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इमरजेंसी के 45 साल: 'जेपी के शिष्य भौतिकवादी हो गए और भ्रष्टाचार को शिष्टाचार बना दिया' - 45 years of emergency imposed in country on 25th june 1975

25 जून 1975 को ही देश में आपातकाल लागू किया गया था. इसके विरोध में जयप्रकाश नारायण ने आंदोलन शुरू किया था. इसे याद करते हुये समाजवादी नेता विक्रम कुंवर कहते हैं कि छात्रों ने जिस मुद्दे को लेकर आंदोलन को शुरू किया था, वो स्थिति अभी भी जस की तस बनी हुई है. कुछ भी बदलाव नहीं हुआ है.

45 years of emergency imposed in country on 25th june 1975
जेपी आंदोलन
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Published : Jun 25, 2020, 11:59 AM IST

पटना: आज के ही दिन साल 1975 में देश में आपातकाल लागू हुआ था. तब जयप्रकाश नारायण ने इसके खिलाफ संपूर्ण क्रांति का आह्वान किया था. बड़ी संख्या में युवा उनके साथ आए और बाद के दिनों में साल 1977 में हुए आम चुनाव में इंदिरा गांधी को जनाक्रोश के कारण करारी शिकस्त झेलनी पड़ी थी. आपातकाल लगाने के फैसले के कारण आज भी इंदिरा गांधी और कांग्रेस को लेकर तमाम सवाल उठते हैं. हालांकि विपक्ष आज की सरकार पर अघोषित इमरजेंसी का आरोप लगाता है. ऐसे में जेपी के साथ तब की सरकार के खिलाफ आंदोलन में खड़ा रहने वाले समाजवादी नेता विक्रम कुंवर कहते हैं कि समय जरूर बदला है, लेकिन कई चीजें आज भी वैसी ही बनी हुई हैं.

समाजवादी नेता विक्रम कुंवर से खास बातचीत

विक्रम कुंवर समाजवादी नेता हैं और जेपी आंदोलन के वक्त वह बेहद सक्रिय थे. जेपी ने 11 सदस्य संचालन समिति बनाई थी, जिसमें विक्रम कुंवर भी शामिल थे. विक्रम कुंवर ने ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान कहा कि जिन मुद्दों को लेकर जेपी ने आंदोलन किया था आज स्थिति उससे ज्यादा भयावह है. भ्रष्टाचार शिष्टाचार बन चुका है. शिक्षा का बेड़ा गर्क हो चुका है. फिलहाल बदलाव की कोई गुंजाइश नहीं दिखती. जेपी के शिष्यों ने उनके सपनों को तार-तार किया है.

45 years of emergency imposed in country on 25th june 1975
देश में आया था परिवर्तन

जेपी के सपनों के साथ खिलवाड़
समाजवादी नेता विक्रम कुंवर ने कहा कि छात्रों ने जिस मुद्दे को लेकर आंदोलन को शुरू किया था, वो स्थिति अभी भी जस की तस बनी हुई है. कुछ भी बदलाव नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि देश में जब आपातकाल लगा था, ठीक बिहार में अभी भी वैसी ही स्थिति है. पुरानी यादों को ताजा करते हुए उन्होंने बताया कि जब देश में आपातकाल लागू हुआ था तो वे छपरा जेल में बंद थे. सुबह जब वे उठे तो देखा कि कोई किसी से बात नहीं कर रहा था. पूरे देश में सन्नाटा था. फिर उन्होंने जेल के सिपाही से पूछा तो पता चला कि देश में आपातकाल लागू हो गया.

समाजवादी नेता विक्रम कुंवर ने बताया कि जब वे जेपी के संपर्क में आए तो उन्हें विश्वास दिलाया गया था कि वे लोग शांति पूर्वक विरोध करना चाहते हैं. इसके बाद जेपी ने उनका नेतृत्व किया. उन्होंने बताया कि इस आंदोलन में सबका सहयोग मिला था. विरोध दल के लोगों ने भी इसमें साथ दिया. लेकिन अभी के समय में सिस्टम और ज्यादा भ्रष्ट हो चुका है.

