पलामू: कभी बंधुआ मजदूरी का दंश झेलने वाला अविभाजित पलामू मानव तस्करों का आज भी बड़ा केंद्र है. पलामू का मनातू, पांकी, तरहसी और लातेहार का मनिका, महुआडांड़ और गारु का इलाका मानव तस्करों का मुख्य केंद्र है. हर पखवाड़े में इन इलाकों से मानव तस्करी (Human Trafficking) को लेकर बड़ी खबर समाने आती है. मानव तस्करी को रोकने के लिए प्रमंडलीय आयुक्त जटाशंकर चौधरी और डीआईजी राजकुमार लकड़ा ने टॉप पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक की थी. जिसमें मानव तस्करी को लेकर चर्चा हुई थी.
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बैठक में मानव तस्करों के खिलाफ कार्रवाई के लिए एक योजना तैयार करने को कहा गया. मानव तस्करों के खिलाफ कार्रवाई के लिए हर गांव में ह्यूमन इंट तैयार किया जाएगा. प्रमंडलीय आयुक्त जटाशंकर चौधरी ने बताया कि हर गांव का डाटा तैयार किया जाएगा. डाटा के माध्यम से गांव से बाहर जाने वाले लोगों की सूची तैयार की जाएगी. इस सूची के माध्यम से मानव तस्करों खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. चौकीदार के माध्यम से मानव तस्करी या इस तरह के कार्यों में संलिप्त लोगों की निगरानी की जाएगी.
पलामू, लातेहार से बड़े पैमाने पर होती है मानव तस्करी
पलामू और लातेहार के इलाके से उत्तर और दक्षिण भारत के इलाके में बड़े पैमाने पर मानव तस्करी होती है. मानव तस्करी के साथ-साथ अब बाल तस्करी भी होने लगी है. दोनों जिलों में बड़े पैमाने पर मानव तस्कर सक्रिय हैं. जो ग्रामीणों को लालच देकर फैक्ट्री में मजदूरी करने और घरेलू नौकर बनाने के लिए राज्य से बाहर ले जाते हैं. मानव तस्करी के शिकार हुए लोगों को बाहर के राज्यों में बेहद ही कम मजदूरी मिलती है. कोविड-19 काल में पलामू के इलाके में 53 हजार से अधिक प्रवासी मजदूर वापस लौटे थे. जबकि मानव तस्करी का शिकार हुए पांच हजार से अधिक लोग वापस लोग लौटे हैं.