रांची: खादी और ग्रामोद्योग आयोग में 2 करोड़ से ज्यादा की गड़बड़ी के मामले में सीबीआई एसीबी ने शुक्रवार को एफआईआर दर्ज की है. खादी और ग्रामोद्योग आयोग की सीईओ प्रीता वर्मा ने रांची की शाखा में योजनाओं में गड़बड़ी कर पैसे के दुरूपयोग की शिकायत सीबीआई मुख्यालय से की थी.
प्रीता वर्मा की शिकायत के आधार पर सीबीआई ने खादी ग्रामोद्योग के एक्जीक्यूटिव सुनील कुमार, चेन्नई की टीनगर के पते पर रजिस्टर्ड कंपनी मेसर्स साउथ हॉप एनालिसिस इंडिया लिमिटेड(शाहिल), चेन्नई निवासी अमन कुमार, बोकारो की प्रिया, बंकु निषाद समेत अन्य को आरोपी बनाते हुए एफआईआर दर्ज की है. खादी ग्रामोद्योग की ओर से सीबीआई को दी गई अंतिम जांच रिपोर्ट में खादी ग्रामोद्योग के पूर्व डिप्टी डायरेक्टर आरबी राम(अब मृत) को भी दोषी पाया गया है. सीबीआई ने एफआईआर दर्ज करने के बाद मामले की जांच की जिम्मेदारी इंस्पेक्टर अवधेश कुमार सुमन को दी है.
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क्या है मामला
सीबीआई की एफआईआर में जिक्र है कि खादी ग्रामोद्योग की राज्य शाखा ने गाइडलाइंस की अनदेखी कर और नियमों के खिलाफ करोड़ों रूपये का फंड कई जगहों पर ट्रांसफर कर दिया. खादी ग्रामोद्योग आयोग की राज्य शाखा में साल 2016 से जून 2018 तक रहे डिप्टी डायरेक्टर (अब मृत) आरबी राम और सुनील कुमार ने निजी लोगों के साथ मिलकर फंड का नुकसान किया. सीबीआई की एफआईआर के अनुसार 1.57 करोड़ रूपये मेसर्स शाहिल कंपनी को दिए गए थे. कंपनी को खादी रिफार्म एंड डेवलपमेंट प्लान(केआरडीपी) और प्रधानमंत्री रोजगार योजना के भौतिक सत्यापन और ट्रेनिंग के लिए दिए गए थे. वहीं, अमन कुमार नाम के व्यक्ति को खादी ग्रामोद्योग आयोग से खादी के प्रचार, प्रसार और इनोवेट्री मैनेजमेंट के नाम पर 42.60, प्रिया नाम की महिला को स्थानीय प्रचार प्रसार के नाम पर 23 लाख व बंकु निषाद को सिल्क रॉ मटेरियल की खरीद के नाम पर 62.82 करोड़ रूपये दिए गए.
कैसे सामने आई गड़बड़ी
खादी ग्रामोद्योग रांची के एक्जीक्यूटिव सरयू राय और कोलकाता विजिलेंस खादी ग्रामोद्योग के सत्यपाल ने रांची शाखा में वित्तिय गड़बड़ी की शिकायत की थी. आंतरिक ऑडिट रिपोर्ट और विजिलेंस जांच में यह बात समाने आई कि खादी ग्रामोद्योग के फंड के पद का दुरूपयोग कर शेल कंपनियों और निजी लोगों को दिया गया है. आंतरिक रिपोर्ट के आधार पर सीबीआई को अनुसंधान के लिए निवेदन भेजा गया था. सीबीआई ने शुक्रवार को आईपीसी की धारा 120 बी, 409, 420, 467, 468, 471 और प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज की है.