पलामूः 5 जनवरी 2019 को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पलामू के चियांकि हवाई अड्डा से मंडल डैम में अधूरे कार्यो को पूरा करने की आधारशिला रखी थी. 2019 में ही प्रधानमंत्री ने काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की भी आधारशिला रखी थी. आज काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का काम पूरा हो चुका है. लेकिन मंडल डैम अधूरे कार्यों को पूरा करने के लिए एक ईंट भी नहीं रखी गयी.
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मंडल डैम के अधूरे कार्यों को पूरा करने का लक्ष्य 2022 में रखा गया है. जिस वक्त मंडल डैम के अधूरे कार्य को पूरा करने की आधारशिला रखी गई थी, उस वक्त केंद्र और राज्य में भाजपा की सरकार थी. अब केंद्र में भाजपा है लेकिन राज्य में झारखंड मुक्ति मोर्चा की सरकार है. दो सरकारों के बीच की लड़ाई और विवाद के बाद मंडल डैम का निर्माण कार्य राजनीति की भेंट चढ़ता नजर आ रहा है.
मंडल डैम पर पक्ष और विपक्ष कर रहे राजनीति
मंडल डैम को लेकर पक्ष और विपक्ष दोनों राजनीति कर रहे हैं. पलामू जिला कांग्रेस अध्यक्ष जैश रंजन पाठक उर्फ बिट्टू पाठक ने कहा कि पलामू और उसका आसपास का इलाका कृषि प्रधान है. मंडल डैम के अधूरे कार्यों के पूरा करने का काम शुरू होना चाहिए था. लेकिन केंद्र की सरकार ने सभी को मुंगेरीलाल के हसीन सपने दिखाए हैं. उन्होंने कहा कि मंडल डैम से बिहार के इलाके को अधिक फायदा होने वाला है इस विषय पर भी केंद्र सरकार को सोचना चाहिए.
इस पूरे मामले में बोलते हुए भाजपा किसान मोर्चा के अध्यक्ष अरविंद तिवारी ने कहा कि मंडल डैम के अधूरे कार्यों को पूरा करने की जरूरत है. लेकिन मामले में राज्य सरकार राजनीति कर रही है. मामले में संबंधित अधिकारियों से बातचीत की जाएगी. आजसू पार्टी ने दोनों सरकारों पर उपेक्षा का आरोप लगाया है.
1997-98 से ठप है मंडल डैम का निर्माण कार्य, नक्सलियों ने की थी इंजीनियर की हत्या
1997-98 में मंडल डैम के सुपरिटेंडेंट इंजीनियर के नक्सलियों ने हत्या कर दी थी. इस घटना के बाद से मंडल डैम का निर्माण कार्य पूरी तरह से ठप है. मंडल डैम के अधूरे कार्यो को 1622.27 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी गयी है. मंडल डैम करीब 1007 हेक्टेयर में फैला हुआ है, पूरा इलाका पलामू टाइगर रिजर्व क्षेत्र में है. जिस कारण एनजीटी ने डैम की ऊंचाई 376 मीटर से घटाकर 341 मीटर करने को कहा है.
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मंडल डैम को लेकर अभी भी उठा रहे कई सवाल
मंडल डैम को लेकर अभी-भी कई सवाल उठ रहे हैं. झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने विधानसभा चुनाव के दौरान डैम निर्माण को लेकर कई सवाल उठाया था. खुलेआम डैम नहीं बनने देने की घोषणा की थी. डैम को लेकर वन विभाग ने अनुमति दे दी है अभी तक तय नहीं हुआ है कि 3 लाख 44 हजार 644 पेड़ काटे जाने है. लेकिन पेड़ कब काटे जाएंगे ये तय नहीं है. इसके साथ ही कटे हुए पेड़ों कहां रखा जाएगा तय नहीं, पेड़ काटने के बाद दोगुने पेड़ लगाए जाने हैं लेकिन कहां लगाए जाएंगे इसकी जानकारी किसी के पास नहीं है.
सरकार की नजर में 780 परिवार डूब क्षेत्र में हैं, जबकि ग्रामीणों के अनुसार 1050 परिवार डूब क्षेत्र में है. डूब क्षेत्र के ग्रामीणों के साथ सरकार का समन्वय नहीं बना है. मंडल डैम पर 70 के दशक में 30 करोड़ की लागत से काम शुरू हुआ था. मंडल डैम उत्तर कोयल परियोजना से बिहार के गया, औरंगाबाद, अरवल, जहानाबाद के इलाके के खेतों तक पानी पंहुचे और पलामू और उसके आस पास के जिलों को बिजली उपलब्ध कराने की योजना थी.
पलामू टाइगर रिजर्व की आपत्ति के बाद डैम की ऊंचाई 26 मीटर कम कर के 341 मीटर कर दी गयी है. जिससे डैम से आधा दर्जन से अधिक गांव डूब जांएगे. अविभाजित बिहार में 1972 में कोयल नदी के कुटकु में कोयल नदी पर मंडल डैम की निर्माण कार्य शुरू हुआ था. 30 करोड़ की लागत से परियोजना शुरू हुई थी जो अब 2391.36 करोड़ की हो गयी है. 1993 में डैम के निर्माण कार्य पर नक्सली हमले के बाद यह परियोजना का काम ठप हो गया. इस परियोजना से झारखंड में 49 हजार जबकि बिहार में 2.5 लाख हेक्टेयर में सिंचाई की सुविधा होगी.