रांचीः तमिलनाडू के मदुरै जिले के अलंगानल्लूर में बोरवेल कंपनी में फंसे महाराष्ट्र, झारखंड और छत्तीसगढ़ के रहने वाले 14 प्रवासी बंधुआ मजदूरों को छुड़ा लिया गया है. सभी मजदूर अनुसूचित जनजाति समुदाय के हैं. ये मजदूर लगभग 10 महीने से अलंगानल्लूर के बोरवेल कंपनी में काम कर रहे थे. उनका कहना है कि उन्हें बहला-फुसलाकर यहां लाया गया था.
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बता दें कि पीपुल्स वॉच ऑर्गेनाइजेशन की मदद से मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने बोरवेल के बंधुआ मजदूरों को बचाया है. जहां एक ओर राज्य सरकार ने कोरोना वायरस संक्रमण के लिए धारा 144 लागू किया है वहीं, इसके बावजूद ये मजदूर उनके लिए काम करने को मजबूर थे.
वहीं, मजदूरों का कहना है कि उन्हें प्रति माह 10,000 रुपये के वेतन पर लाया गया था, लेकिन कुछ महीने से कंपनी का मालिक पैसे मांगने पर टालमटोल कर देता था. इस बीच लॉकडाउन की घोषणा के बाद मजदूरों का काम भी रूक गया. ठेकेदार काम छोड़कर अपने घर चले गए. बिना काम और खाना-पानी के उनकी हालत काफी खराब थी. जिसके बाद एक गैर सरकारी संस्था की मदद से उन्हें खाद्य सामग्री उपलब्ध कराई गई.