पलामू: झारखंड में कमजोर पड़ चुके नक्सल आंदोलन एक लंबा इतिहास पीछे छोड़ गया है. इस इतिहास का दंश आज कई इलाके के लोग झेल रहे हैं. नक्सलियों ने अविभाजित पलामू में ग्रामीणों के सहयोग से दो स्कूलों की स्थापना की थी. लंबी लड़ाई लड़ने के बाद स्कूलों को मान्यता तो मिली. लेकिन नक्सलियों के सहयोग का दंश आज भी लोगों को झेलना पड़ रहा है.
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कोरोना काल में ये दोनों स्कूल बंद हो गए हैं. जिसके कारण सैकड़ों छात्र पलायन कर गए हैं. नक्सलियों के सहयोग से 1998-2000 के बीच पलामू के रामगढ़ प्रखंड के सरजा और लातेहार के मटलौंग में स्कूल की स्थापना की गई थी. स्कूलों की स्थापना के लिए रामगढ़ के 40, जबकि मटलौंग के इलाके में 35 से अधिक गांव के लोग एकजुट हुए थे.
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स्कूलों की स्थापना के लिए 75 से अधिक गांव के लोग हुए थे एकजुट
सरजा और मटलौंग में स्कूल की स्थापना को लेकर 75 से अधिक गांव के ग्रामीण उस दौरान एकजुट हुए थे. नक्सलियों के सहयोग का ठप्पा लगने के कारण ग्रामीणों को काफी नुकशान उठाना पड़ा था. कई ग्रामीण जेल भी गए थे. सरजा के फागु सिंह ने बताया कि उस दौरान पुलिस ने गांव को चारों तरफ से घेर लिया था. लेकिन सभी ने दिनरात मेहनत कर स्कूल का निर्माण किया था. ग्रामीण महिला शिवपाली देवी ने बताया कि उन्होंने भी स्कूल के निर्माण में मजदूरी किया है. स्कूल को सैकड़ों ग्रामीणों ने अपनी मेहनत से खड़ा किया है.