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लॉकडाउन में छोटे जीवों की बढ़ी संख्या, पलामू टाइगर रिजर्व को बेहद खास फायदे

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Published : May 28, 2020, 2:34 PM IST

लॉकडाउन दो तरफा प्रभाव हुआ है. किसी क्षेत्र के लिए यह अभिशाप साबित हुआ है तो किसी के लिए वरदान. वैसे ही झारखंड में स्थित पलामू टाइगर रिजर्व के लिए लॉकडाउन बहुत ही फायदेमंद रहा है. पलामू टाइगर रिजर्व में रहने वाले जंगली जीव अब खुद को आजाद महसूस कर रहे हैं.

creatures Increased during lockdown
लॉकडाउन में छोटे जीवों की बढ़ी संख्या

पलामू: कोरोना वायरस ने पूरे मानव प्रजाति को संकट में डाल दिया है. इस वायरस से बचने के लिए 24 को लॉकडाउन की घोषणा की गई थी. ताकि लोग अपने घरों में रहें और बीमारी का फैलाव ना हो. लॉकडाउन के कारण जंगली क्षेत्रों में मानव प्रजाति का हस्तक्षेप कम हुआ है. इसी का नतीजा है कि प्रकृति अपनी खूबसूरती दिखा रही है. जंगली जीव स्वछंद विचरण कर रहे हैं.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

लॉकडाउन के दौरान कई क्षेत्रों में जंगली जीव अपने आशियाने की ओर लौट रहे हैं. साथ ही उनकी संख्या भी बढ़ रही है. लगभग 1150 किलोमीटर स्क्वायर में फैले पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में लॉकडाउन के दौरान बड़ा बदलाव आया है. कहीं से भी हाथी और मनुष्यों के बीच संघर्ष की घटना सामने नहीं आई है. बता दें कि पलामू टाइगर रिजर्व एशिया के बड़े टाइगर रिजर्व में एक है.

गर्मी में भी जंगल से नहीं निकल रहे हाथी

पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में लॉकडाउन के दौरान हाथी और आदमी के बीच कहीं भी संघर्ष नहीं हुआ. टाइगर रिजर्व के बीचों-बीच दुबियाखाड़ से नेतरहाट तक हाइवे है. हाइवे पर अक्सर हाथी और आदमी की बीच संघर्ष की घटना होती थी, जो कुछ दिनों से थमी हुई है. पलामू टाइगर रिजर्व के डायरेक्टर वाईके दास बताते है कि पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में कहीं भी आदमी और हाथी के बीच संघर्ष नही हुई है. वे बताते है कि काफी वर्षों के बाद बेतला के इलाके में हाथियो का झुंड रुका है. अब जीव रोड के दोनों तरफ आसानी से आने-जाने लगे हैं.

creatures Increased during lockdown
पलामू टाइगर रिजर्व

गाड़ियों का परिचालन हाथी को करता है प्रभावित

लॉकडाउन के दौरान हाथी और आदमी के बीच संघर्ष नहीं होने के पीछे हाइवे पर वाहनों का परिचालन नहीं होना बताया जा रहा है. डायरेक्टर वाईके दास बताते है कि गाड़ियां हाथी को प्रभावित करती हैं. उनको इरिटेट करती हैं और गुस्सा दिलाती हैं. लॉकडाउन में यह सब बंद है. नतीजा है कि हाथी जंगल छोड़कर गांव की ओर नहीं जा रहे हैं.

ये भी पढ़ें- जमशेदपुर के पैडमैन तरुण कुमार: माहवारी और स्वच्छता जागरुकता के लिए 'लिम्का बुक' में दर्ज है नाम

तितली समेत छोटे जीवों की बढ़ी संख्या

लॉकडाउन में पलामू टाइगर रिजर्व समेत कई इलाकों में तितली और अन्य छोटे जीवों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. टाइगर रिजर्व के इलाके में हाइवे पर सांप, चूहा, तितली, गिरगिट जैसे हजारों जीवों की मौत हो जाती थी. पिछले वर्ष टाइगर रिजर्व ने जीवों की मौत की गिनती करवाई थी. जिसमें छोटे जीवों की मौत का आंकड़ा 1300 से भी अधिक था. डायरेक्टर वाईके दास ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान हाइवे पर जंगली जीवों की मौत का आंकड़ा नहीं के बराबर है.

जंगली जीव और आदमी के बीच संघर्ष

पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में हर वर्ष हांथी और आदमी के बीच हुए संघर्ष में आधा दर्जन लोगों की जान जाती है. 2017 के बाद से 15 लोगों की जान गई है, जबकि 25 से अधिक घरों को क्षति पहुंची है. 70 से अधिक किसानों ने जानवरों से फसल नष्ट होने की शिकायत दर्ज करवाई थी. 18 फरवरी 2020 को बेतला नेशनल पार्क में हाथी ने एक बाइक सवार पर हमला किया था. हाथी ने इस हमले में महिला को पटक-पटक कर मार डाला था. जबकि उसके पति और बच्चों ने भाग कर जान बचाई थी.

creatures Increased during lockdown
पलामू टाइगर रिजर्व

ये भी पढ़ें- रांची के क्वॉरेंटाइन सेंटर में महिलाओं की सुरक्षा भगवान भरोसे, व्यवस्था ऐसी कि पूछिए मत!

