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पलामू में सक्रिय है माफिया, रोजाना अवैध तरीके से भेजा जा रहा बालू लदा सैकड़ों हाइवा

पलामू में बालू माफिया सक्रिय है. ये माफिया अधिकारियों की मिलीभगत से रोजाना सरकार के राजस्व को चूना लगा रहे हैं और सैकड़ों बालू लदे हाइवा बिहार और यूपी भेजा जा रहा है. यह स्थिति तब है, जब राज्य में बालू उठाव बंद है.

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पलामू में सक्रिय है माफिया
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Published : Jun 25, 2022, 5:25 PM IST

पलामूः झारखंड सरकार के सख्त निर्देश के बावजूद जिले में बालू माफिया सक्रिय है. ये माफिया पशासनिक पदाधिकारियों और पुलिस अधिकारियों की मिलीभगत से रोजाना सैकड़ों हाइवा अवैध बालू यूपी और बिहार के इलाके में भेज रहे हैं, जहां ऊंची कीमत पर बेचते हैं. हाल में ही माइनिंग के खिलाफ ईडी की कार्रवाई शुरू हुई है. ईडी की जांच में बालू के अवैध कारोबार से जुड़े तथ्य भी मिले है. इसके बावजूद जिले में बालू का अवैध खेल ठम नहीं रहा है.

यह भी पढ़ेंःबालू तस्करों के आतंक से ग्रामीणों में खौफ, घरों से न निकलने की दी धमकी

पलामू प्रमंडल के कोयल, सोन, अमानत, औरंगा, तहले, कनहर आदि नदियों से सैकड़ों हाइवा बालू की तस्करी प्रतिदिन हो रही है. तस्कर बालू को नदियों से निकाल कर नेशनल हाइवे तक पहुंचाते हैं. इसके बाद वह यूपी और बिहार के मंडियों में भेजते हैं. एक अनुमान के मुताकिब पलामू से एक हाइवा बालू को यूपी के मंडी तक पहुंचाने में 40 से 50 हजार रुपये खर्च होते है. लेकिन मंडी पंहुचने के बाद इस बालू की कीमत एक से डेढ़ लाख हो जाती है. इसमें प्रति ट्रिप कमीशन प्रशासन के साथ साथ पुलिस अधिकारियों को दिया जाता है. पद और कद के अनुसार कमीशन दो से पांच हजार रुपये प्रति ट्रिप है. आजसू नेता सतीश कुमार बताते हैं कि बालू की इस खेल में पूरा सिस्टम शामिल है. कॉर्पोरेट तरीके से बालू के तस्कर इस काम को अंजाम दे रहे हैं. इससे आम लोगों को अधिक कीमत पर बालू मिल रहा है.

देखें पूरी खबर

पलामू प्रमंडल में पिछले दो सालों से एक भी बालू घाटों की नीलामी नहीं हुई है. नीलामी नहीं होने के बावजूद बालू घाटों से बड़े पैमाने पर उठाव हो रहा है. पलामू, गढ़वा और लातेहार जिले में 120 से भी अधिक बालू घाट है, जिसमें पलामू में 40 के करीब बालू घाट हैं. विधायक डॉ शशि भूषण मेहता ने बताया बालू के अवैध कारोबार से जुड़े मामले को विधानसभा में उठा चुके हैं. लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई है. बालू तस्करी के खिलाफ रैली भी निकाली थी. अब बड़े आंदोलन की तैयारी की जा रही है. उन्होंने कहा कि बालू माफिया पर कार्रवाई के बदले वसूली होती है.



10 जून से नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने बालू उठाव पर रोक लगाई है. यह रोक अक्टूबर महीने तक जारी रहेगी. एनजीटी के रोक के बावजूद पलामू के इलाकों से बालू की तस्करी हो रही है. एनजीटी के रोक और बालू तस्करी का सबसे अधिक प्रभाव प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभुकों पर पड़ता है. प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभुकों को प्रति ट्रैक्टर चार से पांच हजार रुपये बालू खरीदना पड़ रहा है. बालू के खेल मामले में पलामू का कोई भी अधिकारी बोलना नहीं चाहते हैं.

पलामूः झारखंड सरकार के सख्त निर्देश के बावजूद जिले में बालू माफिया सक्रिय है. ये माफिया पशासनिक पदाधिकारियों और पुलिस अधिकारियों की मिलीभगत से रोजाना सैकड़ों हाइवा अवैध बालू यूपी और बिहार के इलाके में भेज रहे हैं, जहां ऊंची कीमत पर बेचते हैं. हाल में ही माइनिंग के खिलाफ ईडी की कार्रवाई शुरू हुई है. ईडी की जांच में बालू के अवैध कारोबार से जुड़े तथ्य भी मिले है. इसके बावजूद जिले में बालू का अवैध खेल ठम नहीं रहा है.

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पलामू प्रमंडल के कोयल, सोन, अमानत, औरंगा, तहले, कनहर आदि नदियों से सैकड़ों हाइवा बालू की तस्करी प्रतिदिन हो रही है. तस्कर बालू को नदियों से निकाल कर नेशनल हाइवे तक पहुंचाते हैं. इसके बाद वह यूपी और बिहार के मंडियों में भेजते हैं. एक अनुमान के मुताकिब पलामू से एक हाइवा बालू को यूपी के मंडी तक पहुंचाने में 40 से 50 हजार रुपये खर्च होते है. लेकिन मंडी पंहुचने के बाद इस बालू की कीमत एक से डेढ़ लाख हो जाती है. इसमें प्रति ट्रिप कमीशन प्रशासन के साथ साथ पुलिस अधिकारियों को दिया जाता है. पद और कद के अनुसार कमीशन दो से पांच हजार रुपये प्रति ट्रिप है. आजसू नेता सतीश कुमार बताते हैं कि बालू की इस खेल में पूरा सिस्टम शामिल है. कॉर्पोरेट तरीके से बालू के तस्कर इस काम को अंजाम दे रहे हैं. इससे आम लोगों को अधिक कीमत पर बालू मिल रहा है.

देखें पूरी खबर

पलामू प्रमंडल में पिछले दो सालों से एक भी बालू घाटों की नीलामी नहीं हुई है. नीलामी नहीं होने के बावजूद बालू घाटों से बड़े पैमाने पर उठाव हो रहा है. पलामू, गढ़वा और लातेहार जिले में 120 से भी अधिक बालू घाट है, जिसमें पलामू में 40 के करीब बालू घाट हैं. विधायक डॉ शशि भूषण मेहता ने बताया बालू के अवैध कारोबार से जुड़े मामले को विधानसभा में उठा चुके हैं. लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई है. बालू तस्करी के खिलाफ रैली भी निकाली थी. अब बड़े आंदोलन की तैयारी की जा रही है. उन्होंने कहा कि बालू माफिया पर कार्रवाई के बदले वसूली होती है.



10 जून से नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने बालू उठाव पर रोक लगाई है. यह रोक अक्टूबर महीने तक जारी रहेगी. एनजीटी के रोक के बावजूद पलामू के इलाकों से बालू की तस्करी हो रही है. एनजीटी के रोक और बालू तस्करी का सबसे अधिक प्रभाव प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभुकों पर पड़ता है. प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभुकों को प्रति ट्रैक्टर चार से पांच हजार रुपये बालू खरीदना पड़ रहा है. बालू के खेल मामले में पलामू का कोई भी अधिकारी बोलना नहीं चाहते हैं.

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