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अंतिम सांसें गिन रहा माओवादी संगठन! माओवादियों की गुरिल्ला आर्मी हजारों से दर्जनों में सिमटी - पीपुल्स लिबरेशन आर्मी

दो दशक में बिहार झारखंड में माओवादियों के गुरिल्ला आर्मी की संख्या घटी है. आज हालत ये है कि माओवादी संगठन अंतिम सांसें गिन रहा है. संगठन को कैडर का टोटा है. आज इनकी संख्या करीब 70 प्रतिशत तक घट गई है.

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बिहार झारखंड में माओवादी
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Published : Dec 7, 2021, 7:56 PM IST

पलामूः प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी पूरे देश में दो से आठ दिसंबर तक PLGA सप्ताह मना रहे हैं. पीएलजीए के सुप्रीम कमांडर में से एक प्रशांत बोस को पुलिस ने हाल ही में गिरफ्तार किया है. यह माओवादियों के इतिहास में सबसे बड़ी गिरफ्तारी है. पिछले दो दशक में माओवादियों के गुरिल्ला आर्मी के कैडरों की संख्या हजारों से दर्जनों में सिमट गई है.

इसे भी पढ़ें- पलामूः कोरोना का फायदा उठा कैडर बढ़ाना चाहते हैं माओवादी, नक्सल अर्थतंत्र हुआ प्रभावित, खुद को कोरोना से बचा रहे नक्सली

यह संख्या माओवादियों के बिहार झारखंड उतरी छत्तीसगढ़ स्पेशल एरिया कमिटी में घटी है. माओवादियों ने 2 दिसंबर 2002 को पीपुल्स लिबरेशन आर्मी PLA का गठन किया था. यह पीपुल्स वार ग्रुप ने बनाया. इसी दौरान माओवादियों के तीन सेंट्रल कमिटी सदस्य श्याम, मुरली और महेश मारे गए थे. 2004 में पीपुल्स वार ग्रुप और माओइस्ट कम्युनिटी सेंटर ऑफ इंडिया, MCCI का विलय हो गया. दोनों के विलय से कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया, CPI बनी. उसके पीपुल्स लिबरेशन आर्मी का नामकरण पीपुल्स लिबरेशन ऑफ गुरिल्ला आर्मी हो गई. 2004 में पलामू के बिश्रामपुर के इलाके में ही पीपुल्स लिबरेशन ऑफ गुरिल्ला आर्मी का पहली बैठक हुई थी.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

PLGA के कैडर की संख्या हजारों से दर्जनों में सिमटी
माओवादियों के बिहार, झारखंड, उतरी छत्तीसगढ़ स्पेशल एरिया कमिटी, जिसमें पूरा बिहार और झारखंड है, उसमें 2008-09 तक कैडरों की संख्या 2500 से 3000 के बीच थी. इससे अधिक संख्या माओवादियों के सिर्फ दंडकारण्य स्पेशल जोन कमिटी के पास थी. दंडकारण्य स्पेशल जोन कमिटी में कैडरों की संख्या 4500 से 5000 के करीब थी. सुरक्षा एजेंसियों की मानें तो झारखंड बिहार उतरी छत्तीसगढ़ स्पेशल एरिया कमिटी में 300 से भी कम PLGA कैडर बच गए हैं.

2004 से 2015 तक PLGA के कार्रवाई में झारखंड बिहार में 2300 से अधिक लोगों की जान गई. लेकिन 2015 के बाद पुलिस और सुरक्षबलों के अभियान में बड़ी संख्या में PLGA कैडर मारे और गिरफ्तार हुए. वहीं 2015 के बाद PLGA में हिंसक कार्रवाई में करीब 30 लोगों की जान गई है. PLGA से टूट कर TSPC, JJMP, PLFI जैसे नक्सल संगठन बने.

इसे भी पढ़ें- नक्सलियों के पीएलजीए सप्ताह को लेकर झारखंड में अलर्ट, सुरक्षाबलों के लिए जारी किए गए कई निर्देश

PLGA धीरे धीरे खोता गया जनाधार, नहीं मिल रहे कैडर
माओवादियों की हिंसक गतिविधि को PLGA ही अंजाम देता है. PLGA के पास रॉकेट लांचर से लेकर कई आधुनिक हथियार हैं. नक्सल मामलों के जानकार देवेंद्र गुप्ता बताते हैं कि माओवादियों का गुरिल्ला आर्मी बेहद कमजोर हो गया है. माओवादियों का जनाधार घट रहा है, माओवादी के टॉप नेता पैसों के पीछे भागना शुरू कर दिया, जिस कारण यह संगठन आज कमजोर हो गया है. बदलते वक्त के साथ सरकार की नीतियां भी बदली हैं, जिस कारण आम लोगो का माओवादियों का समर्थन कम हुआ है.

