पलामू: मंकीपॉक्स को डब्ल्यूएचओ ग्लोबल इमरजेंसी घोषित कर चुका है. पलामू में मंकीपॉक्स का संदिग्ध मरीज मिला है, फिलहाल मरीज को होम आइसोलेशन में रखा गया है. संदिग्ध का सैंपल लेने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने जांच के लिए पुणे भेज दिया है. पुणे से रेपोर्ट मिलने के बाद वास्तविकता का पता चल पाएगा. पीड़ित पलामू के चैनपुर थाना क्षेत्र का रहने वाला है. पलामू सिविल सर्जन डॉक्टर अनिल कुमार सिंह ने बताया कि पीड़ित के एक हाथ में फोड़े के निशान हैं, जबकि मंकीपॉक्स में दोनों हाथों में फोड़े के निशान होते हैं.
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स्वास्थ विभाग ने प्रोटोकॉल के अनुसार उनका सैंपल लेकर जांच के लिए पुणे भेज दिया है. पीड़ित को होम आइसोलेशन में रखा गया है. सिविल सर्जन ने बताया कि पीड़ित के स्वास्थ्य पर निगरानी रखी जा रही है. कुछ दिनों पहले गढ़वा में भी एक मंकीपॉक्स का संदिग्ध मरीज मिला था, उस मरीज की जांच के लिए भी सैंपल को पुणे भेजा गया है. पलामू में मंकीपॉक्स को लेकर हाई अलर्ट जारी किया गया है और बुधवार को एक हाई लेवल बैठक भी हुई थी. मेदिनीराय मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में मंकीपॉक्स मरीजों के लिए अलग से वार्ड बनाए गए हैं. इस वार्ड में डॉक्टर और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों की तैनाती की गई है.
मंकीपॉक्स क्या है? (What is monkeypox?) : मंकीपॉक्स एक वायरस है, जो रोडेन्ट और प्राइमेट जैसे जंगली जानवरों में पैदा होता है. इससे कभी-कभी मानव भी संक्रमित हो जाता है. मानवों में अधिकतक मामले मध्य और पश्चिम अफ्रीका में देखे गए है, जहां यह इन्डेमिक बन चुका है. इस बीमारी की पहचान सबसे पहले वैज्ञानिकों ने 1958 में की थी, जब शोध करने वाले बंदरों में चेचक जैसी बीमारी के दो प्रकोप हुए थे, इसलिए इसे मंकीपॉक्स कहा जाता है. मानव में मंकीपॉक्स का पहला मामला 1970 में मिला था, जब कांगो में रहने वाला 9 साल बच्चा इसकी चपेट में आया था. मंकीपॉक्स का मनुष्य से मनुष्य संचरण मुख्य रूप से सांस के जरिए होता है. इसके लिए लंबे समय तक निकट संपर्क की आवश्यकता होती है. यह शरीर के तरल पदार्थ या घाव सामग्री के सीधे संपर्क के माध्यम से और घाव सामग्री के साथ अप्रत्यक्ष संपर्क के माध्यम से भी फैल सकता है.