक तेजी से फैलते हुए देखा जा रहा है. इसको देखते हुए कई स्वास्थ्य एजेंसियों ने समलैंगिक पुरुषों को आगाह भी किया है.


मंकीपॉक्स क्या है? (What is monkeypox) : मंकीपॉक्स एक वायरस है, जो रोडेन्ट और प्राइमेट जैसे जंगली जानवरों में पैदा होता है. इससे कभी-कभी मानव भी संक्रमित हो जाता है. मानवों में अधिकतक मामले मध्य और पश्चिम अफ्रीका में देखे गए है, जहां यह इन्डेमिक बन चुका है. इस बीमारी की पहचान सबसे पहले वैज्ञानिकों ने 1958 में की थी, जब शोध करने वाले बंदरों में चेचक जैसी बीमारी के दो प्रकोप हुए थे, इसलिए इसे मंकीपॉक्स कहा जाता है. मानव में मंकीपॉक्स का पहला मामला 1970 में मिला था, जब कांगो में रहने वाला 9 साल बच्चा इसकी चपेट में आया था. मंकीपॉक्स का मनुष्य से मनुष्य संचरण मुख्य रूप से सांस के जरिए होता है. इसके लिए लंबे समय तक निकट संपर्क की आवश्यकता होती है. यह शरीर के तरल पदार्थ या घाव सामग्री के सीधे संपर्क के माध्यम से और घाव सामग्री के साथ अप्रत्यक्ष संपर्क के माध्यम से भी फैल सकता है.

रांची: दिल्ली और केरल में मंकीपॉक्स के बढ़ते मामले को देखते हुए झारखंड भी अलर्ट मोड पर आ गया है. झारखंड के स्वास्थ्य विभाग ने भी एहतियात बरतना शुरू कर दिया है. रांची सहित राज्य के सभी सिविल सर्जनों को एडवाइजरी जारी कर यह दिशा निर्देश दिया गया है कि मंकीपॉक्स को लेकर अपने-अपने अस्पताल में आइसोलेशन वार्ड बनाएं. लेकिन रांची मे ही काम बेहद धीमी गति से चल रहा है रांची सदर अस्पताल में ही अब तक आइसोलेशन वार्ड नहीं बनाया जा सका है.

ये भी पढ़ें: मंकीपॉक्स: केंद्र ने उच्च स्तरीय बैठक की, तेलंगाना में भी मिला एक मरीज

मंकीपॉक्स के खतरे को देखते हुए रांची सदर अस्पताल में चौथे और पांचवे तल्ले पर आइसोलेशन वार्ड बनाया जाएगा. इसके लिए सिविल सर्जन की तरफ से अस्पताल प्रबंधन को आदेश जारी कर दिया गया है. अस्पताल के उपाधीक्षक डॉक्टर खेतान ने बताया कि आदेश जारी किया है जिसके बाद अस्पताल प्रबंधन बैठक कर रहा है. हालांकि सदर अस्पताल के सिविल सर्जन का यह आदेश कागजों पर ही है, क्योंकि अस्पताल के पदाधिकारियों एवं प्रबंधन के लोगों के द्वारा अभी तक अस्पताल के पांचवें तल्ले पर मंकीपॉक्स के मरीजों के लिए आइसोलेशन वार्ड की तैयारी शुरू भी नहीं हुई है. उम्मीद है कि बुधवार से गुरुवार तक चौथे या पांचवें तल्ले पर आइसोलेशन वार्ड बना दिया जाएगा.

जायजा लेते संवाददाता हितेश

झारखंड में फिलहाल मंकीपॉक्स का कोई मामला सामने नहीं आया है. हालांकि बिहार की राजधानी पटना में मंकीपॉक्स का पहला संदिग्ध मामले का पता चला है. इसे लेकर झारखंड में भी स्वास्थ्य विभाग ने अलर्ट है.

मंकीपॉक्स के लक्षण : बताते चलें कि मंकीपॉक्स भी चेचक परिवार के वायरसओं का हिस्सा है. हालांकि मंकीपॉक्स के लक्षण (symptoms of monkeypox) चेचक यानी कि स्मॉल पॉक्स की तरह गंभीर नहीं बल्कि हल्के होते हैं. लेकिन इसका चिकन पॉक्स से लेना देना नहीं है. यह बीमारी संक्रमण की चपेट में आने के 20 दिनों के बाद शरीर में असर दिखाना शुरू करता है. इसमें शरीर पर पॉक्स जैसी मवाद भरे दाने होने के साथ सिर दर्द, बुखार, थकान, मांसपेशियों में दर्द, कपकपी छूटना, पीठ और कमर में दर्द महसूस होते हैं.

विश्वभर में 16 हजार से अधिक मामले : वैश्विक स्तर पर, 75 देशों में मंकीपॉक्स के 16,000 से अधिक मामले सामने आए हैं. डब्ल्यूएचओ दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में, मंकीपॉक्स के चार मामले सामने आए हैं, जिनमें से तीन भारत में और एक थाईलैंड में पाया गया है. हालांकि अब तक इस बीमारी के बारे में जो बात सामने उसमें समलैंगिकों में यह बीमारी अधिक तेजी से फैलते हुए देखा जा रहा है. इसको देखते हुए कई स्वास्थ्य एजेंसियों ने समलैंगिक पुरुषों को आगाह भी किया है.


मंकीपॉक्स क्या है? (What is monkeypox) : मंकीपॉक्स एक वायरस है, जो रोडेन्ट और प्राइमेट जैसे जंगली जानवरों में पैदा होता है. इससे कभी-कभी मानव भी संक्रमित हो जाता है. मानवों में अधिकतक मामले मध्य और पश्चिम अफ्रीका में देखे गए है, जहां यह इन्डेमिक बन चुका है. इस बीमारी की पहचान सबसे पहले वैज्ञानिकों ने 1958 में की थी, जब शोध करने वाले बंदरों में चेचक जैसी बीमारी के दो प्रकोप हुए थे, इसलिए इसे मंकीपॉक्स कहा जाता है. मानव में मंकीपॉक्स का पहला मामला 1970 में मिला था, जब कांगो में रहने वाला 9 साल बच्चा इसकी चपेट में आया था. मंकीपॉक्स का मनुष्य से मनुष्य संचरण मुख्य रूप से सांस के जरिए होता है. इसके लिए लंबे समय तक निकट संपर्क की आवश्यकता होती है. यह शरीर के तरल पदार्थ या घाव सामग्री के सीधे संपर्क के माध्यम से और घाव सामग्री के साथ अप्रत्यक्ष संपर्क के माध्यम से भी फैल सकता है.

Last Updated : Jul 26, 2022, 10:40 PM IST
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