पलामू: माओवादियों ने जोनल कमांडर कंचन तुरी का जंगल में ही अंतिम संस्कार कर दिया. 26 नवंबर को झारखंड बिहार सीमा की छकरबंधा इलाके में कंचन तुरी की मौत हो गई थी. कंचन तुरी माओवादियो का जोनल कमांडर था. झारखंड सरकार ने कंचन तुरी पर 15 लाख रुपए के इनाम की घोषणा की थी. कंचन तुरी की मौत के बाद परिजनों को बेहद गोपनीय तरीके से छकरबंधा इलाके में बुलाया गया था. परिजनों की मौजूदगी में ही माओवादियों ने कंचन तुरी के शव का अंतिम संस्कार किया. अंतिम संस्कार में भाग लेने वाले परिजनों से पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों ने भी पूछताछ की है, जिसके बाद उन्हें कई अहम जानकारी मिली है.
छकरबंधा पहाड़ पर जाने से पहले कंचन तुरी के परिजनों को बिहार के औरंगाबाद के नबीनगर में बुलाया गया था. जहां माओवादियो के मैसेंजर ने सभी के मोबाइल को कब्जे में ले लिया. उसके बाद सभी को छकरबंधा ले जाया गया. नक्सलियों ने परिजनों को मौत वाली जगह दिखाई और बताया कि पहाड़ चढ़ने के दौरान कंचन गिर गया था. जानकारी के अनुसार कंचन तुरी पिछले कुछ दिनों से गंभीर रूप से बीमार था. उसका इलाज माओवादी करवा रहे थे.
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नक्सलियों ने परिजनों की मौत के बारे में पूरी जानकारी दी है. कंचन तुरी बीमार हालत में पहाड़ चढ़ रहा था, पहाड़ चढ़ने क्रम ने उसने एक पेड़ का सहारा लिया लेकिन पेड़ की डाली टूट गई और वह गिर गया. गिरने के साथ ही उसकी मौत हो गई. कंचन तुरी पलामू के मनातू थाना क्षेत्र के डुमरी गांव का रहने वाला था. झारखंड बिहार पर कंचन तुरी पर तीन दर्जन से भी अधिक बड़े नक्सली घटनाओं को अंजाम देने का आरोप है.