45 years of emergency imposed in country on 25th june 1975
आज के ही दिन देश में लागू हुआ था आपातकाल

21 महीने तक रहा था आपातकाल
देश में 25 जून 1975 को आपातकाल की घोषणा हुई थी. तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कहने पर संविधान की धारा 352 के तहत आपातकाल की घोषणा कर दी थी. देश में 21 महीने तक आपातकाल रहा. बिहार में जयप्रकाश नारायण का आंदोलन आपातकाल के दौरान चरम पर था. कांग्रेस के कुशासन और भ्रष्टाचार से तंग जनता में इंदिरा सरकार इतनी लोकप्रिय हो चुकी थी कि चारों ओर से उन पर सत्ता छोड़ने का दबाव था. 25 जून 1975 को दिल्ली में हुई विराट रैली में जयप्रकाश नारायण ने पुलिस और सेना के जवानों से आग्रह किया था कि वह शासकों के असंवैधानिक आदेश न माने और जेपी को गिरफ्तार कर लिया गया था.

45 years of emergency imposed in country on 25th june 1975
जेपी आंदोलन की तस्वीर (फाइल फोटो)

राजनीति में आया बड़ा बदलाव
संपूर्ण क्रांति का असर इतना हुआ कि इसके दमन के लिए देश में लगाया गया आपातकाल जनवरी 1977 को हटा लिया गया. लोकनायक के संपूर्ण क्रांति आंदोलन के चलते पहली बार देश में गैर कांग्रेसी सरकार बनी. आंदोलन का प्रभाव न केवल देश में, बल्कि दुनिया के तमाम छोटे-बड़े देशों पर पड़ा. सन 1977 में ऐसा माहौल था, जब जनता आगे थी और नेता पीछे थे. ये जेपी का ही करिश्माई नेतृत्व का प्रभाव था.

ये भी पढे़ं: CAG की रिपोर्ट के बाद रिम्स प्रबंधन पर घोटाले का आरोप, 2018 में 7 गुना ज्यादा दाम में खरीदे गए डेंटल उपकरण

जेपी की राजनीतिक विचारधारा से प्रेरणा
जेपी सच्चाई और न्याय के लिए पूरे साहस के साथ जूझते रहे. उनके नेतृत्व में किए गए संपूर्ण क्रांति को जनता का उत्साह भरा समर्थन मिला. जेपी ने देश की दबी-कुचली जनता के लिए अनवरत संघर्ष किया. उन्होंने अजादी की लड़ाई से पहले महात्मा गांधी के साथ सत्याग्रह आंदोलन में भी बढ़-चढ़ हिस्सा लिया. भू- दान आंदोलन में विनोबा भावे के साथ दिया. बता दें कि लोकनायक जयप्रकाश नारायण का जन्म 11 अक्टूबर 1902 को बिहार के सारण जिले के छोटे से गांव सिताबदियारा में हुआ था. जयप्रकाश नारायण भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता थे. अपने गांव के हर जन के हृदय में आज भी जेपी बसे हुए हैं. पहाड़ियों के तलहट्टी में बसा सोखोदेवरा गांव जेपी के स्मृतियों का प्रमुख केंद बना हुआ है.

45 years of emergency imposed in country on 25th june 1975
जय प्रकाश नारायण

जेपी की मृत्यु 8 अक्टूबर 1979 को पटना में हुई. मृत्यु के बाद आज भी उनकी राजनीतिक विचारधारा भारत के लोगों को प्रेरित करती है. जेपी ने युवा शक्ति को एक नयी दिशा दी. आज भी उनके विचार लोगों के लिए प्रेरणादयक है, जिससे उनके सपनों के भारत का निर्माण किया जा सके.

संपूर्ण क्रांति ने दिए देश को कई नेता
इस आंदोलन के नायक जयप्रकाश नारायण ऐसे शख्स के रूप में उभरे, जिन्होंने पूरे देश में आंदोलन की लौ जलाई. जेपी के विचार दर्शन और व्यक्तित्व ने पूरे जनमानस को प्रभावित किया. यह आंदोलन राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, बौद्धिक, शैक्षणिक क्षेत्र में बदलाव लाने के लिए था. जयप्रकाश नारायण की एक हुंकार पर युवा उठ खड़े हुए. जेपी घर-घर में क्रांति के पर्याय बन गए. यहां तक कि बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव, लालमुनि चौबे, नीतीश कुमार, रामविलास पासवान, सुशील मोदी ये सारे नेता उसी छात्र युवा संघर्ष वाहिनी का हिस्सा थे. ये तो महज कुछ नाम भर हैं. संपूर्ण क्रांति से निकले नेताओं की फेहरिस्त काफी लंबी है.

