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अपनों की तलाश में मासूम, बाल गृह में रह कई बच्चों की नहीं है कोई पहचान - Palamu News

पलामू में बाल और बालिका गृह में रहे कई बच्चों के परिवार का अब तक कोई पता नहीं नहीं चल पाया है. प्रशासन बच्चों के अपनों की तलाश में लगातार प्रयासरत है. पलामू बालिका गृह में रह रही 19 वर्षीय युवती अपने परिवार की चिंता में बीमार हो रही है. बच्ची को अपना घर भी पता नहीं पता नहीं है. बच्ची का इलाज MMCH में डॉक्टरों के निगरानी में हो रहा है.

children unclaimed in Palamu shelter home
पलामू सेल्टर होम
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Published : Dec 7, 2021, 12:07 PM IST

पलामू: बालिका गृह में रहने वाली 19 वर्षीय एक युवती पिछले कुछ दिनों से मानसिक रूप से बीमार है. उसका इलाज MMCH में डॉक्टरों के निगरानी में हो रहा है. युवती की दो और बहन बालिका गृह में है. जबकि एक भाई बाल गृह में है. सभी 2018 से ही बाल गृह और बालिका गृह में रह रहे हैं. इन चारों मासूमों के माता-पिता इस दुनिया में नहीं हैं. चारों को अपना पैतृक घर भी पता नहीं है. युवती अपने भाई बहनों के चिंता में बीमार हो रही है. बाल गृह, बालिका गृह में रहने वाले दर्जनों ऐसे मासूम हैं. जिनके अपने नहीं मिल रहे हैं. बाल गृह में रहने वाले कई मासूमों को लावारिस हालत में बरामद किया गया था. कई तो बोल और सुन भी नहीं सकते हैं.


इसे भी पढे़ं: बालिका गृह में नाबालिग ने दिया बच्चे को जन्म, पॉक्सो एक्ट की है पीड़िता



पलामू बाल गृह में 14 बच्चे हैं. जबकि बालिका गृह में पांच बच्चियां हैं. इनमें से एक दर्जन बच्चों की पहचान नहीं हो पा रही है. जबकि पलामू जिला प्रशासन पहचान के लिए अब तक तीन तीन बार इश्तेहार जारी कर चुका है. 19 वर्षीय युवती और उसकी बहनों की पढ़ाई लिखाई भी बालिका गृह के माध्यम से हुआ है. युवती की मां का निधन 2013 में हुआ. था जबकि पिता का निधन 2018 में हुआ. पिता ने चारों भाई-बहन को कभी दादी या नानी के घर की जानकारी नहीं दी थी. युवती के पिता मजदूरी करते थे. पलामू जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी प्रकाश कुमार ने बताया कि इस तरह के बच्चों के परिजनों के पहचान करना चुनौतीपूर्ण है. उनके परिजनों को ढूंढने का प्रयास किया जा रहा है. लेकिन परिजन सामने नहीं आ रहे हैं.

देखें पूरी खबर
सभी को स्वरोजगार से जोड़ने की पहलबाल गृह और बालिका गृह में रहने वाले वैसे मासूम जिसका 18 वर्ष पूरा हो गया है. उन्हें स्वरोजगार से जोड़ने की पहल की जा रही है. विभाग के पदाधिकारी केडी पासवान ने बताया कि बालिक और बाल गृह के मासूमों को जेएसएलपीएस के माध्यम से जोड़ा जाएगा. पूरे मामले में जेएसएलपीएस से बातचीत चल रही है. स्वरोजगार से जोड़ने के बाद सभी के जीवन में बड़ा बदलाव आएगा. स्वरोजगार के लिए सभी को विभिन्न क्षेत्रों में प्रशिक्षण दिया जाएगा.

पलामू: बालिका गृह में रहने वाली 19 वर्षीय एक युवती पिछले कुछ दिनों से मानसिक रूप से बीमार है. उसका इलाज MMCH में डॉक्टरों के निगरानी में हो रहा है. युवती की दो और बहन बालिका गृह में है. जबकि एक भाई बाल गृह में है. सभी 2018 से ही बाल गृह और बालिका गृह में रह रहे हैं. इन चारों मासूमों के माता-पिता इस दुनिया में नहीं हैं. चारों को अपना पैतृक घर भी पता नहीं है. युवती अपने भाई बहनों के चिंता में बीमार हो रही है. बाल गृह, बालिका गृह में रहने वाले दर्जनों ऐसे मासूम हैं. जिनके अपने नहीं मिल रहे हैं. बाल गृह में रहने वाले कई मासूमों को लावारिस हालत में बरामद किया गया था. कई तो बोल और सुन भी नहीं सकते हैं.


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पलामू बाल गृह में 14 बच्चे हैं. जबकि बालिका गृह में पांच बच्चियां हैं. इनमें से एक दर्जन बच्चों की पहचान नहीं हो पा रही है. जबकि पलामू जिला प्रशासन पहचान के लिए अब तक तीन तीन बार इश्तेहार जारी कर चुका है. 19 वर्षीय युवती और उसकी बहनों की पढ़ाई लिखाई भी बालिका गृह के माध्यम से हुआ है. युवती की मां का निधन 2013 में हुआ. था जबकि पिता का निधन 2018 में हुआ. पिता ने चारों भाई-बहन को कभी दादी या नानी के घर की जानकारी नहीं दी थी. युवती के पिता मजदूरी करते थे. पलामू जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी प्रकाश कुमार ने बताया कि इस तरह के बच्चों के परिजनों के पहचान करना चुनौतीपूर्ण है. उनके परिजनों को ढूंढने का प्रयास किया जा रहा है. लेकिन परिजन सामने नहीं आ रहे हैं.

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सभी को स्वरोजगार से जोड़ने की पहलबाल गृह और बालिका गृह में रहने वाले वैसे मासूम जिसका 18 वर्ष पूरा हो गया है. उन्हें स्वरोजगार से जोड़ने की पहल की जा रही है. विभाग के पदाधिकारी केडी पासवान ने बताया कि बालिक और बाल गृह के मासूमों को जेएसएलपीएस के माध्यम से जोड़ा जाएगा. पूरे मामले में जेएसएलपीएस से बातचीत चल रही है. स्वरोजगार से जोड़ने के बाद सभी के जीवन में बड़ा बदलाव आएगा. स्वरोजगार के लिए सभी को विभिन्न क्षेत्रों में प्रशिक्षण दिया जाएगा.
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