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2004 में हुआ था भाकपा माओवादी का गठन, नक्सली मना रहे स्थापना सप्ताह, हाई अलर्ट पर पुलिस - स्थापना सप्ताह

साल 2004 में भाकपा माओवादी का गठन हुआ था. पूरे देश में प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी 21 से 27 सितंबर तक स्थापना सप्ताह मना रहा है. वहीं माओवादियों के स्थापना सप्ताह को लेकर पूरे राज्य में पुलिस हाई अलर्ट पर है.

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नक्सलियों का सुरक्षा सप्ताह
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Published : Sep 23, 2021, 8:39 PM IST

Updated : Sep 23, 2021, 8:58 PM IST

पलामू: सितंबर 2004 में सारंडा के जंगलों के नक्सल विचारधारा के कई ग्रुप को मिलाकर भाकपा माओवादी का गठन हुआ था. माओवादियों का यह पहला और आखिरी सम्मेलन था. पूरे देश में प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी 21 से 27 सितंबर तक स्थापना सप्ताह मना रहा है. माओवादियों के स्थापना सप्ताह को लेकर पूरे झारखंड में पुलिस हाई अलर्ट पर है.

इसे भी पढे़ं: धनबाद में नक्सली वारदात पर लगा विराम, स्थानीय लोगों की मदद से मिली सफलता

साल 2004 से ही भाकपा माओवादियों के खिलाफ सुरक्षाबलों का अभियान जारी है. इस अभियान में सुरक्षाबलों को कई सफलता मिली है. झारखंड में माओवादी संगठन अब अंतिम सांसे गिन रहा है. बूढ़ापहाड़, सारंडा और बिहार की सीमा तक ही माओवादियों का प्रभाव सिमट कर रह गया है.

अलर्ट मोड में झारखंड पुलिस

पार्टी यूनिटी, पीपुल्स वार और एमसीसी को मिलाकर बना था भाकपा माओवादी

2004 में नक्सल विचारधारा वाले एमसीसी, पार्टी यूनिटी और पीपुल्स वार को मिलाकर भाकपा माओवादी बना था. तीनों संगठन नक्सलबाड़ी आंदोलन के उपज थे और अलग अलग मोर्चे पर थे. एमसीसी का गठन 1966-67, पार्टी यूनिटी का गठन 1972, जबकि पीपुल्स वार का 1978 के आस पास गठन हुआ था. एक पूर्व नक्सल नेता के अनुसार 2004 में तीनों धड़ों के टॉप कमांडर नारायण सान्याल, के गणपति और किसन जी के नेतृत्व में सारंडा में बड़ी बैठक हुई थी. जिसे माओवादियों के कांग्रेस के नाम से जाना जाता है. इसी बैठक में भाकपा माओवादी नामक संगठन का गठन हुआ. इसी दौरान पूरे देश के अलग-अलग हिस्सों में सभी एक जुट हुए थे.

इसे भी पढे़ं: नक्सलियों के सबसे सुरक्षित इलाकों में बिछेगा सड़कों का जाल, जानिए क्या है केंद्र सरकार का प्लान



2002 में फिलीपींस में तैयार हुई थी योजना, 2004 में हुआ विलय

पूर्व नक्सली की मानें तो 2002 में फिलीपींस में नक्सल संगठनों के टॉप कमांडर की आपस मे मुलाकात हुई थी. उसके दो साल बाद भाकपा माओवादी बना. इस दौरान माओवादियों ने क्रांतिकारी किसान कमिटी, बुद्धिजीवी मंच, क्रांतिकारी श्रमिक मंच, रेवोल्यूशनरी स्टूडेंट लीग का गठन किया था. यह माओवादियों के पोषक संगठन थे. सुरक्षाबलों के लगातार अभियान के बाद ये सभी गठन आज खत्म हो चुके हैं. पूर्व नक्सली के अनुसार भाकपा माओवादी के गठन के बाद भी सभी ग्रुपों का कई बिंदुओं पर मतभेद रहा. कुछ जातिगत संरचना हावी हुई थी. जिसके बाद धीरे-धीरे भाकपा माओवादी कमजोर हो गए.



2004 में ही भाकपा माओवादी से अलग हो कर बना था TSPC

भाकपा माओवादी से अलग होकर 2004 में तृतीय सम्मेलन प्रस्तुति कमिटी (TSPC) का गठन हुआ था. इसके गठन में एक बांग्लादेशी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. TSPC का गठन चतरा के इलाके में हुआ था. गठन के कुछ महीनों बाद बांग्लादेशी टॉप कमांडर कहां गया किसी को उसकी जानकारी नहीं मिल पाई. TSPC आउट भाकपा माओवादी के बीच डेढ़ दशक के खूनी संघर्ष में अब तक 200 से अधिक लोगों की जान गई है. फिलहाल झारखंड-बिहार सीमा पर भाकपा माओवादी और टीएसपीसी एक दूसरे के नजदीक आ चुके हैं.