पटना: आज के ही दिन साल 1975 में देश में आपातकाल लागू हुआ था. तब जयप्रकाश नारायण ने इसके खिलाफ संपूर्ण क्रांति का आह्वान किया था. बड़ी संख्या में युवा उनके साथ आए और बाद के दिनों में साल 1977 में हुए आम चुनाव में इंदिरा गांधी को जनाक्रोश के कारण करारी शिकस्त झेलनी पड़ी थी. आपातकाल लगाने के फैसले के कारण आज भी इंदिरा गांधी और कांग्रेस को लेकर तमाम सवाल उठते हैं. हालांकि विपक्ष आज की सरकार पर अघोषित इमरजेंसी का आरोप लगाता है. ऐसे में जेपी के साथ तब की सरकार के खिलाफ आंदोलन में खड़ा रहने वाले समाजवादी नेता विक्रम कुंवर कहते हैं कि समय जरूर बदला है, लेकिन कई चीजें आज भी वैसी ही बनी हुई हैं.

समाजवादी नेता विक्रम कुंवर से खास बातचीत

विक्रम कुंवर समाजवादी नेता हैं और जेपी आंदोलन के वक्त वह बेहद सक्रिय थे. जेपी ने 11 सदस्य संचालन समिति बनाई थी, जिसमें विक्रम कुंवर भी शामिल थे. विक्रम कुंवर ने ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान कहा कि जिन मुद्दों को लेकर जेपी ने आंदोलन किया था आज स्थिति उससे ज्यादा भयावह है. भ्रष्टाचार शिष्टाचार बन चुका है. शिक्षा का बेड़ा गर्क हो चुका है. फिलहाल बदलाव की कोई गुंजाइश नहीं दिखती. जेपी के शिष्यों ने उनके सपनों को तार-तार किया है.

45 years of emergency imposed in country on 25th june 1975
देश में आया था परिवर्तन

जेपी के सपनों के साथ खिलवाड़
समाजवादी नेता विक्रम कुंवर ने कहा कि छात्रों ने जिस मुद्दे को लेकर आंदोलन को शुरू किया था, वो स्थिति अभी भी जस की तस बनी हुई है. कुछ भी बदलाव नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि देश में जब आपातकाल लगा था, ठीक बिहार में अभी भी वैसी ही स्थिति है. पुरानी यादों को ताजा करते हुए उन्होंने बताया कि जब देश में आपातकाल लागू हुआ था तो वे छपरा जेल में बंद थे. सुबह जब वे उठे तो देखा कि कोई किसी से बात नहीं कर रहा था. पूरे देश में सन्नाटा था. फिर उन्होंने जेल के सिपाही से पूछा तो पता चला कि देश में आपातकाल लागू हो गया.

समाजवादी नेता विक्रम कुंवर ने बताया कि जब वे जेपी के संपर्क में आए तो उन्हें विश्वास दिलाया गया था कि वे लोग शांति पूर्वक विरोध करना चाहते हैं. इसके बाद जेपी ने उनका नेतृत्व किया. उन्होंने बताया कि इस आंदोलन में सबका सहयोग मिला था. विरोध दल के लोगों ने भी इसमें साथ दिया. लेकिन अभी के समय में सिस्टम और ज्यादा भ्रष्ट हो चुका है.