हाई अलर्ट पर पुलिस, सभी इलाकों में खास नजर
PLGA के खिलाफ कार्रवाई के लिए पुलिस ने खास रणनीति तैयार की है. 2020 को माओवादियों ने पीएलजीए भर्ती वर्ष का नारा दिया था. माओवादियों ने कई जगह पर्चे फेंक कर कैडर भर्ती की योजना सार्वजनिक किया है. पलामू रेंज के डीआईजी राजकुमार लकड़ा ने बताया कि पुलिस सभी इलाको में हाई अलर्ट पर है. सभी इलाकों में पुलिस की खास नजर है.

पलामूः प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी पूरे देश में दो से आठ दिसंबर तक PLGA सप्ताह मना रहे हैं. पीएलजीए के सुप्रीम कमांडर में से एक प्रशांत बोस को पुलिस ने हाल ही में गिरफ्तार किया है. यह माओवादियों के इतिहास में सबसे बड़ी गिरफ्तारी है. पिछले दो दशक में माओवादियों के गुरिल्ला आर्मी के कैडरों की संख्या हजारों से दर्जनों में सिमट गई है.

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यह संख्या माओवादियों के बिहार झारखंड उतरी छत्तीसगढ़ स्पेशल एरिया कमिटी में घटी है. माओवादियों ने 2 दिसंबर 2002 को पीपुल्स लिबरेशन आर्मी PLA का गठन किया था. यह पीपुल्स वार ग्रुप ने बनाया. इसी दौरान माओवादियों के तीन सेंट्रल कमिटी सदस्य श्याम, मुरली और महेश मारे गए थे. 2004 में पीपुल्स वार ग्रुप और माओइस्ट कम्युनिटी सेंटर ऑफ इंडिया, MCCI का विलय हो गया. दोनों के विलय से कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया, CPI बनी. उसके पीपुल्स लिबरेशन आर्मी का नामकरण पीपुल्स लिबरेशन ऑफ गुरिल्ला आर्मी हो गई. 2004 में पलामू के बिश्रामपुर के इलाके में ही पीपुल्स लिबरेशन ऑफ गुरिल्ला आर्मी का पहली बैठक हुई थी.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

PLGA के कैडर की संख्या हजारों से दर्जनों में सिमटी
माओवादियों के बिहार, झारखंड, उतरी छत्तीसगढ़ स्पेशल एरिया कमिटी, जिसमें पूरा बिहार और झारखंड है, उसमें 2008-09 तक कैडरों की संख्या 2500 से 3000 के बीच थी. इससे अधिक संख्या माओवादियों के सिर्फ दंडकारण्य स्पेशल जोन कमिटी के पास थी. दंडकारण्य स्पेशल जोन कमिटी में कैडरों की संख्या 4500 से 5000 के करीब थी. सुरक्षा एजेंसियों की मानें तो झारखंड बिहार उतरी छत्तीसगढ़ स्पेशल एरिया कमिटी में 300 से भी कम PLGA कैडर बच गए हैं.

2004 से 2015 तक PLGA के कार्रवाई में झारखंड बिहार में 2300 से अधिक लोगों की जान गई. लेकिन 2015 के बाद पुलिस और सुरक्षबलों के अभियान में बड़ी संख्या में PLGA कैडर मारे और गिरफ्तार हुए. वहीं 2015 के बाद PLGA में हिंसक कार्रवाई में करीब 30 लोगों की जान गई है. PLGA से टूट कर TSPC, JJMP, PLFI जैसे नक्सल संगठन बने.

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PLGA धीरे धीरे खोता गया जनाधार, नहीं मिल रहे कैडर
माओवादियों की हिंसक गतिविधि को PLGA ही अंजाम देता है. PLGA के पास रॉकेट लांचर से लेकर कई आधुनिक हथियार हैं. नक्सल मामलों के जानकार देवेंद्र गुप्ता बताते हैं कि माओवादियों का गुरिल्ला आर्मी बेहद कमजोर हो गया है. माओवादियों का जनाधार घट रहा है, माओवादी के टॉप नेता पैसों के पीछे भागना शुरू कर दिया, जिस कारण यह संगठन आज कमजोर हो गया है. बदलते वक्त के साथ सरकार की नीतियां भी बदली हैं, जिस कारण आम लोगो का माओवादियों का समर्थन कम हुआ है.

हाई अलर्ट पर पुलिस, सभी इलाकों में खास नजर
PLGA के खिलाफ कार्रवाई के लिए पुलिस ने खास रणनीति तैयार की है. 2020 को माओवादियों ने पीएलजीए भर्ती वर्ष का नारा दिया था. माओवादियों ने कई जगह पर्चे फेंक कर कैडर भर्ती की योजना सार्वजनिक किया है. पलामू रेंज के डीआईजी राजकुमार लकड़ा ने बताया कि पुलिस सभी इलाको में हाई अलर्ट पर है. सभी इलाकों में पुलिस की खास नजर है.

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