रांची: झारखंड गठन के बाद अब तक किसी भी पार्टी को यहां की जनता ने पूर्ण बहुमत से नहीं नवाजा. 2014 के चुनाव में भाजपा को सबसे ज्यादा 37 सीटें जरूर मिली, लेकिन जेवीएम के छह विधायकों के भाजपा में आने के बाद ही मैजिक फिगर पूरा हो सका. बेशक, बीजेपी बहुमत का आंकड़ा नहीं हासिल कर सकी, लेकिन बीजेपी और आजसू गठबंधन के सात प्रत्याशियों ने 50 हजार से ज्यादा वोट के अंतर से जीत हासिल कर यह साफ कर दिया कि जनता इसबार एनडीए सरकार के मूड में थी.
- 2014 के विधानसभा चुनाव में रिकॉर्ड अंतर से जीत का श्रेय बीजेपी के बोकारो सीट से प्रत्याशी रहे बिरंची नारायण के नाम रहा. उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी समरेश सिंह को 72,643 वोट के अंतर से शिकस्त दी.
- इस मामले में दूसरे स्थान पर रहे झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास. जमशेदपुर पूर्वी सीट से रघुवर दास ने कांग्रेस के आनंद बिहारी दूबे को 70,157 वोट के अंतर से मात दिया.
- रांची के खिजरी सीट से बीजेपी प्रत्याशी रामकुमार पाहन ने कांग्रेस की सुंदरी देवी को 64,912 वोट के अंतर से हराकर जीत के अंतर के मामले में पूरे राज्य में तीसरे स्थान पर रहे.
- चौथे स्थान पर रहे रांची के कांके से बीजेपी प्रत्याशी डॉ. जीतू चरण राम. इन्होंने कांग्रेस के सुरेश कुमार बैठा को 59,804 वोट के अंतर से शिकस्त दी.
- इस मामले में पांचवे नंबर पर रहे पिछले पांच बार से रांची विधानसभा सीट जीतते आ रहे बीजेपी के सीपी सिंह. इन्होंने जेएमएम महिला मोर्चा की अध्यक्ष महुआ माजी को 58,863 वोटों से हराया.
- बीजेपी के विधायकों के नाम पांच रिकॉर्ड के बाद छठी सूची में जिस शख्स का नाम शुमार हुआ वह थे आजसू के सीपी चौधरी. इन्होंने कांग्रेस के शहजादा अनवर को 53,818 वोट के अंतर से पटखनी दी.
- इस लिस्ट में सातवें स्थान पर रहे धनबाद सीट से भाजपा के प्रत्याशी राज सिन्हा जिन्होंने पूर्व मंत्री कांग्रेस प्रत्याशी मन्नान मल्लिक को 52,997 वोट के अंतर से शिकस्त दी.
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खास बात है कि 2014 के चुनाव में मुख्य विपक्षी दल के रूप में उभरे जेएमएम के एक भी प्रत्याशी ने पचास हजार के अंतर से किसी भी सीट पर जीत दर्ज नहीं की. खास तौर से वैसी सीटों पर भी जो जेएमएम की परंपरागत सीट रही है. वहीं जिन सात सीटों पर एनडीए ने पचास हजार के अंतर से जीत हासिल की उनमें से सिर्फ तीन सीटें यानी रांची, जमशेदपुर पूर्वी और कांके सीट भाजपा का परंपरागत सीट मानी जाती है. लिहाजा, 2019 के चुनाव में जीत के अंतर का यह आंकड़ा बढ़ता है या नहीं यह देखना दिलचस्प होगा.