पलामूः पूरा विश्व पर्यावरण संरक्षण और पेड़ों को बचाने की बात कर रहा है. पलामू प्रमंडलीय मुख्यालय मेदिनीनागर में मौजूद अफ्रीकन प्रजाति के तीन दुर्लभ इमली के पेड़ यह बताने के लिए काफी है कि पेड़ किस प्रकार जीवनदायनी हैं. मेदिनीनागर के बेलवाटिकर में अफ्रीकन प्रजाति की इमली ऐडन सोनिया डीजीटाटा के तीन पेड़ हैं. भारत में यह अंग्रेजी ईमली या सफेद इमली के नाम से जानी जाती है. तीनों पेड़ो की अनुमानित उम्र 900 से 1000 वर्ष है.
पूरे भारत मे मौजूद है 400 पेड़
अफ्रीकन प्रजाति के इस इमली के पेड़ को लेकर पलामू की जसबीर बग्गा लंबे वक्त से शोध कर रही हैं. जसबीर बॉटनी की प्राध्यापिका हैं. उन्होंने बताया कि पलामू में मौजूद तीन पेड़ 900 वर्ष से भी अधिक पुराने हैं. वे और बैंगलोर की टीम पूरे भारत में इस पर शोध कर रही है. पूरे भारत मे करीब 400 पेड़ अब तक चिन्हित हो चुके हैं. यह पेड़ भारत में कैसे पंहुचा, इसकी कोई ठोस जानकारी नहीं है. वे बताती हैं कि यह वाटर होल को रिचार्ज करता है. जसबीर बग्गा सेसा नाम के संस्था से जुड़ी हुई हैं, जो लगातार तीनों पेड़ों को बचाने और संरक्षित करने में लगा हुआ है. यह पलामू के अलावा हजारीबाग, रांची और चाईबासा में भी एक-दो की संख्या में मौजूद हैं. प्रोफेसर डीएस श्रीवास्तव जो वन्य जीव और वनपस्ति के क्षेत्र में काफी काम किया है, वे बताते हैं यह अफ्रीकन वातावरण के अनुकूल है, भारत के माकूल नहीं हैं.
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एक चापाकल से हजारों लोग पीते है पानी
जहां पर ऐदन सोनिया दिजीटाटा पेड़ मौजूद हैं. उसके आस-पास के घरों में पेयजल की समस्या नहीं है. पेड़ के बगल में महेंद्र नाम के व्यक्ति ने एक चापाकल लगाया था, जो मात्र 30 फीट तक जमीन के नीचे गया है. इस चापाकल का पानी मेदिनीनगर समेत कई शहरों के लोग ले जाते हैं. गर्मी के दिनों में ठंडी, ठंड के दिनों में हल्की गर्म और बरसात के दिनों में नॉर्मल पानी मिलती है. स्थानीय बताते हैं कि आसपास के घरों में पेयजल की समस्या नहीं है, भरपूर पानी मिलता है.