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माओवादियों के स्थापना सप्ताह को लेकर पुलिस ने जारी किया है हाई अलर्ट

भाकपा माओवादी हर साल सितंबर के पहले सप्ताह में अपना स्थापना दिवस मनाता है. स्थापना सप्ताह को लेकर पलामू पुलिस ने हाई अलर्ट जारी किया है. पलामू रेंज के डीआईजी राजकुमार लकड़ा ने बताया कि झारखंड पुलिस हाई अलर्ट पर है. पलामू, गढ़वा, लातेहार की पुलिस स्थापना दिवस को देखते हुए एसओपी का पालन कर रही है.

पलामू: सितंबर 2004 में सारंडा के जंगलों के नक्सल विचारधारा के कई ग्रुप को मिलाकर भाकपा माओवादी का गठन हुआ था. माओवादियों का यह पहला और आखिरी सम्मेलन था. पूरे देश में प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी 21 से 27 सितंबर तक स्थापना सप्ताह मना रहा है. माओवादियों के स्थापना सप्ताह को लेकर पूरे झारखंड में पुलिस हाई अलर्ट पर है.

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साल 2004 से ही भाकपा माओवादियों के खिलाफ सुरक्षाबलों का अभियान जारी है. इस अभियान में सुरक्षाबलों को कई सफलता मिली है. झारखंड में माओवादी संगठन अब अंतिम सांसे गिन रहा है. बूढ़ापहाड़, सारंडा और बिहार की सीमा तक ही माओवादियों का प्रभाव सिमट कर रह गया है.

अलर्ट मोड में झारखंड पुलिस

पार्टी यूनिटी, पीपुल्स वार और एमसीसी को मिलाकर बना था भाकपा माओवादी

2004 में नक्सल विचारधारा वाले एमसीसी, पार्टी यूनिटी और पीपुल्स वार को मिलाकर भाकपा माओवादी बना था. तीनों संगठन नक्सलबाड़ी आंदोलन के उपज थे और अलग अलग मोर्चे पर थे. एमसीसी का गठन 1966-67, पार्टी यूनिटी का गठन 1972, जबकि पीपुल्स वार का 1978 के आस पास गठन हुआ था. एक पूर्व नक्सल नेता के अनुसार 2004 में तीनों धड़ों के टॉप कमांडर नारायण सान्याल, के गणपति और किसन जी के नेतृत्व में सारंडा में बड़ी बैठक हुई थी. जिसे माओवादियों के कांग्रेस के नाम से जाना जाता है. इसी बैठक में भाकपा माओवादी नामक संगठन का गठन हुआ. इसी दौरान पूरे देश के अलग-अलग हिस्सों में सभी एक जुट हुए थे.

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2002 में फिलीपींस में तैयार हुई थी योजना, 2004 में हुआ विलय

पूर्व नक्सली की मानें तो 2002 में फिलीपींस में नक्सल संगठनों के टॉप कमांडर की आपस मे मुलाकात हुई थी. उसके दो साल बाद भाकपा माओवादी बना. इस दौरान माओवादियों ने क्रांतिकारी किसान कमिटी, बुद्धिजीवी मंच, क्रांतिकारी श्रमिक मंच, रेवोल्यूशनरी स्टूडेंट लीग का गठन किया था. यह माओवादियों के पोषक संगठन थे. सुरक्षाबलों के लगातार अभियान के बाद ये सभी गठन आज खत्म हो चुके हैं. पूर्व नक्सली के अनुसार भाकपा माओवादी के गठन के बाद भी सभी ग्रुपों का कई बिंदुओं पर मतभेद रहा. कुछ जातिगत संरचना हावी हुई थी. जिसके बाद धीरे-धीरे भाकपा माओवादी कमजोर हो गए.



2004 में ही भाकपा माओवादी से अलग हो कर बना था TSPC

भाकपा माओवादी से अलग होकर 2004 में तृतीय सम्मेलन प्रस्तुति कमिटी (TSPC) का गठन हुआ था. इसके गठन में एक बांग्लादेशी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. TSPC का गठन चतरा के इलाके में हुआ था. गठन के कुछ महीनों बाद बांग्लादेशी टॉप कमांडर कहां गया किसी को उसकी जानकारी नहीं मिल पाई. TSPC आउट भाकपा माओवादी के बीच डेढ़ दशक के खूनी संघर्ष में अब तक 200 से अधिक लोगों की जान गई है. फिलहाल झारखंड-बिहार सीमा पर भाकपा माओवादी और टीएसपीसी एक दूसरे के नजदीक आ चुके हैं.


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माओवादियों के स्थापना सप्ताह को लेकर पुलिस ने जारी किया है हाई अलर्ट

भाकपा माओवादी हर साल सितंबर के पहले सप्ताह में अपना स्थापना दिवस मनाता है. स्थापना सप्ताह को लेकर पलामू पुलिस ने हाई अलर्ट जारी किया है. पलामू रेंज के डीआईजी राजकुमार लकड़ा ने बताया कि झारखंड पुलिस हाई अलर्ट पर है. पलामू, गढ़वा, लातेहार की पुलिस स्थापना दिवस को देखते हुए एसओपी का पालन कर रही है.

Last Updated : Sep 23, 2021, 8:58 PM IST
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