45 years of emergency imposed in country on 25th june 1975
आज के ही दिन देश में लागू हुआ था आपातकाल

21 महीने तक रहा था आपातकाल
देश में 25 जून 1975 को आपातकाल की घोषणा हुई थी. तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कहने पर संविधान की धारा 352 के तहत आपातकाल की घोषणा कर दी थी. देश में 21 महीने तक आपातकाल रहा. बिहार में जयप्रकाश नारायण का आंदोलन आपातकाल के दौरान चरम पर था. कांग्रेस के कुशासन और भ्रष्टाचार से तंग जनता में इंदिरा सरकार इतनी लोकप्रिय हो चुकी थी कि चारों ओर से उन पर सत्ता छोड़ने का दबाव था. 25 जून 1975 को दिल्ली में हुई विराट रैली में जयप्रकाश नारायण ने पुलिस और सेना के जवानों से आग्रह किया था कि वह शासकों के असंवैधानिक आदेश न माने और जेपी को गिरफ्तार कर लिया गया था.

45 years of emergency imposed in country on 25th june 1975
जेपी आंदोलन की तस्वीर (फाइल फोटो)

राजनीति में आया बड़ा बदलाव
संपूर्ण क्रांति का असर इतना हुआ कि इसके दमन के लिए देश में लगाया गया आपातकाल जनवरी 1977 को हटा लिया गया. लोकनायक के संपूर्ण क्रांति आंदोलन के चलते पहली बार देश में गैर कांग्रेसी सरकार बनी. आंदोलन का प्रभाव न केवल देश में, बल्कि दुनिया के तमाम छोटे-बड़े देशों पर पड़ा. सन 1977 में ऐसा माहौल था, जब जनता आगे थी और नेता पीछे थे. ये जेपी का ही करिश्माई नेतृत्व का प्रभाव था.

ये भी पढे़ं: CAG की रिपोर्ट के बाद रिम्स प्रबंधन पर घोटाले का आरोप, 2018 में 7 गुना ज्यादा दाम में खरीदे गए डेंटल उपकरण

जेपी की राजनीतिक विचारधारा से प्रेरणा
जेपी सच्चाई और न्याय के लिए पूरे साहस के साथ जूझते रहे. उनके नेतृत्व में किए गए संपूर्ण क्रांति को जनता का उत्साह भरा समर्थन मिला. जेपी ने देश की दबी-कुचली जनता के लिए अनवरत संघर्ष किया. उन्होंने अजादी की लड़ाई से पहले महात्मा गांधी के साथ सत्याग्रह आंदोलन में भी बढ़-चढ़ हिस्सा लिया. भू- दान आंदोलन में विनोबा भावे के साथ दिया. बता दें कि लोकनायक जयप्रकाश नारायण का जन्म 11 अक्टूबर 1902 को बिहार के सारण जिले के छोटे से गांव सिताबदियारा में हुआ था. जयप्रकाश नारायण भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता थे. अपने गांव के हर जन के हृदय में आज भी जेपी बसे हुए हैं. पहाड़ियों के तलहट्टी में बसा सोखोदेवरा गांव जेपी के स्मृतियों का प्रमुख केंद बना हुआ है.

45 years of emergency imposed in country on 25th june 1975
जय प्रकाश नारायण

जेपी की मृत्यु 8 अक्टूबर 1979 को पटना में हुई. मृत्यु के बाद आज भी उनकी राजनीतिक विचारधारा भारत के लोगों को प्रेरित करती है. जेपी ने युवा शक्ति को एक नयी दिशा दी. आज भी उनके विचार लोगों के लिए प्रेरणादयक है, जिससे उनके सपनों के भारत का निर्माण किया जा सके.

संपूर्ण क्रांति ने दिए देश को कई नेता
इस आंदोलन के नायक जयप्रकाश नारायण ऐसे शख्स के रूप में उभरे, जिन्होंने पूरे देश में आंदोलन की लौ जलाई. जेपी के विचार दर्शन और व्यक्तित्व ने पूरे जनमानस को प्रभावित किया. यह आंदोलन राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, बौद्धिक, शैक्षणिक क्षेत्र में बदलाव लाने के लिए था. जयप्रकाश नारायण की एक हुंकार पर युवा उठ खड़े हुए. जेपी घर-घर में क्रांति के पर्याय बन गए. यहां तक कि बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव, लालमुनि चौबे, नीतीश कुमार, रामविलास पासवान, सुशील मोदी ये सारे नेता उसी छात्र युवा संघर्ष वाहिनी का हिस्सा थे. ये तो महज कुछ नाम भर हैं. संपूर्ण क्रांति से निकले नेताओं की फेहरिस्त काफी लंबी है.

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