पलामू: बिहार के गया से पकड़े गए नक्सली मिथिलेश मेहता से पूछताछ से कई अहम खुलासा हुआ है. जिसके मुताबिक बूढ़ापहाड़ पर माओवादियो के कमांडरों का एक दूसरे पर भरोसा टूट गया है. यही वजह है कि कई नक्सली कैडर झारखंड बिहार उतरी छत्तीसगढ़ के यूनीफाइड कमांड के टॉप कमांडर मिथिलेश मेहता की बातों को अनसुनी कर रहे थे. इसी बात से नाराज मिथिलेश मेहता ने 27 और 28 फरवरी की रात बूढ़ापहाड़ को छोड़ दिया. जिसे बाद में गया में गिरफ्तार कर लिया गया.
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नक्सली विमल पर की थी कार्रवाई: मिथिलेश मेहता ने सुरक्षा एजेंसियों को पूछताछ में बताया कि जब वो बूढ़ा पहाड़ पर पहुंचा तो उसने नक्सली विमल के खिलाफ कार्रवाई की थी. जिसके बाद से कई नक्सली उससे नाराज हो गए और उसकी बातों को मानना बंद कर दिया. इसके साथ ही मिथिलेश मेहता ने नक्सली रवींद्र गंझू के बारे में भी अहम जानकारी दी. उसने बताया कि लोहरदगा और लातेहार सीमा पर सुरक्षाबलों से घिरने के बाद नक्सली रवींद्र गंझू का दस्ता 27-28 फरवरी की रात तक बूढ़ा पहाड़ नहीं पहुंचा था. बूढ़ापहाड़ के किसी भी टॉप कमांडरों को रवींद्र गंझू के हालात के बारे में कोई जानकारी नहीं थी.
फरार होने के लिए बनाया बीमारी का बहाना: मिथिलेश मेहता ने सुरक्षा एजेंसियों को बताया है कि बीमार होने का बहाना बनाकर वह बूढ़ापहाड़ से बाहर निकला था. बूढ़ापहाड़ पर उसके बाद 25 लाख का इनामी टॉप कमांडर सौरव उर्फ मरकस बाबा, नवीन यादव, मृत्युंजय भुइयां समेत 18 से 20 कैडर ही बचे हैं. बता दें कि सुरक्षा बलों को इतनी अहम जानकारी देने वाले मिथिलेश मेहता को 2020 के अंतिम महीनों में बूढ़ापहाड़ का टॉप कमांडर बनाया गया था. 2021 से ही मिथिलेश मेहता बूढ़ापहाड़ पर रह रहा था. इसी इलाके से माओवादी बिहार झारखंड और उत्तरी छत्तीसगढ़ सीमा पर अपनी गतिविधि का संचालन करते हैं. इस इलाके के अंतर्गत पलामू, गढ़वा, लातेहार, गुमला, सिमडेगा, चतरा, छत्तीसगढ़ का बलरामपुर और बिहार का गया ,औरंगाबाद ,रोहतास, सासाराम का इलाका शामिल है.