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केंद्र के आर्थिक पैकेज की घोषणा के बाद कृषि मंत्री बादल पत्रलेख से बेबाक बातचीत

20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज का झारखंड के लोगों के जीवन स्तर को बदलने में कितना प्रभाव पड़ेगा. इस पर झारखंड के कृषि मंत्री बादल पत्रलेख से खास बातचीत की ईटीवी भारत के वरिष्ठ सहयोगी राजेश कुमार सिंह ने.

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Published : May 14, 2020, 8:21 PM IST

impact of economic package in Jharkhand, Minister Badal Patralekh on economic package, Badal Patralekh on economic package, पीएम मोदी के आर्थिक पैकेज का झारखंड पर असर, कृषि मंत्री बादल पत्रलेख का का आर्थिक पैकेज पर प्रतिक्रिया
कृषि मंत्री बादल पत्रलेख

रांची: कोविड-19 की वजह से बेरोजगारी के जो हालात पैदा हुए हैं उससे निपटने में झारखंड के कृषि विभाग ने क्या तैयारी की है और केंद्र सरकार से किस तरह के सहयोग की अपेक्षा है, 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज का झारखंड के लोगों के जीवन स्तर को बदलने में कितना प्रभाव पड़ेगा. इन सवालों को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने झारखंड के कृषि मंत्री बादल पत्रलेख से बातचीत की.

कृषि मंत्री बादल पत्रलेख से बातचीत करते वरिष्ठ सहयोगी राजेश कुमार सिंह

ईटीवी भारत की टीम से खास बातचीत

वहीं, कृषि मंत्री बादल पत्रलेख से यह भी पूछा गया कि क्या झारखंड सरकार यह गारंटी लेती है कि जो प्रवासी श्रमिक झारखंड लौट रहे हैं उन्हें दोबारा रोजी-रोजगार के लिए फिर से पलायन न करना पड़े.

राज्य की सत्ता जब उन्हें मिली तो खजाने खाली थे

कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि राज्य की सत्ता जब उन्हें मिली तो खजाने खाली थे. विरासत में जो मिला है उसे ही लेकर आगे बढ़ना है. वैसे में कोरोना का आना दोहरी मार है.

बरेली के बाजार में झुमका गिरा और आपको क्या मिला

कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने केंद्र पर तंज कसते हुए कहा कि बरेली के बाजार में झुमका गिरा और आपको क्या मिला. केंद्र सरकार से उन्होंने कहा कि बाजीगिरी मत कीजिए और आंकड़ों से देश के लोगों को मत उलझाएं.

बाहर फंसे हैं उनके लिए केंद्र सोचे

कृषि मंत्री ने कहा कि जो बाहर फंसे हैं उनके लिए केंद्र सोचे. जो वापस आ रहे हैं उनको किराया देना चाहिए था. झारखंड के साथ अनदेखी हो रही है.

विरासत में जो दर्द मिला है उसे कम करने में तो समय लगेगा

कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि विरासत में जो दर्द मिला है उसे कम करने में तो समय लगेगा. उन्होंने गारंटी देते हुए कहा कि अब झारखंड के मजदूर किसी भी किम्मत पर पलायन को मजबूर नहीं होंगे. सब कुछ यहीं मिलेगा.

रांची: कोविड-19 की वजह से बेरोजगारी के जो हालात पैदा हुए हैं उससे निपटने में झारखंड के कृषि विभाग ने क्या तैयारी की है और केंद्र सरकार से किस तरह के सहयोग की अपेक्षा है, 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज का झारखंड के लोगों के जीवन स्तर को बदलने में कितना प्रभाव पड़ेगा. इन सवालों को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने झारखंड के कृषि मंत्री बादल पत्रलेख से बातचीत की.

कृषि मंत्री बादल पत्रलेख से बातचीत करते वरिष्ठ सहयोगी राजेश कुमार सिंह

ईटीवी भारत की टीम से खास बातचीत

वहीं, कृषि मंत्री बादल पत्रलेख से यह भी पूछा गया कि क्या झारखंड सरकार यह गारंटी लेती है कि जो प्रवासी श्रमिक झारखंड लौट रहे हैं उन्हें दोबारा रोजी-रोजगार के लिए फिर से पलायन न करना पड़े.

राज्य की सत्ता जब उन्हें मिली तो खजाने खाली थे

कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि राज्य की सत्ता जब उन्हें मिली तो खजाने खाली थे. विरासत में जो मिला है उसे ही लेकर आगे बढ़ना है. वैसे में कोरोना का आना दोहरी मार है.

बरेली के बाजार में झुमका गिरा और आपको क्या मिला

कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने केंद्र पर तंज कसते हुए कहा कि बरेली के बाजार में झुमका गिरा और आपको क्या मिला. केंद्र सरकार से उन्होंने कहा कि बाजीगिरी मत कीजिए और आंकड़ों से देश के लोगों को मत उलझाएं.

बाहर फंसे हैं उनके लिए केंद्र सोचे

कृषि मंत्री ने कहा कि जो बाहर फंसे हैं उनके लिए केंद्र सोचे. जो वापस आ रहे हैं उनको किराया देना चाहिए था. झारखंड के साथ अनदेखी हो रही है.

विरासत में जो दर्द मिला है उसे कम करने में तो समय लगेगा

कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि विरासत में जो दर्द मिला है उसे कम करने में तो समय लगेगा. उन्होंने गारंटी देते हुए कहा कि अब झारखंड के मजदूर किसी भी किम्मत पर पलायन को मजबूर नहीं होंगे. सब कुछ यहीं मिलेगा.

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