बेतला के इलाके में हाथी ने गांव में हमला किया था. एक व्यक्ति अपनी बेटी की शादी के लिए जेवरात को अनाज के बीच छुपा कर रखा था, जिसे हांथी ने अनाज के साथ खा लिया था. हांथी से सबसे अधिक बेतला, केड़, बारेसाढ़, गारू, छिपादोहर, मंडल, सतबरवा और केचकी का इलाका प्रभावित है. लॉकडाउन में 24 मार्च के बाद कहीं से भी आदमी और जंगली जीव के बीच संघर्ष की घटना को रिकॉर्ड नहीं किया गया.

पलामू: कोरोना वायरस ने पूरे मानव प्रजाति को संकट में डाल दिया है. इस वायरस से बचने के लिए 24 को लॉकडाउन की घोषणा की गई थी. ताकि लोग अपने घरों में रहें और बीमारी का फैलाव ना हो. लॉकडाउन के कारण जंगली क्षेत्रों में मानव प्रजाति का हस्तक्षेप कम हुआ है. इसी का नतीजा है कि प्रकृति अपनी खूबसूरती दिखा रही है. जंगली जीव स्वछंद विचरण कर रहे हैं.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

लॉकडाउन के दौरान कई क्षेत्रों में जंगली जीव अपने आशियाने की ओर लौट रहे हैं. साथ ही उनकी संख्या भी बढ़ रही है. लगभग 1150 किलोमीटर स्क्वायर में फैले पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में लॉकडाउन के दौरान बड़ा बदलाव आया है. कहीं से भी हाथी और मनुष्यों के बीच संघर्ष की घटना सामने नहीं आई है. बता दें कि पलामू टाइगर रिजर्व एशिया के बड़े टाइगर रिजर्व में एक है.

गर्मी में भी जंगल से नहीं निकल रहे हाथी

पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में लॉकडाउन के दौरान हाथी और आदमी के बीच कहीं भी संघर्ष नहीं हुआ. टाइगर रिजर्व के बीचों-बीच दुबियाखाड़ से नेतरहाट तक हाइवे है. हाइवे पर अक्सर हाथी और आदमी की बीच संघर्ष की घटना होती थी, जो कुछ दिनों से थमी हुई है. पलामू टाइगर रिजर्व के डायरेक्टर वाईके दास बताते है कि पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में कहीं भी आदमी और हाथी के बीच संघर्ष नही हुई है. वे बताते है कि काफी वर्षों के बाद बेतला के इलाके में हाथियो का झुंड रुका है. अब जीव रोड के दोनों तरफ आसानी से आने-जाने लगे हैं.

creatures Increased during lockdown
पलामू टाइगर रिजर्व

गाड़ियों का परिचालन हाथी को करता है प्रभावित

लॉकडाउन के दौरान हाथी और आदमी के बीच संघर्ष नहीं होने के पीछे हाइवे पर वाहनों का परिचालन नहीं होना बताया जा रहा है. डायरेक्टर वाईके दास बताते है कि गाड़ियां हाथी को प्रभावित करती हैं. उनको इरिटेट करती हैं और गुस्सा दिलाती हैं. लॉकडाउन में यह सब बंद है. नतीजा है कि हाथी जंगल छोड़कर गांव की ओर नहीं जा रहे हैं.

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तितली समेत छोटे जीवों की बढ़ी संख्या

लॉकडाउन में पलामू टाइगर रिजर्व समेत कई इलाकों में तितली और अन्य छोटे जीवों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. टाइगर रिजर्व के इलाके में हाइवे पर सांप, चूहा, तितली, गिरगिट जैसे हजारों जीवों की मौत हो जाती थी. पिछले वर्ष टाइगर रिजर्व ने जीवों की मौत की गिनती करवाई थी. जिसमें छोटे जीवों की मौत का आंकड़ा 1300 से भी अधिक था. डायरेक्टर वाईके दास ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान हाइवे पर जंगली जीवों की मौत का आंकड़ा नहीं के बराबर है.

जंगली जीव और आदमी के बीच संघर्ष

पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में हर वर्ष हांथी और आदमी के बीच हुए संघर्ष में आधा दर्जन लोगों की जान जाती है. 2017 के बाद से 15 लोगों की जान गई है, जबकि 25 से अधिक घरों को क्षति पहुंची है. 70 से अधिक किसानों ने जानवरों से फसल नष्ट होने की शिकायत दर्ज करवाई थी. 18 फरवरी 2020 को बेतला नेशनल पार्क में हाथी ने एक बाइक सवार पर हमला किया था. हाथी ने इस हमले में महिला को पटक-पटक कर मार डाला था. जबकि उसके पति और बच्चों ने भाग कर जान बचाई थी.

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पलामू टाइगर रिजर्व

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बेतला के इलाके में हाथी ने गांव में हमला किया था. एक व्यक्ति अपनी बेटी की शादी के लिए जेवरात को अनाज के बीच छुपा कर रखा था, जिसे हांथी ने अनाज के साथ खा लिया था. हांथी से सबसे अधिक बेतला, केड़, बारेसाढ़, गारू, छिपादोहर, मंडल, सतबरवा और केचकी का इलाका प्रभावित है. लॉकडाउन में 24 मार्च के बाद कहीं से भी आदमी और जंगली जीव के बीच संघर्ष की घटना को रिकॉर्ड नहीं किया गया.

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