रांची: व्यवहार न्यायालय की अधिवक्ता सीमा संगम ने डोरंडा थाने के दरोगा उत्तम कुमार के खिलाफ बदसलूकी की शिकायत की है. शिकायत के बाद अधिवक्ता इसके खिलाफ गोलबंद होते नजर आ रहे हैं. झारखंड बार काउंसिल के अध्यक्ष को पत्र के माध्यम से अधिवक्ता सीमा संगम ने कहा कि मेरी बहन पल्लवी डोरंडा थाना क्षेत्र के किलवर्न कॉलोनी में रहती है. वह बीमार रहती है इसी कारण से मैं उनके घर में रहकर उनकी देखभाल करती हूं और उस जमीन का विवाद का मामला कोर्ट में लंबित है.
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अधिवक्ता सीमा संगम ने बताई आपबीती
अधिवक्ता सीमा संगम ने अपनी आपबीती बताते हुए कहा कि 12 मार्च रात 11:00 बजे असामाजिक तत्वों की ओर से जमीन पर मिट्टी गिराने का काम करने लगा. इस दौरान उन्होंने जब थाना में फोन किया तो पुलिस वहां पर पहुंची और हम लोगों के साथ बदसलूकी करने लगी. जो भू-माफिया हैं उन लोगों का सपोर्ट करने लगा. जब पुलिस अधिकारी से पूछा कि किसके आदेश से यह सब आप कर रहे हैं तो उसने कहा की दो नंबर के अधिवक्ताओं हमको जो करना है वह करेंगे और तुम जो वकालतगिरी दिखा रही हो, अपना वकालतगिरी कोर्ट में दिखाना यहां मेरा राज चलता है. इसके बाद धक्का देकर गिरा दिया.
परिजनों के साथ अभद्र व्यवहार
अधिवक्ता सीमा संगम ने बताया कि बीते 6 मार्च की शाम डोरंडा थाना के एसआई उत्तम कुमार कुछ आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों के साथ आए और मेरी बहन और उसके परिवार वालों के साथ गाली-गलौच और अभद्र व्यवहार करने लगा, उस वक्त वह कोर्ट में थी. कोर्ट से जैसे ही वह अपने घर पहुंची और ऐसा करने से रोका तो ऐसा ही उत्तम कुमार ने मेरे साथ भी बदसलूकी करने लगा. उन्होंने बताया कि वह एक अधिवक्ता हैं, इसके बावजूद भी लगातार बदतमीजी करता रहा. इसके खिलाफ एसएसपी से भी शिकायत की है.
बार काउंसिल सदस्य ने अधिवक्ता सीमा संगम के साथ हुए दुर्व्यवहार और घटना पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि इस पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए. जिस तरीके से एक महिला अधिवक्ता के साथ थाना के एसआई की ओर से बदसलूकी की गई है, इसकी बार काउंसिल निंदा करता है. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार एक तरफ 'बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ' का नारा देती है तो दूसरी तरफ थाना में बैठे अधिकारी बेटियों से बदसलूकी करते हैं. उन्होंने कहा कि इस घटना को लेकर वरीय अधिकारियों से कड़ी कार्रवाई की मांग करता है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार से भी पूर्व में भी एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट की मांग की गई है ताकि जो समाज के साथ खड़ा रहने वाले अधिवक्ता है. उनको इस तरह का दुर्व्यवहार का सामना ना करना पड़े.